नासवान आय देंह ह कभू गरब झन कर
कतका बेर अंगना के पानी के फोटका कस फुट जाहि ।
आगि, पानी, भुंइयाँ, सरग, आउ गर्रा धुंका भगवान आय
ए मन संग हेंजवारी आउ दंत निपोरी करेके नोहय गुरु !
पानी पखना म छेदा कर देथे, घोल देथे कतको बड़े ले बड़े जिनिस ल, तेकर करा जूझे मत जा मोर मालिक ।
आगि कोकरो नई होवय ....शंकर जी लट ले निकरे रहिस न ..... आउ पार्वती देबि महादेव के सुआरी आय न..
अपन ददा राजा दच्छ घर गे रहिस फेर हवन म कूदिस त देखे न स्वाहा होगे....राख नई मिलिस.....
.बड़ोरा के चक्कर परे रहिस १९९१ के बछर म अंवरीद गांव ....रुख राई, खपरा छानी गरूआ बछरू संग ढाबा के टिन तलक ह फिलफिलि कस उड़ीयाये रहिस, कुकदिहिन के बछरू कईसे मस्का के मरगे पीपर के थांगा म ।
दलहा म चढ़के हवा ल झन धर अंगौछि म ...थक जाबे ।
बावन बूटी देंवता कस झन लपास गोड़ ल अगास म तोर पाछु ह चीरा जाहि फलक जाहि दु कुटा चर चर ले ।
" नो हय करेके हेंजवारी झन कर हेंकराही
हेंकरहा सुभाव आउ बानी ह बने नो हय ..... ,,
भैंसों गां के रामभजन के बेटा सालिक के देख सुभाव ल
डुडुवा होवय त ...सांस आउ बल के पुरत ले
बोह के ले आवय बोंगरा कस अपन दुस्मन ल अपन पार
कबड्डी थोरे आय के 32 घरी सांस ले फेर लहुट आ
तोर सांस, तोर देंह आउ बल तोर जांगर .....खेल डुडुवा
बरसत सावन के महीना लउकत गरजत म कुटिघाट के नंदिया ल ए पार ले ओ पार हो जावय भर बइहा पूरा घलो मन ल नई डोला पावय कर दय हेंकराहि
कोंहुँ तला के कमलगट्टा ल हेर लावय, खोखमा, रतालू कांदा, सिंघरा, पिकी, ढेंस , भर जाड़ म निकार देवय ।
कोन पीपर आउ बर पेड़ के नवा थांगी ले बंधवा के घाट म कतका बेर झरर्स ले कूदना हे बाजी लगा ले .....
एक पइंत कूदिस त चड्डी ह अरझ गे त टँगागे रहिस
तब ले ओकर नवा नां पर गे रहिस चड्डी भाई ।
सालिक राम एक नम्बर के हेंकरहा .....
लिम, पीपर, अमली, बोहार कुछू पेंड़ के कौंवा अंडवा नई बहाचीस एकर पेंड़ चढ़ाई म। पातर ले पातर थांगी के कोलपद्दा आमा खोज डारय , माटा झुमगे खखौरी म चाब डारिस नरी ल ,खुसरगे कान म फेर आमा झोला म ....
चार संगी झूमे रहय चारों कोती खाये खेले बर ।
काकर कोला म मिठ बेल फरे हवय, कोन बारी म बोइर, बुंदेला पाके हावय, काकर चिरपोटी पताल निक हे ।
डंहक देवय चम्पा कुदके खवा ल देखते देखत ।
टूरि मन संग रेस टिप, सत्तुल, पंचवा, फुगड़ी घलो खेल देवय सारा बेटा ह, बहेरा कस भूत सब्बो म चतुर....
जानय गांव भरके सोर
थुहा तला म मुड़ मिसनी माटी हवय त रामबान्धा म कदम पेंड़, बैगिन म बोइर त ...सरेहा के पार म डूमर पाके हवय
कोनार बंजर के कोन मुड़ा म डोमी आउ बिछी हे त कोन मेर चार आउ मोकईया फरके पाकगे सब सोरी डोरी रहय
परसा भदेर के कोन पेंड़ के पान म अंगाकर मिठाथे !
ई सबके संगे संग बड़े सोर जानय लिमाही के लिम म काकर पाँगे टोनही कतका बेर झूलथे, आउ कतका बेर थिराके जरी म अल्लर सुत जाथे ।
कभू कभू हेंजवारी के हद्द कर देवय
कुटिघाट के मेला माघ के बसंतपंचमी म भरथे
चार संगी बाजी लगा के खवा दिन पेट भर रसगुल्ला
फेर बाजी म पिया दिन लस्सी, फेर कहिन ले खाये सकबे दु डब्बा उखरा, पैसा के लालच आउ हेंकराहि म हौ के छोड नहीं कहिबे नई करिस । अब संगी मन ओला थकोए
रेहटा झूले के बाजी लगा दिन ,सालिक राम बिचारिस खा लेंहैं अब रेंहटा झूलके सुरता लव काय होही ।
रेंहटा चलिस आउ पूरा खाये पिये एक होगे मतागे माथा
देखा देखा होगे लटपट रुकिस रेंहटा
सालिक राम बलि आउ गुनी घलो रहिस
फेर ***** हेंकरहा एक लम्बर के
गांव के कोनो पथरा ल उठा के उलट ...पलट देवय
चार घन छीनी मारय त कतको बड़ बोंगरा चार फाली
गाड़ा के सिली ल ...अध्धर उठा देवय
कोकरो घर कतको बिखहर सांप निकलय
काय मंतरा जानय ओकर राम जानय
सांप ....अपन मन के थिरा जावय ओकर छां म
धर के ढील आवय कोनार बंजर म कलेचुप
सब ल सुरता हवय
सावन के महीना म पुसाऊ राऊत घर डोमी निकलगे
सोन फिन सोन फिन फुंफकारत रहिस, करिया बड़ निक
करम फाटे रहिस ओ दिन सालिक के ओ दिन गांजा फूंक देहे रहिस बिहनियां बिहनियां माते रहिस निसा म
आंधर झांवर रेंगत आइस डोलत फेर धरागे डोमी करिया मरकी म मुँहड़ा बन्धागे फरिया म ...फेर डोरी बांधत म चूक होगे...राम रे...लऊक दिस डोमी हाथ ल ....झटकारिस त लपटगे हाथ म...गेथल दिस चार घँ लहुट लहुट के चोरो बोरो होगे लहू म हाथ ....
एकेच घरी म चढ़गे जहर तरुआ म ....
देखते देखत सालिक राम सुतगे भुंइयाँ म
माटी के चोला माटी म मिलगे
दवा दारू बइगा गुनिया कुछु नई धरिस
हर साल छें पारा म लोहार कुंआ मेर भरथे नंगमत
सुरता करथन सालिक राम ल ...
सुरता आथे ओकर पलटाय पखरा आउ * हेंकरहा सुभाव
माघ तेरस शुक्ल पाख
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