गुरुकुल ५

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Saturday, 21 December 2013

क्षितिज

मेरा ये आसमाँ?  वो कौन सा क्षितिज?

कह दिया तुमने
ये है क्षितिज !

वो कौन सा क्षितिज?

ये मेरा क्षितिज !
वो तुम्हारा क्षितिज !
और वो अलग उसका क्षितिज !
तब क्यूँ कर एक ही क्षितिज?

दृष्टि और दृष्टिकोण पर टिका
सबका अपना क्षितिज?

और

मेरा ये आसमाँ?
आज ये तेरा भी आसमाँ
ये मेरी अपनी ज़मी?
कल तेरा वो आशियाँ

सबके सपने अलग
और सबके अपने जहाँ?
सबके घरौदे भी अलग?
सबकी अपनी धरती

फिर सचमुच

वो मेरा क्षितिज?
ये तेरा आसमां?
यही उसकी जमीं?
वही आसमां?

06 दिसम्बर 2013
ज़िन्दगी एकांत में

16 comments:

  1. जिंदगी का फलसफा -अलग अलग है सबका -अच्छी प्रस्तुति !
    नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )

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  2. बहुत बढिया..आभार

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  3. जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि...

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  4. सुंदर अभिव्यक्ति..

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  5. सब अपने अपने क्षितिज पर अपना अपना सूरज गढ़ने में लगे हुए हैं :)

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (22-12-2013) को "वो तुम ही थे....रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1469" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!!

    - ई॰ राहुल मिश्रा

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    Replies
    1. आदरणीय राहुल जी आपने क्षितिज को रविवार (22-12-2013) को "वो तुम ही थे....रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1469" पर शामिल किया आभार

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  7. इतने ख़ाने बने हुए हैं कि सब तेरा मेरा के सन्दूक में बन्द होकर रह गये हैं.. आपके सवाल सोच को जन्म देते हैं.. !!

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  8. शब्द -चित्र दोनों मनोहर । मन करता है क्षितिज को देखती रहूँ बस देखती रहूँ.....

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  9. सबकी अपनी सोंच
    सुन्दर प्रस्तुति। …
    :-)

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  10. कहें तो अपनी समझ ,अपना नज़रीया है ...सच येही है कि सब ने अपनी दुनिया अलग बना रखी है.

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  11. दृष्टि और दृष्टिकोण पर टिका
    सबका अपना क्षितिज?

    भावपूर्ण पंक्तियाँ ...!
    =============
    RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.

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  12. क्षितिज अपने अपने हाशिये से है

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  13. एक होते हुए भी सबका अलग अलग आसमां होता है ... जिसे सब ढूंढते हैं अपने सपनों में ...

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  14. हमने दुनिया से अलग गाँव बना रक्खा है … ~ सुन्दर रचना

    ~सादर

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