भेड़िया
बहुत कठिन है
भेड़ों के बीच
भेड़ खोज पाना।
भेड़ों के बीच भेड़
भेड़ ही
खोजना जानता है
और बार-बार
खोज लेता है गड़रिया
या फिर खोज निकालता है
घात लगाकर भेड़िया
जन्म से
मैं भेड़ हूं नहीं
भेड़ों के बीच रहकर भी
रेवड़ में
गड़रिया बन नहीं पाया
और
बन गया तो?
रमाकांत सिंह 26/02/2007
भेड़ को पाले गड़ेरिया |
ReplyDeleteभेड़ को खा ले उ भेड़िया |
बनो तो गड़ेरिया --
ना क़ि भेड़िया ||
भेंड़ ही
ReplyDeleteखोजना जानता है
और बार-बार
खोज लेता है गड़रिया
या फिर खोज निकालता है
घात लगाकर भेडि़या...
MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...
और भेड़ की खाल में हैं भेडिये....
ReplyDeleteकमाल की प्रस्तुति ...गहरे अर्थ लिए.
बधाई...
भेड़िया बनना रोमांच कारी है लेकिन भेड़िये का जीवन सुखद नही
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
गहन भाव लिए ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत गहरे भाव लिये सुंदर रचना !
ReplyDeleteलाजवाब, अनूठी और सार्थक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteभेडिया तुरत खाता है
ReplyDeleteगड़ेडिया सीजन में बाल काटने आता है
मन या जरुरत होने पर मार कर खाता है
भेड़ों की लाचारी ...भेडिया या गड़ेडिया
सुंदर रचना ..
ReplyDelete........सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ।
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