गुरुकुल ५

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Tuesday, 17 December 2013

तल्खियाँ


न जाने क्यूँ आज फिर लगने लगा है डर

*
आज भी आंसुओं को पोंछना आता नही
और खुद को खुदा से भी बड़ा मान लिया
**
बेअदब, बेरूखी बेइन्तहा अब काहे का शोर
हसीन धोखा है ये तेरा प्यार मैने जान लिया
***
जख्म जख्म पर ही दिये है तूने बरसों
आज कैसा दर्द अपनो से झेल सीने पर
****
बना खुदा तो ये तेरे बन्दे कहाँ बख्शेंगे
सौगात आँसुओं के तेरी झोली में आये
*****
ये तो हम है जो जी रहे है तेरी खातीर
लोग रूखसत हुए है पाक दामन कभी
******
जलजला या सैलाब दोष क्या सोचना
अब खुदा का कहर बरपेगा तारीख क्यूँ
*******
आक्रोश की प्रसुति हो न, गर्व फिर शरम
रहम वो भी तेरी झोली मे, कर लूँ भरोसा
********
धोखा, छल, फरेब, आँसू सब मेरे हिस्से
न जाने क्यूँ आज फिर लगने लगा है डर

15  दिसम्बर 2013
समर्पित मेरी ज़िन्दगी को 

17 comments:

  1. आज भी आंसुओं को पोंछना आता नही
    और खुद को खुदा से भी बड़ा मान लिया


    बहुत सुन्दर अशआर !
    नई पोस्ट चंदा मामा
    नई पोस्ट विरोध

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  2. गहन सार्थक तल्खियाँ ...!!बहुत सुंदर ...

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  3. waah kya khoob likha ...sachmuch aisa hota bhi hai ...

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  4. बड़ी तल्खी से उम्दा लिखा है..

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  5. रविकर जी आपने तल्खियाँ को चर्चा मंच के योग्य समझा आभार

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  6. जख्म जख्म पर ही दिये है तूने बरसों
    आज कैसा दर्द अपनो से झेल सीने पर

    बहुत ही उम्दा,प्रस्तुति...!
    RECENT POST -: एक बूँद ओस की.

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  7. गहन सार्थक रचना.

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  8. छोटे-छोटे शेर के माध्यम से बड़ी-बड़ी बातें!!

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  9. दिल की गहराई से निकला कथन..

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  10. भाव-पूर्ण सुन्दर रचना ।

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  11. धोखा, छल, फरेब, आँसू सब मेरे हिस्से
    न जाने क्यूँ आज फिर लगने लगा है डर।

    बहुत अच्छे शेर।

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  12. कल 20/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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    Replies
    1. कल्प वृक्ष की भाँती आपका स्नेह मिला
      आभार

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  13. जुदा अंदाज़ के शेर ... खुदा का कहर बरपेगा तो कब किसी को क्या पता ...

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  14. धोखा, छल, फरेब, आँसू सब मेरे हिस्से
    न जाने क्यूँ आज फिर लगने लगा है डर

    सुन्दर पंक्तियाँ |

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  15. आज भी आंसुओं को पोंछना आता नही
    और खुद को खुदा से भी बड़ा मान लिया
    खूबसूरत अशआर हर अशआर कुछ कहता हुआ.बधाई.

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