नई लेवय छुआ छूत न लेवय लबारी
आन तान करे आउ होगे मरे बिहान
बड़ आँकस आय देबी देंवता कस छां बेटी के घलऊ ....
ए मन के हिरदे हर नरियर आय, एक तो बड़ ऊंच म फरथे
फेर बड़ दिन म पाक थे, पाकगे त टोरे आउ टूटे म दिक्कत
अपन मन के झरथे त गुरतुर अतका कन के गुर के सेवाद ले जादा आउ मुं म गईस त अपन मन के घूरगे ।।
माता दाई गां के रच्छा करईया देबी ..कभू नई जावय नोनी पिला मन ..असुधहा रथे त। बने त बने बिगड़ गे त पुरगे
94 गाँ के मलकियत आउ पागा बंधाये हवय हमर तलवार भंजवईया ठाकुर साहेब मन के कपार म ।।
ऊंच पुर देंह काठी के जवान अपन लाव लस्कर संग आये रहिन के ??? बलाय गे रहिन २५० बछर पहिली , सुनती सुने हवन ददा बबा मन करा । जुन्ना मालिक मन नई सकेले सकीन राज ...बदलत गे .......धीरे धीरे छिनागे...
मालगुजारी आगे हमर करा......
रेंगथे सुरुज संग महतारी के कोंख घलऊ ह .....
ओकरो ले ऊपर बेटा होगे त बंस चलाये बर बने कुल खूंट के बेटी खोज आउ आउ ला अपन भोजहर के देबी कस
बेटी होइस त खोज अपने कस के अपने बेटा कस पोठ छाती के जे ह ओकर दुख सुख ल झेले सकय जिनगी के घाम छां म आउ रेंगय सासत म घला मुसकियात .....
तिलोकचंदी परिवार सुने हन राजा हर्षवर्धन गोतीयार आय
ई हु मन आये रहीन गौटिया मन के सेतिर लड़े बर
रुक गे छत्तीसगढ़ के माटी के मंहक म .....
महानदी, पैरी, सोंढुल, शिवनाथ, इंद्रावती, नर्मदा, अरपा, सबरी, रेनुका, हसदो, मांड़, गनियारी, लीलागर नदिया मन के सुग्घर बोहात पानी धर लिस लईका कस अंचरा ल
फेर काय होगें खुटिहर ई माटी के .....
बर, बिहाव, छट्ठी, छेवारी, मरनी, हरनी, हमन के छोंड़ किस्सा संग म आय तेली, नाउ बनिया सबके इं कस होगे
लग गे हवा पानी इहाँ के होगे गुर लाटा ...
अब खोज देख कोंहुँ जात म कोंहुँ जात के गुन
मिंझर गये है गोरस आउ गंगा कस जल एक दूसर म
ए दे कहाँ राजिम ले बोहात बोहात ए दे पहुच गयें शिवरीनारायण के खंड म ....सुरता आईस ....
बहरतीन दीदी के .....१४ भाई बहिनी म छोटकी नोनी
लटपट बाँहचीस त धरागे नां बहरतीन एक भाई भान सिंह लट सट ओहुँ नांदिस बारा खटकरम करे म ....
बहरतीन नोनी के जस जस उमर बाढ़त गे तस तस ओखर
माथा के अंजोर लकलकाय बर धरिस संसो पेले बर धर लिस दाई ददा ल । व्यास महाराज बनाये रहीन ओखर
जनम दिन के लिखा पढ़ा के कागज पाथर ल
पुरोहित व्यास जी के नता गोता आय ढाबा दत्त महाराज
दुनो पुरोहित मने मन म गुनिन फेर सोर सुना दिन
चंदेल परिवार म मालिक मकुंदी सिंह जी के पुरखा ल धरागे लगन पांत आउ बाजा गाजा संग पधारीन मुलमुला गाँ द्वार चार, लाली भाजी खवाई , बारात पघराई संग परिस भाँवर होगे बारात बिदा ....
गमक गे ..... ( कुलपत सिंग ) बइहा गौंटिया के अँगना ...
