गुरुकुल ५

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Saturday, 4 February 2012

गुमशुदा धरोहर



परंपराओं के रक्षार्थ
एक तर्क लेकर
गुमशुदा धरोहर की तलाश में
सख्ती से कदम उठाते
फलक पर अकेले खड़े हम,
अजीबो गरीब स्थिति में

संकट के पड़ाव जहां
सिर्फ
अंधेरा ही अंधेरा,
नैतिक हदों के पार
स्वयं का अहंकार
और भले लोगो की
नियत पर
उठता गिरता सवाल,

अधर में लटकता अस्तित्व
अभी सबक पाना बाकी है
उजाला लाने की कोशिश में
सभी बौने होते चले गए
तस्वीर बदली नहीं
गले तक कीचड़ में सन गए
छंटेगा अंधकार का दौर?
कोई न कोई तो पहचानेगा
तब आंखों में तैरेगी
खुशियां आंसू बनकर

रमाकान्त सिंह 08/09/1995

10 comments:

  1. विचारणीय , न जाने ये कैसा आगे बढ़ना है.....

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  2. उम्मीद पर दुनिया कायम है...मार्मिक पोस्ट!

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  3. अच्छी कविता,
    सुंदर भाव।

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  4. बहुत सुन्दर और सार्थक सृजन, बधाई.
    बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति, आभार.

    कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी पधारकर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें, आभारी होऊंगा.

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  5. One of the best parts of autumn can be the warm, inviting colour palette. Look at local companies because they are usually both affordable and effective. Zodiac tattoos have been a recent trend that has been observed in the tattooing world. [URL=http://lopolikuminr.com ]interpositions[/URL] Continued overwatering suffocates the plant/s roots from getting the crucial oxygen they need to properly grow. They had had a vicious argument two days before and had barely spoken to each other since.

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  6. superb brother

    Rajesh & Hetal
    Mumbai

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  7. नैतिक हदों के पार
    स्वयं का अहंकार
    और भले लोगो की
    नियत पर
    उठता गिरता सवाल

    बिलकुल छंटेगा अंधकार का दौर...
    अच्छी रचना, सधन्यवाद!

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  8. आगामी शुक्रवार को चर्चा-मंच पर आपका स्वागत है
    आपकी यह रचना charchamanch.blogspot.com पर देखी जा सकेगी ।।

    स्वागत करते पञ्च जन, मंच परम उल्लास ।

    नए समर्थक जुट रहे, अथक अकथ अभ्यास ।



    अथक अकथ अभ्यास, प्रेम के लिंक सँजोए ।

    विकसित पुष्प पलाश, फाग का रंग भिगोए ।


    शास्त्रीय सानिध्य, पाइए नव अभ्यागत ।

    नियमित चर्चा होय, आपका स्वागत-स्वागत ।।

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