न जाने क्यूँ आज फिर लगने लगा है डर |
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आज भी आंसुओं को पोंछना आता नही
और खुद को खुदा से भी बड़ा मान लिया
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बेअदब, बेरूखी बेइन्तहा अब काहे का शोर
हसीन धोखा है ये तेरा प्यार मैने जान लिया
बेअदब, बेरूखी बेइन्तहा अब काहे का शोर
हसीन धोखा है ये तेरा प्यार मैने जान लिया
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जख्म जख्म पर ही दिये है तूने बरसों
आज कैसा दर्द अपनो से झेल सीने पर
जख्म जख्म पर ही दिये है तूने बरसों
आज कैसा दर्द अपनो से झेल सीने पर
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बना खुदा तो ये तेरे बन्दे कहाँ बख्शेंगे
सौगात आँसुओं के तेरी झोली में आये
बना खुदा तो ये तेरे बन्दे कहाँ बख्शेंगे
सौगात आँसुओं के तेरी झोली में आये
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ये तो हम है जो जी रहे है तेरी खातीर
लोग रूखसत हुए है पाक दामन कभी
ये तो हम है जो जी रहे है तेरी खातीर
लोग रूखसत हुए है पाक दामन कभी
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जलजला या सैलाब दोष क्या सोचना
अब खुदा का कहर बरपेगा तारीख क्यूँ
जलजला या सैलाब दोष क्या सोचना
अब खुदा का कहर बरपेगा तारीख क्यूँ
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आक्रोश की प्रसुति हो न, गर्व फिर शरम
रहम वो भी तेरी झोली मे, कर लूँ भरोसा
आक्रोश की प्रसुति हो न, गर्व फिर शरम
रहम वो भी तेरी झोली मे, कर लूँ भरोसा
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धोखा, छल, फरेब, आँसू सब मेरे हिस्से
न जाने क्यूँ आज फिर लगने लगा है डर
धोखा, छल, फरेब, आँसू सब मेरे हिस्से
न जाने क्यूँ आज फिर लगने लगा है डर
15 दिसम्बर 2013
समर्पित मेरी ज़िन्दगी को
आज भी आंसुओं को पोंछना आता नही
ReplyDeleteऔर खुद को खुदा से भी बड़ा मान लिया
बहुत सुन्दर अशआर !
नई पोस्ट चंदा मामा
नई पोस्ट विरोध
गहन सार्थक तल्खियाँ ...!!बहुत सुंदर ...
ReplyDeletewaah kya khoob likha ...sachmuch aisa hota bhi hai ...
ReplyDeleteबड़ी तल्खी से उम्दा लिखा है..
ReplyDeleteरविकर जी आपने तल्खियाँ को चर्चा मंच के योग्य समझा आभार
ReplyDeleteजख्म जख्म पर ही दिये है तूने बरसों
ReplyDeleteआज कैसा दर्द अपनो से झेल सीने पर
बहुत ही उम्दा,प्रस्तुति...!
RECENT POST -: एक बूँद ओस की.
गहन सार्थक रचना.
ReplyDeleteछोटे-छोटे शेर के माध्यम से बड़ी-बड़ी बातें!!
ReplyDeleteदिल की गहराई से निकला कथन..
ReplyDeleteभाव-पूर्ण सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteधोखा, छल, फरेब, आँसू सब मेरे हिस्से
ReplyDeleteन जाने क्यूँ आज फिर लगने लगा है डर।
बहुत अच्छे शेर।
वाह सर, भाव पूर्ण !!
ReplyDeleteकल 20/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
कल्प वृक्ष की भाँती आपका स्नेह मिला
Deleteआभार
जुदा अंदाज़ के शेर ... खुदा का कहर बरपेगा तो कब किसी को क्या पता ...
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ReplyDeleteधोखा, छल, फरेब, आँसू सब मेरे हिस्से
न जाने क्यूँ आज फिर लगने लगा है डर
सुन्दर पंक्तियाँ |
आज भी आंसुओं को पोंछना आता नही
ReplyDeleteऔर खुद को खुदा से भी बड़ा मान लिया
खूबसूरत अशआर हर अशआर कुछ कहता हुआ.बधाई.