गुरुकुल ५

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Thursday, 29 August 2013

तेरे निशां

कल तलक मेरी पेशानी पर अक्स था तेरा
                    आज हाथ की लकीरों में ढूंढ़ता हूं तेरे निशां


*
पहेलियाँ ही कहाँ रही पहेलियाँ सुलझ गई
बिगड़े हालात न बन पाये ये कोई बात हुई

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दर्द दिल में हो तो हर लम्हा उदास होता है
अजीब शै है ये मोहब्बत, ये कहर ढाता है

***
फलक पे तुम ज़मीं आसमां पे क्यूं तुम हो
या अल्ला जिधर देखूं उधर तुम ही तुम हो

****
तुम्हे भूल जाना यूं मेरे अख्तियार में नहीं जानां
और खता इतनी बड़ी कि माफ़ कर नहीं सकता

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ख्वाहिशें थम जायें ये तो मुकद्दर तय कर देता है
हौसला, इश्क, आरजू, कसक,मंज़िल के करीब

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नशा ऐसा तेरे इश्क का रहा और जूनून तुझे पाने की
डूबा कुछ इस कदर कि होश कहाँ शुरूर आज तलक

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भूलना तुम्हे आसां लगता है भुला पाना भी दिल से मुश्किल
हर लम्हा तेरी यादें संग चलें मयकदे की तलाश में मयकश

********
कल तलक मेरी पेशानी पर अक्स था तेरा
आज हाथ की लकीरों में ढूंढ़ता हूं तेरे निशां

०६ मई २०१३
चित्र गूगल से साभार

13 comments:

  1. कल तलक मेरी पेशानी पर अक्स था तेरा
    आज हाथ की लकीरों में ढूंढ़ता हूं तेरे निशां

    ....वाह वाह !!! बहुत सुंदर गजल लिखी रमाकांत जी कितना कुछ कह गये निशां....बहुत ही लाजवाब, शुभकामनाएं !!!

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  2. दर्द दिल में हो तो हर लम्हा उदास होता है
    अजीब शै है ये मोहब्बत, ये कहर ढाता है

    बहुत खूब ..
    बधाई !

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  3. अति उत्तम ये निशां दिल को छू लेनेवाले है..
    :-)

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  4. वाह: बहुत सुन्दर ग़ज़ल ..

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  5. आह और वाह, एकदम वाह-वाह.

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  6. " श्याम ! तुझ से इतनी अरज है कि मैं तेरी गोपी बन जाऊँ ।" भाई ! प्रेम ही परमेश्वर है ।

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  7. दर्द दिल में हो तो हर लम्हा उदास होता है
    अजीब शै है ये मोहब्बत, ये कहर ढाता है

    बहुत सुन्दर ...

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  8. वाह ! दिल की गहराइयों से निकले हर्फ !

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  9. Yоu cаn stop holiday weight gаin, it's ԁiеt, not exeгcіse to diet
    pill, that does nοt mean yοu gobble large buгgеrs or а paсk
    of chips. ӏf you wеre unаwаre
    that gгeen tеa iѕ extremely
    effеctive.

    Му ωеbpage: healthy wayѕ to
    lοѕe weіght ()

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  10. वाह!!!बहुत बढ़िया उम्दा गजल ,,रमाकांत जी,,,
    RECENT POST : फूल बिछा न सको

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  11. ख़ुदा से इश्क़, यानी ख़ुद से इश्क !

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