गुरुकुल ५

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Friday, 19 April 2013

सादगी



*
सादगी अच्छी है
विचार ऊँचे हैं
स्वागत करते हैं
बशर्ते
इस पर कोई हँसे नहीं
वरना ये सादगी बदल जाती है
छिछोरेपन में
तुम मानो न मानो
लोग ऐसा ही कहते हैं

**
बंद कर मुट्ठी
चले आये यहां
बंद कर मुट्ठी
कल चले जाओगे
खोलकर मुट्ठी
गर बैठे उम्र भर
सोचो
तन्हा बैठोगे?
तन्हा चले जाओगे?

***
कैसा मातम
कैसी तन्हाई
तेरे जाने पर
कैसी ख़ुशी
ऐसा आलम
तेरे आने पर
ये मैं जानूं
या तू जाने

****
तुझसे मिलना भी
कसकता है
बिछड़ना होगा
फिर भी
इंतजार रहता है
मैं तेरा इंतजार करता हूँ
मैं तेरा इंतजार करता हूँ

चित्र गूगल से साभार
तथागत ब्लॉग के सर्जक
श्री राजेश कुमार सिंह को समर्पित

20 comments:

  1. तुझसे मिलना भी
    कसकता है
    बिछड़ना होगा
    फिर भी
    इंतजार रहता है,,,,
    बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,रमाकांत जी,,,सभी रचनाए पसंद आई ,,बधाई
    RECENT POST : प्यार में दर्द है,

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  2. सुंदर पंक्तियाँ...मन की पीड़ा का भाव ऐसा भी....

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  3. गहन भाव लिए सारी क्षणिकाएं... सुंदर प्रस्तुति

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  4. सभी क्षणिकाएँ बहुत अच्छी हैं ..वास्तविकता का आईना हो जैसे ..

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  5. dil ke bhaw ...ko bakhubi darshaaya hai ......shabd chitran se .....

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  6. बहुत सुंदर क्षणिकाएं ...

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  7. बहुत सुंदर क्षणिकाएं ...

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  8. अच्छी क्षणिकाएं हैं।

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  9. तन्हाई सच्ची साथी, पढ़ लेती मन की पाती
    गहन भाव... आभार

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  10. भावपूर्ण लघु कवितायें..आभार !

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  11. सादगी चिकारा मा दिखथे,
    गिटार मा नई दिखय।

    सुग्घर लिखे हस गौ।
    राम राम

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  12. कैसा मातम
    कैसी तन्हाई

    सचमुच दुनिया है फानी

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  13. बहुत दिनों बाद इस फार्म में लौटे आप.

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  14. दार्शनिक भाव... सुंदर क्षणिकाएं .

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  15. मिलन के साथ विछोह तो आता ही है ... बस समय की प्रतीक्षा ही रहती है ... ओर उस प्रतीक्षा में कई बार आनंद भूल जाते हैं मिलन का ...
    सभी क्षणिकाएं लाजवाब हैं ..

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  16. बहुत सुंदर और गहरे भाव लिए रचना .....

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  17. ये सादगी मार डालेगी :)

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  18. बेहद गहन भाव लिये अनुपम प्रस्‍तुति ....

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  19. सुन्दर भावाभिव्यक्ति । चुन-चुन के एक-एक शब्द का प्रयोग किया गया है । प्राञ्जल प्रस्तुति ।

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