चुनी खुद राह अपनी फिर नज़रें नीची क्यूं हैं? शर्मिंदगी फैसले पर या जहां को जान लिया? |
धर्म का धारण?
निजता की चाह?
धर्म धारण बार बार?
धर्म वरण वा परिवर्तन?
सजातीय विवाह में धर्म उल्लंघन?
वस्त्र की भांति बदलना न्याय संगत?
शास्त्रीय, लौकिक, व्यक्तिगत वा वैचारिक
परम्परागत, परिपक्व,
चिन्तनशील मेधा बने
निर्णायक और वाहक धर्म ध्वजा का?
एक धर्म का ज्ञान पूर्ण?
पश्चात् दुसरे धर्म का आश्रय ज्ञानार्जन में?
या बदलाव और तृप्ति के लिये?
किसी संकल्प या बहकावे में?
सभी धर्मों से निम्न पाया निज धर्म को?
धर्म निरपेक्ष जननी से पाई अनुमति?
दो अलग धर्मों की आत्मा एक संग?
संग संग विचरण, निर्वहन, निर्विकार भाव से?
चलो माना होगा सब सम्भव
दो विपरीत ध्रुवों का होगा अटूट बंधन?
एक नई सोच
धर्म ध्वज फहराने?
दे दें आहुति जीवन की?
धर्म भीरु बन?
या संभावनाओं पर?
कर दें अर्पण?
समय की मांग है?
बदलते मानदण्ड पर?
नई राह की खोज में?
जियो और जीने दो की चाह में?
नये युग के सूत्र पात्र में?
भुगत लेंगे?
सकारात्मक या नकारात्मक?
स्वेछाचारिता का फल भोगने?
स्वच्छंद उड़ने गगन में
बसाने अंतरिक्ष में नीड़
निज विवेक से?
अहम् की तुष्टि में?
कर लें गठबंधन?
अनमोल जीवन का?
बन जायें बरगद***
१२ मार्च २०१३
क्रमशः *ये रिश्तों की कड़ी है
*ये मेरी सोच का एक और पहलू
*अगली कड़ी में रिश्ते
समर्पित युवा पीढ़ी को जो सजातीय और विजातीय
प्रेम विवाह में विश्वास रखते हैं
चित्र गूगल से साभार
सुंदर प्रासंगिक रचना
ReplyDeleteसवाल ही जवाब हैं.
ReplyDeleteकठिन सवाल हैं ...
ReplyDeleteनिज विवेक से?
ReplyDeleteअहम् की तुष्टि में?
कर लें गठबंधन?
अनमोल जीवन का?
बन जायें बरगद***
वाह ... बेहतरीन
प्रश्न प्रश्न प्रश्न ... पर जब सब कुछ प्रेम पे आ के टिकता हो तो प्रश्न कहाँ रह जाता है ... ओर जो प्रेम नहीं होता वो विवाह, धर्म, बंधन कहाँ रह जाता है ...
ReplyDeleteविवाह प्रेम की परिणति है..प्रेम सबसे बड़ा धर्म है..
ReplyDeleteसामाजिक स्थिति कहाँ इतनी बदली है कि आज के समय में भी दो धर्मों में विवाह एक सामान्य बात लगे?
ReplyDeleteप्रश्न से प्रश्न निकलते जायेंगे मगर हर प्रश्न का उत्तर मिलना कठिन है.
निज विवेक से?
ReplyDeleteअहम् की तुष्टि में?
कर लें गठबंधन?
अनमोल जीवन का?
,,,,सुंदर प्रासंगिक अभिव्यक्ति,,,
Recent post: होरी नही सुहाय,
बेहतरीन अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबदलते परिवेश में बदलती सोच,कई बार प्रश्न चिन्ह बन जाते है..
ReplyDeleteआखिर सवालों के बीच भी बहता हुआ जीवन..
ReplyDelete