जनगण मन अधिनायक जय हे |
आप महान है
कोई संदेह कहाँ?
मै भी अभिभूत हू
लोगो का भ्रम बना रहने दो न
आप सर्वश्रेष्ठ है?
हम सब मानते और जानते है
लेकिन
तुम्हे ये हक किसने दे दिया?
कि तुम सब को नीच कह जाओ
लगी न मिरची दाऊ जी
कही वो न हो जाये
जो मेरे नालायक दिमाग में है
तब न रहोगे घर के न घाट के
जरा सम्हलकर
भूले से भी साँझा चूल्हा मत जलाना
आज आप और हम दोनों ही .....?
बड़ी दुविधा है जी
आप तो ऐसे न थे
संयमित मृदु वाणी
कहीं सत्ता का मद तो नहीं चढ़ गया?
इतनी तल्ख़ आवाज़
एक कहावत याद आती है
क्वाँर मे लोमड़ी पैदा हुई
उसने ऐलान कर दिया
आषाढ़ में बहुत पूर आया था
चार लोगों के कहने पर
कोई बेईमान हो जाता है?
न ही खुद के कह देने पर
कोई ईमानदार हो जाता है?
लेकिन
आप ने तो छाती ठोककर कह दिया
बेईमान हैं ये दोनों
अब
भई गति साँप छछूंदर केरी
सामने बेटी की शादी है
बेटी घर में कुंवारी रह जायेगी
और वादा निभाया
तब भी फ़ज़ीहत
बहुत कठिन है डगर राह { जनपथ } पनघट की
समर्पित मो सम कौन कुटिल खल को
12 दिसंबर 2013
चित्र गूगल से साभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (13-12-13) को "मजबूरी गाती है" (चर्चा मंच : अंक-1460) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय शास्त्री जी प्रणाम
Deleteआपके स्नेह का हृदय से आभार
गाली गलौच से ही राजनीति चलती तो यहाँ भाण्डों का राज होता। मर्यादाविहीन आचरण कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता।
ReplyDeleteआदरणीया अजीत गुप्ता जी प्रणाम स्वीकारे
Deleteआपका स्नेह मिला आभारी
खरी खरी रख तथ्य कुल, करें व्याख्या आप |
ReplyDeleteदिल्ली में जब आपका, पसरा प्रबल प्रताप |
पसरा प्रबल प्रताप. परख बड़बोले बोले |
किन्तु केजरीवाल, विधायक क्षमता तोले |
पचा सके ना जीत, जीत से मची खरभरी |
लफुआ अनुभवहीन, चेंगडे करें मसखरी ||
रविकर जी आभार आपने आप को इस तरह सराहा
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संसद पर हमला, हम और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआपके स्नेह का आभार
Deleteपरिवर्तन आवश्यक है । एक ही पार्टी सत्ता में रहे तो वह निरंकुश हो जाती है नहीं निरंकुश हो चुकी है।
ReplyDeleteनोनी चरण स्पर्श
Deleteआशिर्वाद मिलिस
सभी पार्टी के सांसद .विधायक मिलकर संसदीय गाली का शब्द कोष बना रहे हैं |
ReplyDeleteनई पोस्ट भाव -मछलियाँ
new post हाइगा -जानवर
'आप' से जो बन पड़ेगा करेंगे ही...अपनी क्षमता के अनुसार ही हर कोई कर पाता है...
ReplyDeleteबहुत कठिन है डगर जनपथ की ... सही कहा है ... गले की हड्डी हो गए ये चुनाव आप के लिए ...
ReplyDeleteघमंड और आचरण हीन व्यक्ति या पार्टी कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। ...!
ReplyDeleteRECENT POST -: मजबूरी गाती है.
वाह:बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआप सर्वश्रेष्ठ है, हम सब मानते और जानते है. :)
ReplyDelete’आप’ ही महानतम हैं :)
ReplyDeleteक्या खरी खरी कही है...मान गए
ReplyDeleteवाकई डगर कठिन है ही पनघट की !
ReplyDeleteघमंडी का सर नीचा !!
ReplyDeleteलेकिन
ReplyDeleteआप ने तो छाती ठोककर कह दिया
बेईमान हैं ये दोनों
अब
भई गति साँप छछूंदर केरी
.....बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
बस आप आप आप ही सबमें समाए हैं..
ReplyDeleteउम्दा लिखा है..
ReplyDeleteसुधीजन 'आप' का चरित्र समझ गए, बस! सामान्य जन को पता लगना शेष है.
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