गरोंसा खेत म अंकरस के नांगर फंदाथे जेठ म
तिंवरा, बटूरा, अंकरी लुवा जाथे तेकर बाद राम जी ।
ओल नई आवय हप कन आउ खरकगे त पुर गे ।
उजिर तला के खाल्हे होलहा खेत म हर साल बाउग म
बदल बदल के बोवाइस कभू बादशाह भोग, लुचाई, तुलसी मंजरी, गुरमटीया, बोहिता, आउ दुबराज घलो ।
करगहा खेत म बोवाइस नांग केसर के पलटू, सुलटू
हर बरिस मटासी खार के टिकरा म जल्दी ओनार देंवय करहेनी ल । आउ डोंड़संहुँ टिकरा म राहेर तिल ल ।
भर्री ल बंचाके राखय बर्रे बर, चारेच दिन के रखवारी लागय भाजी के पोठात ले फेर गरूआ के तरुआ घलो छिला जाथे खाये म । बोएँ बर परथे कोदो कुटकी ल नई जामय लमेरा अंकरी कस अरसी घलो ह ।
तईहा जम्मो फसल ह रहिस सरग के भरोसा
मालिक बरसा दिस त होगे खाये पिये बर नहीं त परगे अंकाल, आजकाल गांव के रद्दा बनगे नहर... बोहागे चारों मुड़ा गंगा कस धार पानी, एक एकड़ म लुवत हे 30 बोरा आउ जुन्ना बेरा म एक गाड़ा होंगे त बड़े किसान आय ।
आजकाल आ गे किसिम किसिम के धन कुट्टी मसीन
पहिली मलरहीन संग आवय चमकुलिया कोनरहीन
कई पईंत ले ढेंकी के मूसर म खोवत ठेंसा जावय हाथ ह
ढेंकी चलत हे चूईं चूईं ढकर ढिकिर बहुरिया मंगन हवय
पटउन्हा के कड़ी म ओरमे बाँख के डोरी ल डेरी जेवनी अदला बदली करत गोड़ आउ हाथ घलो ल फेर गोड़ चलत हे डेरी जेवनी लुहकी मारत ।
संगे संग चलत हे परोसी घर के चारी ...आउ ए दे चूक गे
ठेंसागे थोथना आउ मुड़ी संग हाथ कोनरहीन के होगे कलदप देखा- देखा बन्धागे रोचन हाथ म ।
सोझे म नई कंहय ए ल अन्न कुंआरी
ढेंकी म कूटा के देंह के मांस ल हेरके मिठा जाथे
अन्न कुंआरी के देंह के सब्बो जिनिस के महत्तम हवय
भूंसा निकलगे ते ह डरागे कौड़ा म बनगे पलपला
हम तो बड़ खाये हन पलपला के भूंजाय कांदा कुसा, पताल, गोंदली, ढुलेना कांदा, और लाल सादा कांदा
सूपा म फुनागे कौंढ़ा, बलही गाय के कोटना म डरागे,
ए बरिस काय होगे कूटत म चाउर टूट गे , कनकी निकलगे
फेर दुबराज के चाउर बोएँ म महकिस ते अलग, छटकत, कूटत चुरत संग पसिया घलो चार घर के जात ले गमकगे
रिसदीहिन भौजी के हाथ के चीला होवय के चुनी के अंगाकर मरिसा क... के भौंता के दाना परे गुर संग सरग के फर कस मिठा जाथे संग होगे बलही गाय के घी का कहने , दाऊ बड़े ददा तो अंगाकर ल मिरचा आउ लसुन के चटनी संग सुसुआ सुसुआ के नाक बोहात ले रपेट थे ।
मलरहीन आउ कोनरहीन सकेल के चल दिन सब्बो ल
सकेल के टुकना बोरी म ठेस के ,,, परे रहिगे एक ठन दौरी म मुसुआ लेण्डी संग चाउर के बाँहचन .....
माताराम ल देखें बुता करत अकबका गयें
थोरकन रिस म कहें
काय करत हस ओ तोर जांगर टोरे बिन मन नई माढ़य
कुछु नो हय बाबू चाउर ल निमारत हव ग
माताराम ए म काबर थकत हस ओ
आउ ए ह काय आय
बाबू ए ह बड़ महत्तम के जिनिस *** मेरखू *** आय
ऐ ह तोरे जात के जिनिस आय ग मेरखू ददा मेरखू
तहूँ माताराम मुड़ पिरोत हस डार दे गरूआ ल खाहि
मुसुआ लेण्डी ल बिन के काय परमारथ कर डारबे ओ
नो हय बाबू मेरखू ह अकारथ
आ बीने लाग फेर देख के नकुआ ल झन टोरबे
देखें धान के बीज ल ओकर आधा झरे फोकला संग
चाउर के लाल लाल खर्री नई निकरे रहिस
ढेंकी म बने गत के नई कुटाय रहिस ।
फेर एकदम आरुग चाउर के दाना सोंगर-मोंगर
नई टूटे हे ओखर टुंड़ी .....
माताराम संग बीनें 1,00,000 दाना *** मेरखू ***
ई ही सईघो चाउर चढीस लखनेश्वर मंदिर खरौद म
नई मिठावय मेरखू कतको कन छर ले
इही किसिम के मनषे घलो मन ओहि बंश के आय फेर जे ह चढ़थे भगवान के माथा म ....मिठावय के झन मिठाय ।
ओई हर आय ......मेरखू
सब्बो ओई फेर ***** मेरखू ***** सबले अलग
बने चुराये बर परथे, ठाड़ रही जाथे, पेट के मसकत ले खा दे त पेट पिरि हो जाथे ।।
सुनें बबा Ravindra Sisodia करा आउ गुनें गुरु
Rahul Kumar Singh संग पछिन निमारके ए दे
सब्बो बड़े मन ल पैलगी आउ संगी मन ल राम राम
बसंत पंचमी के दिन महतारी सरस्वती के चरण बन्दना
No comments:
Post a Comment