कोई हमें कहां ले जायेगा
ले भी गया तो क्या पायेगा
कुछ ही पलों में वो हमसे
परेशान-हैरान हो जायेगा
बिना मुस्कुराये हमें वापस
अकेला राह पर छोड़ जायेगा
उपर उछालोगे तो बालक
आंखें मींचकर गाना ही गायेगा?
सोचते हो पानी गिरेगा तो?
शानू दौड़कर छाता लायेगा?
हम जीते हैं इसी धूप में रोज
और बिखर जाती है छांव कब?
जीवन के आपा-धापी में बस
यही रंग पल-पल आयेगा?
मां रोज कहानी सुनाती है
बेटा आज चंदामामा आयेगा।
रमाकांत सिंह 21/10/2010
शरद पूर्णिमा पर
ले भी गया तो क्या पायेगा
कुछ ही पलों में वो हमसे
परेशान-हैरान हो जायेगा
बिना मुस्कुराये हमें वापस
अकेला राह पर छोड़ जायेगा
उपर उछालोगे तो बालक
आंखें मींचकर गाना ही गायेगा?
सोचते हो पानी गिरेगा तो?
शानू दौड़कर छाता लायेगा?
हम जीते हैं इसी धूप में रोज
और बिखर जाती है छांव कब?
जीवन के आपा-धापी में बस
यही रंग पल-पल आयेगा?
मां रोज कहानी सुनाती है
बेटा आज चंदामामा आयेगा।
रमाकांत सिंह 21/10/2010
शरद पूर्णिमा पर
सुंदर भावपूर्ण कविता
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