गुरुकुल ५
Tuesday, 28 February 2012
नोनी
मन म सब कचरा माढ़े
पहिरे हे कुरता खादी
जनता के राज म भईया
मोर जर गे परवा छांदी
तोर टिपिर-टिपिर भाषन ह
बनगे मिरगा के धोखा
मोर छत्तीसगढ़ ह रहिगे
खाली माचिस के खोखा
तोर करम के खातिर बंधवा
मोर करम म परगे सांधी
मोर छोकरी के देंह दिखथे
जईसे बिन खपरा छांदी
पखना कस छाती धरके
मैं काकर खांवां मांदी?
मोर लइका भूखन रहिगे
तोर राम राज म गांधी
बरगे-बरगे मोर कुरिया
जरगे-जरगे मोर लइका
थहिगे, रहिगे मोर पीरा
आंखी म कटगे रथिया
मोर नोनी जरके मरगे
तोर राम राज म गांधी
रमाकांत सिंह 11/04/1978
बचेली, बस्तर छत्तीसगढ़ के
अग्निकांड में मृत लोगों को समर्पित
चित्र गूगल से साभार
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तोर टिपिर-टिपिर भाषन ह
ReplyDeleteबनगे मिरगा के धोखा
मोर छत्तीसगढ़ ह रहिगे
खाली माचिस के खोखा
तोर करम के खातिर बंधवा
मोर करम म परगे सांधी
ati sundar
बनगे मिरगा के धोखा
ReplyDeleteमोर छत्तीसगढ़ ह रहिगे
खाली माचिस के खोखा....
फेर सिरतोन गोठियाये हस....
बड सुग्घर रचना हवे रमाकांत भाई...
बधइ.
खूबसूरत ||
ReplyDeleteरमाकांत जी,
ReplyDeleteछत्तीसगढ़ी में सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बहुत२ बधाई
रचना अच्छी लगी,...
माटी के पीरा
ReplyDeleteवेदना पूर्ण ..
ReplyDeleteतोर टिपिर-टिपिर भाषन ह
ReplyDeleteबनगे मिरगा के धोखा ...........जय हो...........