गुरुकुल ५

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Friday, 8 March 2013

मौलिकता बनाम परिवर्तन 1



बचपन में किसी विद्वान का कहा वाक्य सुना

** सुन्दर सजी किन्तु अश्लील पुस्तक और रूपवती वेश्या **
कभी भी सम्मान के पात्र नहीं बन पाते चाहे लाख जतन करो।

कोई भी देश, प्रदेश, जिला, तहसील, गाँव, और उसमें बसने वाली
जाति, वर्ग, समुदाय, जीव या कोई भी महान जीवित या मृत वस्तु
अपनी मौलिकता के लिये जाना और पहचाना जाता है
जो उसे ईश्वर की अनुपम एक मात्र कृति के रूप में स्थापित करता है।

प्रत्येक जाति की परम्परा, रीति रिवाज, खान पान, रहन सहन,
जीवन दर्शन, मूल्य, आदर्श, नीति, नियम, का नियत स्थान है?
जिसे बदलना संभव ही नहीं है और बदलने का औचित्य श्रेष्ठ?
तर्क के लिये तर्क, रात काली करने के लिये बातें उचित माने?

मूल्यवान से मूल्यवान कोहिनूर हीरा को लें या आक्सीजन
अपने केंद्र में निश्चित इलेक्ट्रान, प्रोटान, और न्युट्रान संग
एक निर्धारित चक्र में, एक नियमबद्ध मौलिक क्रम में स्थित
क्रम, चक्र, उर्जा, स्थान और उसके घटक ही बनाते हैं *हीरा*

आन, बान, शान ही निर्धारित करते हैं जीवन मूल्य?
मूल्यवान वस्तु के साथ मूल्यहीन वस्तु को मिला दें
मूल्यवान वस्तु अपना मूल्य स्वयमेव खो देती है?
माना कि मिला दिये गये तो बंध प्राकृतिक चिर स्थाई?

संश्लेषित कर दिया गया हाइड्रोजन और आक्सीजन?
अब मिलकर दोनों तत्व बन गये जल, स्वाद, रंग, गंधहीन?
विलोपित हो गए गुणधर्म दोनों महान तत्वों के क्षण में?
करो जतन विश्लेषण के जब तुम्हे ज़रूरत तुम्हारी?

माना कि जल ही जीवन है, जल जीवन का आधार है।
बिन पानी सब सून, श्रृष्टि जल मग्न हो गई तब?
जल प्लावन पश्चात् जीव एक कोशीय अमीबा?
करते रहो जीवन पर्यन्त प्रयोग पीढ़ी दर पीढ़ी

अन्वेषण, जीवन लक्षणों की व्याख्या और समीक्षा?

जल प्यास बुझायेगा, संदेह उत्तम विलायक है?
शक्कर, नमक से लेकर जहर तक घोल डालेगा स्वयं में?
लोक कल्याण में कैसी भूमिका सम सामयिक?
अथवा प्रजातांत्रिक अपने ही अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह?

मान लो जल प्रदूषित हो गया जल निर्मल रह पायेगा?
कितनी और कौन कौन सी संक्रामक बिमारियों का
संवहन और संचरण किन स्वस्थ प्रजातियों पर होगा?
तब इस प्रयोग, संश्लेषण, विश्लेषण पर आत्म ग्लानि?

यदि हम ५ रूपया प्रति किलो के टमाटर को छांट सकते हैं?
तो विश्व कल्याण के लिए अनुभूत जीवन दर्शन क्यों नहीं?

जिस समाज, माता, पिता, सगे संबंधियों, हितचिंतकों की
छाया में पले, बढ़े, आश्रय पाया कर दें अनसुनी अपनों की?

हम क्या कर रहे हैं ज़रा दिल पर रखें हाथ करें विचार?

क्रमशः
*ये रिश्तों की कड़ी है
*मेरी सोच का एक पहलू
*अगली कड़ी में रिश्ते
*फिर एक नई सोच
समर्पित युवा पीढ़ी को जो सजातीय और विजातीय
प्रेम विवाह में विश्वास रखते हैं
चित्र गूगल से साभार         

14 comments:

  1. वाह। पोस्‍ट का प्रत्‍येक अंश शानदार विचार। चिन्‍तन करने के लिए उकसानेवाला। अच्‍छा लगा।

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  2. वैज्ञानिक चिंतन करती ,साथ ही कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती हुई सार्थक कविता .

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  3. विद्वानों ने जो कहा वहा सच कहा,सार्थक बेहतरीन पोस्ट ,रमाकांत जी आभार,,,

    Recent post: रंग गुलाल है यारो,

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  4. लाजवाब रचना...बहुत बहुत बधाई...

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  5. अत्युत्तम !
    जब पांच रुपये किलो टमाटर भी हम छाँट कर लेते हैं, फिर विश्व कल्याण के लिए आत्मावलोकन से परहेज़ क्यों ??

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  6. सार्थक विचार, सधी, अर्थपूर्ण रचना

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  7. बेहतरीन पोस्ट ...
    आभार आपका !

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  8. well settled principle
    energy neither generated nor destroyed only transformed from one to other
    it confirms your post

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  9. अन्वेषण, जीवन लक्षणों की व्याख्या और समीक्षा...
    गहन अर्थपूर्ण रचना... आभार

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  10. यथार्थ की परों को उकेरती सुन्दर प्रस्तुति

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  11. महत्वपूर्ण समस्याओं का उत्तर तलाशती शानदार प्रस्तुति.

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  12. गहन, सघन चिंतन.

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  13. अर्थपूर्ण गहन रचना.

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