स्व श्री जीत सिंह { बाबूजी } |
बाबूजी
निर्वाण दिवस रविवार
समय दोपहर १ बजकर २८ मिनट
१४ अगस्त १९९४
मैं गर्व करता हूँ कि जीवन में बाबूजी ने कभी मुझे मारा या डांटा नहीं
और आत्मग्लानि महसूस करता हूँ कि अंतिम दिनों में ठीक सेवा नहीं कर पाया
मेरे मित्र, हमराज, गुरु, आदर्श और मार्गदर्शक मेरे साथ नहीं बस यादें और यादें
ऐसे पिता को खोना खलता है जीवन दुबारा है ही नहीं आज जतन हजार हो जाये
लेकिन बाबूजी का मिलना …. ?
कुछ यादें आपसे साझा करता हूँ शब्द उनके लिपि मेरी
*
ऐसी पुस्तक कभी मत बनना
जिसे पढ़ना तो सब चाहें
लेकिन
सहेजना कोई नहीं चाहता
और किसी की सहेजने की प्रबल इच्छा हुई
तो सहेजना न जाने
**
जीवन में कभी नींव का पत्थर मत बनना
बनना तो हमेशा उपरी पत्थर बनना
भले ही अनगढ़ रहो
कल कुछ गुंजाईश तो रहेगी
***
प्यार इतना करो
कि सभी वर्जनाएं टूट जायें
और
घृणा भी इतनी सिद्दत से करो
कि प्यार की कोई गुंजाईश न रह जाये
****
जो तुम्हारे पास है नहीं
कभी उसका शोक मत करना
और जो तुम्हारे पास है
उसे खोना नहीं
भले ही वो तुम्हारी गरीबी क्यों न हो
*****
अपना सब पैसा
अपने माँ, बाप, भाई, बहन, और रिश्तेदारों पर
मत खर्च कर देना
वरना
अर्थ का रीतापन और रिश्तों का छलावा
सह नहीं पाओगे
१४ अगस्त २०१३ पुण्यतिथि
बाबूजी को विनम्र श्रधांजलि।
ReplyDeleteबड़े काम की बातें बताई हैं बाबूजी ने.
आखिरी बात से भी पूर्णतया सहमत।
ओह ...
ReplyDeleteबाबु जी को विनम्र श्रद्धांजलि !!
बाबूजी के शब्द ले जा रहा हूँ , इन मोतियों को मनन करना है और गीत बद्ध करना है !
सादर !!
कोई कहीं नहीं जाता भाई ! बाबूजी हमारे भीतर विद्यमान हैं, हमारे मन प्राण में बसे हुए हैं, उन्हें मेरी विनम्र श्रध्दाञ्जलि ।
ReplyDeleteबाबु जी को विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteबाबूजी के शब्द गंभीर चिंतन दे रहे हैं ...नमन ।
ReplyDeleteबाबु जी की यादें साझा करने के लिए आभार,,,रमाकान्त जी
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
शाश्वत, प्रासंगिक. सादर नमन.
ReplyDeleteबाबूजी को सादर नमन..स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
ReplyDeleteबाबू जी को विनम्र श्रधांजलि ... जीवन के अनुभवों को शब्दों में पिरोया है आपने ..
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें ...
विनम्र नमन ..... जीवन भर याद रखे योग्य विचार ......
ReplyDeletesadar naman babuji ko ... shareer ko to ek din jaana hi hota hai lekin aashrwaad ke rup me we sada paas hi rahte hain
ReplyDeleteकभी उसका शोक मत करना
ReplyDeleteऔर जो तुम्हारे है
उसे खोना नहीं
व्यावहारिक सोच
अनमोल मोती रूपी सीख हैं, सहेजे रहिये।
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