गुरुकुल ५

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Sunday, 1 January 2012

प्रश्न क्यों अनुत्तरित रह गया?


द्वापर में यक्ष ने प्रश्न किया
युद्धिष्ठिर से
और जी उठे कालक्रम में पाण्डव
श्राप मुक्त हो गया यक्ष,



आज समय ने यक्ष से
प्रश्न किया
वत्स!
एक लबालब दूध से भरे पात्र से
एक लबालब भरे दूध के पात्र को
एक लबालब भरे दूध के पात्र में
रिक्त करें,

किन्तु स्मरण रखें
दूध छलके नहीं
दूध ढलके नहीं,
न आप पीयें
न आप गिरायें
न किसी को दें
न ही ढलकायें,
अन्यथा
परीक्षा का परिणाम
हर युग में एक ही होता है

आज प्रश्न पर
न जाने क्यों?
मौन हो गया यक्ष,

पेड़ की ओट से
एक बालक
प्रश्न को सुन रहा था
मन ही मन
कुछ ताने बुन रहा था

बालक ने झट
यक्ष और समय से
प्रश्न किया
तात!
एक रिक्त पात्र को
एक दूसरे रिक्त पात्र में डुबाकर
एक अन्य रिक्त पात्र को
दूध से भरें

स्मरण रखें नियम
द्वापर की भांति
आज भी जस का तस है
न कहीं कुछ छलके
न कहीं कुछ ढलके
न किसी से लें
न कोई दे
समय और यक्ष
प्रश्न पर बालक के
आज क्यों मौन हैं?
प्रश्न क्यों अनुत्तरित रह गया?

रमाकांत सिंह 12/02/2008 एक यात्रा कथा

4 comments:

  1. सुन्दर रचना ..

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  3. Yaksb aj puchhata hai prash kabhi yudhisthir se yaksh bankR kabhi vikram se vetal bankar.prashna aj bhi anutrit hai

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  4. स्मरण रखें नियम
    द्वापर की भांति
    आज भी जस का तस है
    न कहीं कुछ छलके
    न कहीं कुछ ढलके
    न किसी से लें
    न कोई दे

    बहुत बढ़िया रचना

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