गुरुकुल ५
Monday, 19 March 2012
बोलती बंद
आज भी वे खड़े हैं
मौन
स्तब्ध
हमें इन्होंने देखा है
आज से कल
और कल से आज में
बदलते हुए
इसी राह पर
आते हुए, जाते हुए
और सच कहूं तो
गुजरते हुए
गुजरा हुआ कल
बनते हुए
आज हम फिर इन राहों पर
गुजरते हुए
जब अपने भविष्य के
तानों बानों में उलझे हुए हैं
जब इतिहास रचने की
कल्पना संजोते हुए गुजरते हैं
तब यही पेड़, नदियां, पर्वत
झरने और पुल
मौन रहकर भी कहते हैं
मैने देखा है तेरा आज
इतिहास में बदलते हुए
कभी-कभी
मैं सोचती हूं
ये हमें चिढ़ाकर कह रहे हैं
कि तू सिर्फ
इतिहास रचने वाला है
मैं तो इतिहास साक्षी हूं।
मैने ही देखा है सभी की
बोलती बंद होते हुए
चित्र गूगल से साभार
रमाकांत सिंह 19/03/2012
मेरी जिंदगी की जबानी कही
एक सच्ची कहानी उसे ही समर्पित
जो मेरे इमान और जान से भी ज्यादा कीमती है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत खूब भाई ||
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!!!
ReplyDeleteबेहतरीन अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,......
ReplyDeleteमैने देखा है तेरा आज
इतिहास में बदलते हुए
कभी-कभी
मैं सोचती हूं
ये हमें चिढ़ाकर कह रहे हैं
कि तू सिर्फ
इतिहास रचने वाला है
मैं तो इतिहास साक्षी हूं।
मैने ही देखा है सभी की
बोलती बंद होते हुए
MY RESENT POST... फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....
यह तो चुप की दहाड़ जैसी है.
ReplyDeleteसुन्दर रचना |
ReplyDeleteमैने देखा है तेरा आज
ReplyDeleteइतिहास में बदलते हुए
कभी-कभी
मैं सोचती हूं
ये हमें चिढ़ाकर कह रहे हैं
कि तू सिर्फ
इतिहास रचने वाला है
मैं तो इतिहास साक्षी हूं।
मैने ही देखा है सभी की
बोलती बंद होते हुए... वाह, अदभुत भाव संयोजन
अपने में बहुत कुछ छुपाये सुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteहार्दिक बधाई.
सुन्दर
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति...
जब इतिहास रचने की
ReplyDeleteकल्पना संजोते हुए गुजरते हैं
तब यही पेड़, नदियां, पर्वत
झरने और पुल
मौन रहकर भी कहते हैं
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
बहुत उम्दा .....
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDelete
ReplyDelete♥
बहुत सुंदर कविता लिखी है आपने.
बधाई !
अंतर्मन की खामोशी बोल पड़ी.....वाह !!!!!!!!!
ReplyDelete