गुरुकुल ५

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Sunday, 11 March 2012

भेड़िया

बहुत कठिन है
भेड़ों के बीच
भेड़ खोज पाना।

भेड़ों के बीच भेड़
भेड़ ही
खोजना जानता है

और बार-बार
खोज लेता है गड़रिया

या फिर खोज निकालता है
घात लगाकर भेड़िया

जन्म से
मैं भेड़ हूं नहीं

भेड़ों के बीच रहकर भी
रेवड़ में
गड़रिया बन नहीं पाया

और
बन गया तो?




रमाकांत सिंह 26/02/2007

12 comments:

  1. भेड़ को पाले गड़ेरिया |
    भेड़ को खा ले उ भेड़िया |
    बनो तो गड़ेरिया --
    ना क़ि भेड़िया ||

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  2. भेंड़ ही
    खोजना जानता है
    और बार-बार
    खोज लेता है गड़रिया
    या फिर खोज निकालता है
    घात लगाकर भेडि़या...

    MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...

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  3. और भेड़ की खाल में हैं भेडिये....
    कमाल की प्रस्तुति ...गहरे अर्थ लिए.

    बधाई...

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  4. भेड़िया बनना रोमांच कारी है लेकिन भेड़िये का जीवन सुखद नही

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  5. गहन भाव लिए ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  6. बहुत गहरे भाव लिये सुंदर रचना !

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  7. लाजवाब, अनूठी और सार्थक अभिव्‍यक्ति.

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  8. भेडिया तुरत खाता है
    गड़ेडिया सीजन में बाल काटने आता है
    मन या जरुरत होने पर मार कर खाता है
    भेड़ों की लाचारी ...भेडिया या गड़ेडिया

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  9. सुंदर रचना ..

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  10. ........सार्थक अभिव्‍यक्ति

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