माँ रोज कहानी सुनाती है बेटा आज चंदामामा आयेगा |
ले भी गया तो क्या पायेगा?
कुछ ही पलों में वो हमसे
परेशान हैरान हो जायेगा
बिना मुस्कुराये हमें वापस
अकेला राह पर छोड़ जायेगा
उपर उछालोगे तो बालक
आँखें मींचकर गाना ही गायेगा?
सोचते हो पानी गिरेगा तो?
शानू दौड़कर छाता ही लायेगा?
हम जीते हैं रोज इसी धूप में
और बिखर जाती है छाँव कब?
जीवन के आपाधापी में बस
यही रंग पल पल आयेगा
माँ रोज कहानी सुनाती है
बेटा आज चंदामामा आयेगा
पुनः प्रकाशन २१ अक्टूबर २०१० को लिखी रचना का
जिसका प्रकाशन १६ जनवरी शरद पूर्णिमा को।
ललित डॉट कॉम के सर्जक ब्लॉ.ललित शर्मा की एक मात्र टिपण्णी
यायावर ब्लॉ.ललित शर्मा को समर्पित
चित्र गूगल से साभार
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग पोस्टों का किंछाव - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआपने याद को प्रविष्टि के लायक समझा ब्लॉग बुलेटिन परिवार को सादर अभिवादन और आभार
Delete'चंदामामा दूर के' को आपकी यादों ने करीब अनुभूत करा दिया.
ReplyDeleteसर जी बचपन के कुछ क्षणों को अंकित करने का प्रयास आपने सराहा आभार
Deleteजीवन के आपाधापी में बस
ReplyDeleteयही रंग पल पल आयेगा
माँ रोज कहानी सुनाती है
बेटा आज चंदामामा आयेगा...बचपन के कुछ यादगार पल..बहुत सुन्दर..
ReplyDelete.बहुत सुन्दर प्रस्तुति .बधाई . . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
धन्यवाद बाबु साहब, आपने मुझ अकिंचन को इस लायक समझा. सुभ संझा
ReplyDeleteललित भाई आप ब्लॉग जगत पर ही नहीं हमारे दिल पर भी यायावर बन राज करते हैं
Deleteआपके यायावरी को समर्पित मेरा प्रेम ***********
पुरानी यादों में ले गयी आपकी पंक्तियाँ , सुन्दर रचना
ReplyDeleteचंदा मामा अब दूर नही रहे पर आनंद तभी था जब दूर थे
बचपन की स्मृतियों को जगाते..कोमल भाव..
ReplyDeletePrashnakul rachna sawal dher se jawab nahi ki chanda mama kab ayega
ReplyDeleteआदरणीय आपका प्रेम बरसा हम भी बैठे हैं इंतजार में चंदामामा कब आएगा ? भले ही माँ ने कह दिया बेटा चंदामामा आयेगा
Deleteशरारती बच्चे थे लगता है बचपन में :)
ReplyDeleteबधाई !
आदरणीय सतीश भाई साहब आपका प्रेम बरसा आभार , वास्तव में अम्मा का दुलार ज्यादा मिला तो बचपन मज़े में रहा , नौ मामा में एक ही छोटे भांजा रहे ...
Deleteजीवन के आपाधापी में बस
ReplyDeleteयही रंग पल पल आयेगा
माँ रोज कहानी सुनाती है
बेटा आज चंदामामा आयेगा ..
सच तो ये है की रोज़ आता ही है चंदामामा ... आसमां पे और कितनी यादों के साथ कागज़ पे ... शब्द बन के ... शायद यही है जीवन की आपाधापी ...
yado ki potali ka behatareen khazana, smritio ke aanchal se jhankti prastuti
ReplyDeleteजीवन की बहुत सी इच्छाएँ मृग मरीचिका सी ही तो होती हैं.
ReplyDeleteउम्मीद बाधे रखती हैं...देर तक दूर तक..हर दिन हर पल...
सुप्रभात अल्पना वर्मा जी आपकी टिपण्णी और मेल ने सदा मार्गदर्शन दिया आपने सच कहा आपको सादर नमन
Deleteआपने तो बचपन की गलियों की सैर करा दी। खूब आनन्द आया।
ReplyDeleteपिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
ReplyDeleteकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (8) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जीवन के आपाधापी में बस
ReplyDeleteयही रंग पल पल आयेगा
माँ रोज कहानी सुनाती है
बेटा आज चंदामामा आयेगा .... क्या बात है, माँ की कहानियों का जादू ताउम्र साथ चलता है