हमर ममा दाई तिरजुगी दाई बतावय के बहरतीन दीदी गरूआ ल पेज पानी ढ़रवाय जावय त गाय के कान ठाढ़ हो जावय, कमियां, कमईलिन , राउत, नाउ, घर के आये गये मनषे अब बिन संकरी खटखटाये नई खुसरय घर ।
ममा दाई के ननद जानकी दीदी घलो ई गांव के बहुरिया बनके आय रहिस ।
फेर दिन जात बेरा नई लागय समय के पंछी उड़ाके चार बरिस आगू आगे... फेर घर म छट्ठी छेवारी के सोरी डोरी नई मिलिस, अब थोकन घर गरूआगे मनषे मन के कहा सुनी सुरु होगे , बलाईंन ढाबा दत्त महाराज व्यास जी ल देखिन जन्म पतरी ल कोई कलदप नई मिलिस ।
दु बेटी एक बेटा के जोग पट पट ले दिखिस ।
जतका मुं ओतके बात सुन गुनहा सुनाए बर धरिस
मकुंदी मालिक दूसर बिहाव करहिं काय ???
सारे लबारी बगरगे कई कोस ले
लपरहा नाउ सम्मत नान जात उनीस न गुनिस
मिसिर महाराज संग बिन सोर देहे पाये अजार कस ह
हबरगे कुपेचहा बेरा म ....ओकरो ले ओ पार बिन आरो करे दंगरस दंगरस पेल दिस अँगना म ...…
जतका म गौंटिन दाई गोड़ धोये बर पानी देतिस ततका म
सारे रम्मत नाउ उछर डारिस अपन घर आये के सोर....
जगम ले बरगे बहरतीन के देंह , आई छीन आगे , एक घरी म सनसनागे माथा फेर धीरज धरके दीदी रेगिस कोला के फईका ओधाय बेंड़ी चढ़ा दिस त ओहि रेंगना आ गे फेर अंगना म अब धीरे से चढ़गे संकरी भीतरी अँगना के आउ जम जम ले चढ़गे बेंड़ी.....
अब बहरतीन गौंटिन पूछींन मिसिर महाराज के आये के कारन ....जतका म महाराज कुछु मुं फरकातीन लपरहा रम्मत गोठ ल अध्धर ले झोंक के फेर नून मिरचा लगाके
एके सांस म बफल दिस सब्बो बात
गोठ के निकलती होइस आउ बहरतीन गौंटिन के सात फुटिया तेंदू के लऊड़ी चल गे रम्मत के मुंड़ म
थोकन चूकगे दीदी के लाठी के अंदाज़ ह नहीं त ओहि म रम्मत के मुड़ी शिवरीनारायण कस कलिंदर बगर जातिस अँगना म..... रम्मत हाग मूत डारिस "आँकस देबी ,, के
आँखि ल देख के .......मिसिर महाराज हक्का बक्का ...
कहाँ ले बल पुरिस कोन देबि देंवता ल सुमिरिस होही रम्मत ओकर भगवान जानय एके कुलांचा म आठ फुट के खवा ल कूद डारिस , पल्ला होंगे पागी ल धरके कोला, बारी, नरवा, झोरकी कूदत फांदत पहुंच गे खाल्हे राज
नई आईस जनम भर कोसा गाँ चेता दिस सात पीढ़ी ल झन जाहा बिन जाने समझे कोकरो घर.....
बड़ *** आँकस *** आय मुलमुलहिन गौंटिन मन
बछर बीतगे जुन्ना घर टूट गे फेर जइसे अँगना म गोड़ मढ़ाएं मोला लागिस... बहरतींन दीदी रपोट लिस आउ कहिसआ गये रे बाबू रमाकांत.... तोर संगे संग तोर देंह म भेंट होगे ....तोर बाबू बहोरन संग मोर भाई भान सिंह
" आँकस ,, आय महतारी के कोंख जे ह जनम देथे
माघ शुक्ल पाख दशमी दिन सोमवार
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