१ *
सींचकर अश्क-खूं तेरा प्यार दिल में पाला है
तेरी मर्ज़ी है पनपने दे या तोड़ दे मेरी खातिर
२ **
तेरी यादें तेरा एहसास कैसे मखमली हैं?
मैंने जाना ये कसकती हैं प्यार के बाद
३***
हवा का रुख बदल जाये ऐसी तासीर अपना लो
के उस तकदीर को पढ़कर खुदा भी मुस्कुरा बैठे
४ ****
मेरी सांसे ये धड़कन मेरा वजूद है फ़क़त तेरी खातिर
तू मुड़कर देख ये आंखें तेरे कदमों के निशां ढूढ़ती हैं
५ *****
सांस रुकती नहीं ये दर्द थमता क्यूं नहीं
यादों ही यादों में बस रात कटती जाती है
०३ मार्च २०१३
समर्पित मेरी * ज़िन्दगी * को
चित्र गूगल से साभार
@ सांस रुकती नहीं ये दर्द थमता क्यूं नहीं
ReplyDeleteयादों ही यादों में बस रात कटती जाती है
- वाह, क्या बात है!
सींचकर (कर) अश्क तेरा प्यार दिल में पाला है
ReplyDeleteतेरी मर्ज़ी है पनपने दे या तोड़ दे मेरी खातिर
महकती यादें ..
आदरणीय सतीश भाई साहब आपके मार्गदर्शन की सदा अपेक्षा है मन के भावों को लिखने का प्रयास करता हूँ आपने जो अपनापन दिया मैं ह्रदय से प्रणाम करता हूँ।सुप्रभात
Deleteसींचकर अश्क-खूं तेरा प्यार दिल में पाला है
तेरी मर्ज़ी है पनपने दे या तोड़ दे मेरी खातिर
मेरी सांसे ये धड़कन मेरा वजूद है फ़क़त तेरी खातिर
ReplyDeleteतू मुड़कर देख ये आंखें तेरे कदमों के निशां ढूढ़ती हैं,,,,
वाह !!!क्या बात है,,,उम्दा शेर, बधाई रमा कान्त जी,,,
बढ़िया है आदरणीय -
ReplyDeleteशुभकामनायें-
बेहतरीन शे'र।
ReplyDeleteकाले बुर्के ने काली कजरारी आँखों को
या खुदा और भी खूबसूरत बना डाला है।
सभी बेहतरीन....
ReplyDeleteसांस रुकती नहीं ये दर्द थमता क्यूं नहीं
यादों ही यादों में बस रात कटती जाती है
लाजवाब...
:-)
ओफ्फोह...
ReplyDeleteबहुत खूब ख़याल हैं.
ReplyDeleteसभी बेहतरीन .
bahut hi behtreen
ReplyDeleteसींचकर अश्क-खूं तेरा प्यार दिल में पाला है
ReplyDeleteतेरी मर्ज़ी है पनपने दे या तोड़ दे मेरी खातिर.
उम्दा और लाज़वाब शेर. जज्बातों को शब्द दे दिए आपने. सुंदर प्रस्तुति.
बहुत उम्दा ..... हर रंग समेटे यादें
ReplyDeleteयादें..यादें..उफ़! ये यादें..
ReplyDeleteमेरी सांसे ये धड़कन मेरा वजूद है फ़क़त तेरी खातिर
ReplyDeleteतू मुड़कर देख ये आंखें तेरे कदमों के निशां ढूढ़ती हैं ...
क्या बात है ... खूबसूरत शेर किसी जाने हुए अजनबी के लिए या ... अपनी जिंदगी के लिए ...
लाजवाब हैं सभी शेर ... समर्पित प्रेम को ...
मेरी सांसे ये धड़कन मेरा वजूद है फ़क़त तेरी खातिर
ReplyDeleteतू मुड़कर देख ये आंखें तेरे कदमों के निशां ढूढ़ती हैं
...वाह! लाज़वाब ...
ReplyDeleteहवा का रुख बदल जाये ऐसी तासीर अपना लो
के उस तकदीर को पढ़कर खुदा भी मुस्कुरा बैठे
...वाह !!! रमाकांत जी कितनी खूबसूरत बात कही है
फ़तवे वाला काम कर रखा है गूगल ने तो :)
ReplyDeleteइन खोये हुए आंसुओं से शिकायत मुझे भी है
ReplyDeleteतेरी इस तनहा जिन्दगी से शिकायत मुझे भी है
तू अगर नाज़ुक है तो पत्थर मैं भी नहीं
तन्हाई में रो देने की आदत मुझे भी है
लिखते रहें बाबू साहब. आपकी पोस्ट का इंतज़ार रहता है काफी दिनों से विक्रम और वेताल की मुलाकात नहीं हो पाई.संभवतः विधान सभा सत्र के चलते