गुरुकुल ५
Sunday, 26 February 2012
पानी
भले लगते हैं
लिखे पन्नों पर
हार पर हर्ष
मूल्य आदर्श
मां का दूध
बेटा कपूत
दूध का कर्ज
बेटे का फर्ज
अपनों के लिए
जियें और मरें
मौत का आना
पानी का जाना,
देवता पत्थर के
रिश्ते शहर के
आसमां के तारे
नदी के किनारे
रामलाल की बेटी
चोकरे की रोटी
गरीब की बन्डी
कोठे की रण्डी
मंदिर में नमाज़
मस्जिद में कीर्तन
हिन्दू का निकाह
मुस्लिम का वन्दन
आदमी में इन्सान
मन्दिर में भगवान
टूटते सपने
बिखरते अपने
पुरूष का अहंकार
नारी का अधिकार.
रमाकांत सिंह 14/12/1996
हमारे जीवन में व्यवहार और सिद्धांत में
अंतर होता है शायद इसी कारण
जो व्यवहारिक है वह सैद्धांतिक नहीं होता
और जो सैद्धांतिक है वह व्यवहारिक नहीं होता।
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सत्य वचन...
ReplyDeleteहाथी के दांत खाने के और...दिखाने के और...ऐसा ही हाल हमारे मूल्यों का है..
अच्छी रचना.
अति उत्तम,सराहनीय प्रस्तुति,सुंदर रचना,...
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर आना सार्थक रहा,....
मै आपका फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,...
WELCOME TO MY NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
पानीदार रचना.
ReplyDeleteटूटते सपने
ReplyDeleteबिखरते अपने
पुरूष का अहंकार
नारी का अधिकार....waah...bahut achchi abhvyakti.
मंदिर में नमाज़
ReplyDeleteमस्जिद में कीर्तन
हिन्दु का निकाह
मुस्लिम का वन्दन
आदमी में इन्सान
मन्दिर में भगवान
टूटते सपने
बिखरते अपने
पुरूष का अहंकार
नारी का अधिकार
... yahi hai haal
@शायद इसी कारण
ReplyDeleteसहमत हूँ!
बोलने का इतिहास अलग, लिखने का अलग, भोगने का अलग। घर की ईमानदारी अलग, दफ्तर की अलग। मन्दिर का धर्म दूसरा, दुकान का तीसरा? फिर चौथा, पांचवाँ ...?
बहुत ही
ReplyDeleteबहरीन भाव अभिव्यक्ति...
मंदिर में नमाज़
ReplyDeleteमस्जिद में कीर्तन
हिन्दू का निकाह
मुस्लिम का वन्दन
आदमी में इन्सान
मन्दिर में भगवान
टूटते सपने
बिखरते अपने
पुरूष का अहंकार
नारी का अधिकार.
zabardast .....
सही कहा आपने कथनी और करनी का अंतर बढ़ता ही जाता है
ReplyDeleteसही कहा आपने जो सैद्धांतिक है वह व्यवहारिक नहीं होता, बहुत अंतर है दोनों में... अपनी बात कहने का निराला अंदाज़...
ReplyDeleteअच्छा लगा ..शुभकामनाये..
ReplyDeleteअच्छा लगा ..शुभकामनाये..
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