नन्ही सी गुडि़यों की रानी
आई है परियों की नानी
नित आती रहें चंदा की किरण
बन्नों बन जाना तू चंदन
महके तुमसे गुलशन-गुलशन
खुश्बु से झूमे सारा चमन
लाई सौगातें मनमानी
ऋतिुओं की रानी दिवानी
कुंदन सा चमके तेरा बदन
लोरी गायें ये मस्त पवन
तेरा दामन सजाये ये सावन
ठुमके गाये आंगन-आंगन
ओढ़े तू नई चुनरी धानी
जैसे मौजें ये मस्तानी
मेरे सपनों का तू सिरजन
मेरे आंचल का तू है धन
सुरज से तेरा हो बंधन
राहों में बिखरें रोज सुमन
गंगा की धारा हो जीवन
जगती सा पावन तेरा मन
रमाकांत सिंह 14/04/1978 दंतेवाड़ा
सौभाग्यकांक्षी ऋतु सूद आत्मजा श्री महेंद्र सूद
के जन्म के 6वें दिन के अवसर पर सस्नेह समर्पित
दंतेवाड़ा जिला बस्तर छत्तीसगढ़
वाह, सुंदर... भावपूर्ण.
ReplyDeleteमेरे सपनों का तू सिरजन
ReplyDeleteमेरे आंचल का तू है धन
सुन्दर रचना...
हार्दिक बधाई...
आपके ब्लॉग पर आगमन और समर्थन का बहुत- बहुत आभार , यह स्नेह निरंतर मिलता रहे.
ReplyDeleteसुन्दर सृजन , बधाई.
मेरे सपनों का तू सिरजन
ReplyDeleteमेरे आंचल का तू है धन
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
बहुत खूबसूरत रचना ... उस नन्ही परी को आशीर्वाद
ReplyDeleteकोमल, प्यारी सी रचना .अच्छी लगी..
ReplyDeleteमेरे सपनों का तू सिरजन
ReplyDeleteमेरे आंचल का तू है धन
सुरज से तेरा हो बंधन
राहों में बिखरें रोज सुमन
गंगा की धारा हो जीवन
जगती सा पावन तेरा मन
पावन कर देने वाली पंक्तियाँ...बहुत सुंदर कविता !