भूत चढ़े रहिस आये पहुना पहि के आगू म
ससुर के छै मसि रहिस गांव म....
ठीक १२बजे टक टक ले माथा म परत रहिस घाम
उघर के माथा के अंचरा , ललिया गे गाल, गिरगे अँगना म
छटकगे आँखि, कांपे बर धर लिस गोड़, एकेच घरी म आइच्छिन मातगे ,चढ़गे रमशील्ला गौंटिन के आँखि .....
एकेच घरी म देखा देखा होगे.....
आगे बइगा मंतरा झाड़, फूंक, दिया, बाती, सेंदुर बन्दन सब चढ़गे देखते देखत..... भंजागे सांट....सांय सांय....
१७ बछर के चढ़े भूत एक दिन एक घरी म कहाँ उतरय
तमासा जुरगे गाँव अंदोहल होगे ,,,, रमशील्ला बहुरिया
बइगा संग जन्मेजय बाबू के सटा सट रहपट ...
अनगिनत लात तेकर संग पुरौनी गारी ......
फेर बाह रे भूत बरोबरि म चलत फरकत मुंह तेमा दाई महतारी के खिक खिक गारी अजलेम होगे ...
दु बजत ले चलिस लेन देन गारी आउ मार के
फेनकुर चुहगे बइगा आउ भूत के जस मार तस गारी
लटपट म थिराइस पचासी हजार के बरछा के भूत ....
ओतो उतरे रहिस साढ़े छै एकड़ बरछा के डूमर पेंड़ ले
दु फसली नार के बरछा बेंचाये रहिस टूरि के बिहा म
सरेहन रोंनटाही आय
कोदन गौंटिया के बेटा सियामु पढ़ लिखके नौकरी धर डारे रहिस, ठीक महाशिवरात्रि के शीरीनरायन के मेला म भेंट होगये रहिस सलिता के गड़गे आँखि बेटी बर टुरा ऊपर
राधे गौटिया ल कर दिस हलाकान रात दिन खात पियत
बेटी के खातिर देबिदीन महाराज ल सोरियात गईन
महाराज तुंहर करा आये हंव गुरु...
बोला जजमान काय हुकुम हवय....
बेटी सियान होत हवय ओकर दाई कहत रहिस के....
बने चर फोरी करके कहा बतावा एमा काय लाज बात
कोदन गौटिया घर सोर कतेंन जी ...
का होही चला कोंहुँ दिन बादर देख के चला चली
चार दिन के रहे ले फंदागे गाड़ी बईला , संझवाती बईला ढिलाईस कोदन गौटिया के कोठार म
सोर ले के पहुंचगे नाउ घना राम बिहाव के...
बड़ आव भगत होइस राहेर के महकत दार , कुंड़ेरा के दूध, दुबराज के भात, इंढ़र के मसलहा, जिमीकांदा के अमटहा, बरी, बिजौरी सब छना गे फेर धूरु पर गे बिहा के गोठ, फर नई परिस रात के बिहाव के सोर अवाई ।
अल्थी कलथि मारत रात कटिस ....
बड़े झूल झुलहा फंदागे गाड़ी बईला घर वापसी के
मन म माढ़गे मईल काबर नहीं कही दिस ....
बहाना रहिस चार आगर चार कोरी ....
लईका आउ पढीहां कथें हो, फेर ओकर ममा मामी ल पूछे बर परही, आउ अभी सियामु के उमर घला छोटे हवय जी,
तूंहला नहीं नई कहत हन फेर आज काल के लईका ल जानत ह न काय करिहा, सब्बो म ह के जगा म न रहिस ।
अंध मन्धात घर आईस फेर उतारिस आरती सलिता के
चार दिन गोठ बात एकदम बंद ....
घर ले खेत खेत ले घर खोर घला नई सुहाईस
फेर कहाँ जाबे रे धमना किन्दर बुल के ई अँगना
रात के बेरा फेर सुरु होगे डौकी के खोलनी
ह जी एक घानी फेर जा देखता हो बेटी तो तुंहर आय न
कलकुत उपर कलकुत आउ नैना मुताई....
टेघलगे मन आउ का....फेर सोरी डोरी सुरु होगे
कोदन गौटिया कान पूछी डोलाबे नई करय
" काय मन होइस एक दिन गांधी जी धर के गईस ,,
लड़की के गुन दुगुन होगे, झरकटही टूरि एकदम गऊ होगे
खुलबूटिया लड़की होगे कटरीना, रिकीम रिकीम के गुन
लक्ष्मी ह गांधी जी बनके सब गुन ल दुगुन कर दिस....
ओहो कोदन दाऊ मंगन होगे कलेचुप धरिस गांधी जी ल
पचासी हजार म साढ़े छै एकर दु फसली बरछा ल बेचे रहिस राधे श्याम बेटी की बिहाव बर .....
जलेश्वर भाई हमर गांव ले गए रहिस पागा बांधके
बड़ स्वागत सत्कार होए रहिस ओ बिहाव म
खांटी नोट के सेवाद महके रहिस फटक्का आउ बस म
फेर राधे के आँखि म आंसू आ गए रहिस रजिस्ट्री के बेरा म अंगठा लगाइस त ।
टूरि रमशील्ला धरे रहिस आंसू ल बाप के...ससुर आउ सास मरगे खुरच के न आइस न आये दिस डउका लईका ल ओमन के जियत ले ,,,,
बाँहचें खोंचे म मार खाइस त खाइस ....
फेर सात पीढ़ी के जात ले उंकर नेंह म पानी डारके थिराइस %भूत%
मने मन आज घलो गुनथौं ????
सिरतोन अईसनहा होत होही कहूँ ***भूत रोंनटाही***
२५ फरवरी २०२४
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