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क्या तो तू, और क्या तेरी औकात |
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क्या तो तू
और क्या तेरी औकात
कल थी?
आज चली जायेगी?
क्या सोचती हो?
मैं मर जाऊँगा?
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तेरे एहसास से दिल ग़मज़दा है इतना
यूँ तेरा जाना भी दिल कबूल कर गया
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हर बरस सोचता हूँ
मेले लगेंगे तुझे अलविदा कहने
ज़रा सोच !
आज!
तेरे आँचल में बचा क्या है?
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तेरा भरोसा क्या?
बड़े सपने लेकर आती है
बड़े ख्वाब भी दिखा जाती है
और साथ चलकर सब छीन ले जाती है
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अब न तेरे इश्क़ में डूबना इस कदर
कि होश आये तो गिरेबां चाक मिले
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जाम कुछ इस क़दर मैं उठाउंगा कि न छलके न ढलके
आज नशा इतना ही रहे कि मंज़िल वो राह का होश रहे
31 दिसम्बर 2013
समर्पित कलमुँही २०१३ को
जिसने सपने बड़े दिखाकर
बहुत कुछ छीन लिया