नई सुबह के लिये करें आगाज़, दे दिशाएँ, फैसला हम पर |
गुंजाईश है उसमें
उसे निरंतर रखें
और मौत कितनी भी हसीं हो
मौत के बाद
शरीर रह गया भौतिक?
गुंजाईश उसमें कहाँ?
रखें बरकरार?
कष्ट देने या पाने हेतु
शाश्वत है?
फैसला हम पर
*****
शादी, जन्म
जन्म जन्मान्तर का बंधन?
सेतु बनें दो परिवार के
बांधें दो कुलों की मर्यादा
सन्तति, संतुलन हेतु
कोई तोड़े या टूट जाये
हों जर्जर या अंतिम साँसे
ढोयें मृत रिश्तों को?
दस्तूर निभाने के लिये?
सामाजिक आडम्बर में?
सुनहरे जीवन को त्याग?
फैसला हम पर
*****
ज़िन्दगी या रिश्ते
नदी की धारा होँ?
बहें मूल्यों संग मूल्यों के लिये
अटे धूल से और सड़े गले
भरा मैला सड़ांध
और मज़बूरी में सामर्थ्यहीन
बरसों से टंगे झूलते खूंटी में
रखें कब तक, किसके लिये?
नई सुबह के लिये
करें आगाज़?
दे दिशाएँ?
फैसला हम पर
ज़िन्दगी हम आप पर क्यूं ऐतबार करते हैं
रोज तन्हाई में भी आपका इंतजार करते हैं
**लोग जुड़ने के लिए होते है खोने के लिए नहीं
**रिश्ते जीने के लिए होते हैं ढ़ोने के लिए नहीं
२४ मई २०१३
चित्र गूगल से साभार
अंतिम दो लाइन तथागत ब्लॉग के सर्जक
श्री राजेश कुमार सिंह से साभार
sahi bat kah .kavita ke madhayam se har phaisla ham rahta hai ..bahut uttam ...prastuti ...
ReplyDeleteअब फैसला हमको करना है ,बहुत उम्दा,लाजबाब प्रस्तुति,,
ReplyDeleteRecent post: ओ प्यारी लली,
लोग जुड़ने के लिए होते है खोने के लिए नहीं
ReplyDeleteरिश्ते जीने के लिए होते हैं ढ़ोने के लिए नहीं
रिश्तों की सटीक विवेचना
सार्थकता लिये सशक्त प्रस्तुति ...
ReplyDeleteसादर
आशावादी एप्रोच
ReplyDeleteजिन्दगी की धूप-छॉंव अनुभव हुई इस प्रस्तुति में। अच्छी लगी।
ReplyDeleteधूप छांव बनी रहे तो रास्ता तय हो जाता है लेकिन धूप रेगिस्तान की तो?
Deleteआजकल बादल दिखते नहीं नये पेड़ रोपने का चलन ख़तम हो गया
और दूर तलक दरख़्त का नामोंनिशां नहीं
लोग जुड़ने के लिए होते है खोने के लिए नहीं
ReplyDelete**रिश्ते जीने के लिए होते हैं ढ़ोने के लिए नहीं
sabhi satik rachnayen ...
सही समय पर सही फैसला है हम पर जो जरा सी चूक से कयामत ला देता है.बढ़िया कहा है..
ReplyDeleteरिश्ते जुड़ने और जोड़ने के लिए होते हैं टूटने या तोड़ने के लिए नहीं ...लेकिन
ReplyDeleteआप ने कविता में जो बात उठायी है वही वर्तमान का सच है..समपर्ण का भाव अब कहाँ रह गया है इस भौतिकवादी युग में!
भावों को शब्दों का खुबसूरत जामा पहनाया है आपने..
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति.