गुरुकुल ५

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Wednesday, 24 April 2013

अगला जन्म

मेरी ज़िन्दगी तेरे बिन ज़िन्दगी?


आसमान से एक परी उतरी
मैंने परी से कहा

तुम मेरी ज़िन्दगी हो


मैं तुम्हे बेइन्तहा प्यार करता हूँ
परी ने कहा मुझे मालूम है

परी ने अचानक एक दिन कहा

मुझे लगता है
अब मेरे जाने का वक़्त आ गया

कहाँ?

जहाँ से मैं आई थी

मैंने कहा
एक वादा करो

तुम्हारा अगला जन्म मेरे लिये
उसने कहा क्यों नहीं?

वादा रहा

अगला जन्म आपके लिये ही

इस स्वार्थी दुनिया में
इतना टूटकर आज चाहता कौन है?

१० अप्रेल २०१३
समर्पित मेरी ज़िन्दगी को

चित्र गूगल से साभार



13 comments:

  1. मौन की भी भाषा होती है।
    मर्मस्पर्शी।
    शुभकामनायें भाई जी।

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  2. हृदयस्पर्शी ...भावप्रवण रचना

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  3. घटनाएं याद आती हैं , उम्मीदें रहती है !!

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  4. चाहतों का कोई दौर नहीं होता....
    सुन्दर भाव..

    अनु

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  5. सुंदर भावयुक्त कृति...

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  6. पारियों की मुसीबत! :-)

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  7. बहुत भाव पूर्ण रचना ...!!

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  8. आपकी जिन्‍दगी को भारी न पड़ने लगे इतना समर्पण.

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  9. एक सच्चा वादा और वादे का एतबार ही तो प्यार है... बहुत सुन्दर भाव...शुभकामनायें

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  10. bahut sunder pyar ki bhasha

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  11. bahut hi gahan nishtha bhaw .......warna log ak janam me hi nahi nibha paate ....

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    1. आदरणीया आपने मन की बात पढ़ ली सच कहा आपने

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