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माँ रोज कहानी सुनाती है बेटा आज चंदामामा आयेगा |
ले भी गया तो क्या पायेगा?
कुछ ही पलों में वो हमसे
परेशान हैरान हो जायेगा
बिना मुस्कुराये हमें वापस
अकेला राह पर छोड़ जायेगा
उपर उछालोगे तो बालक
आँखें मींचकर गाना ही गायेगा?
सोचते हो पानी गिरेगा तो?
शानू दौड़कर छाता ही लायेगा?
हम जीते हैं रोज इसी धूप में
और बिखर जाती है छाँव कब?
जीवन के आपाधापी में बस
यही रंग पल पल आयेगा
माँ रोज कहानी सुनाती है
बेटा आज चंदामामा आयेगा
पुनः प्रकाशन २१ अक्टूबर २०१० को लिखी रचना का
जिसका प्रकाशन १६ जनवरी शरद पूर्णिमा को।
ललित डॉट कॉम के सर्जक ब्लॉ.ललित शर्मा की एक मात्र टिपण्णी
यायावर ब्लॉ.ललित शर्मा को समर्पित
चित्र गूगल से साभार