गुरुकुल ५

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Wednesday, 7 August 2013

मैं फ़रिश्ता हूँ?

शब्द आप बनो मेरे गीत हम बन जायेंगे
लफ्ज़ आप बनो हम सरगम बन जायेंगे

**
मंजिल आप चुनो राह पर बिछ जायेंगे
खुश रहें आप यूँ ही खुशियाँ बटोर लायेंगे

***
यूँ ही प्यार करते रहें प्यार हम निभायेंगे
कोशिश करें आप जरुरत हम बन जायेंगे

****
दर्द दिल में हो तो हर लम्हा उदास होता है
अजीब शै है ये मोहब्बत ये कहर ढाता है

*****
बने मंजिल यूं तो पाने को तरस जायेंगे
राह पर बिछो धूल बन लोग रौंद जायेंगे

******
मैं फ़रिश्ता हूँ? ये कब कहा तुमसे बोलो न?
मैं भी इंसां हूँ कभी भूले से समझा तुमने ?

*******
तेरा दिया बिन कहे तेरे को ही लौटा दिया
तेरी मर्ज़ी इसे फूंके या करे दफ़न यादों में

07 अगस्त 2013
चित्र गूगल से साभार
मेरे गीत ब्लॉग के सर्जक भाई सतीश सक्सेना जी
को उनकी रचना धर्मिता के लिए समर्पित 

21 comments:

  1. भाई वाह , आज तो बड़े मूड में हो रमाकांत भाई , प्रभावी रचना ! जानदार फोटो के लिए बधाई !

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    1. सतीश भाई साहब वास्तव में यह पोस्ट आपको समर्पित है मैं एडिटिंग में था और आपने पोस्ट पढ़ा लिया ये कुछ नहीं बस हमारा प्रेम है अन्यथा ऐसा हो नहीं सकता कि पोस्ट आपको समर्पित हो और १ हजार कि मी दूर आप पहले पढ़ने वाले हों। आपके प्रेम का सदा ऋणी रमाकांत

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    2. यह आश्चर्यजनक है , मैं अभिभूत हूँ रमाकांत भाई !!!

      यह आपकी विनम्रता है , मैं इस योग्य अपने आपको कभी नहीं मानता , सामान्य इंसान हूँ, हाँ रचनाधर्मिता में बनावट डालने का प्रयत्न कभी नहीं करता कोशिश करता हूँ ईमानदारी बनी रहे !

      आभारी हूँ प्यार के लिए !

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  2. वाह बहुत बढिया..फोटो भी शान्दार है..

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  3. लाजबाब रचना ,,,आपकी फोटो बहुत अच्छी लगी,,,बधाई

    RECENT POST : तस्वीर नही बदली

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  4. चित्र और पंक्तियाँ दोनों प्रभावी......

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  5. बस ऐसे ही मुस्कुराते रहिये...

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  6. सतीश जी को समर्पित बहुत ही सुनदर रचना है.
    चित्र सूर्य मंदिर का है शायद?

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  7. आज 08/008/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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    1. This comment has been removed by the author.

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    2. यशवंत माथुर जी आपके साथ नई पुरानी हलचल के पूरे संचालक मंडल को मेरा प्रणाम आपने इस पोस्ट को इस लायक समझा

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  8. शब्द आप बनो मेरे गीत हम बन जायेंगे
    लफ्ज़ आप बनो हम सरगम बन जायेंगे
    सरगम बन जायेंगे, तुम्हारे गीतों का
    लेकर सहारा हम भी कुछ मनपसंद
    गुनगुनायेंगे :)
    रमाकांत जी बहुत सुन्दर रचना !

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  9. वाह ! बहुत सुन्दर भावपुष्प पिरोए हैं आपने...

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  10. भाई ! आपकी कविता पढ कर मुझे बरबस " निराला " की कविता याद आ रही है । " तुम मृदु-मानस के भाव और मैं मनोरंजनी भाषा । तुम नन्दन-वन-घन-विहग और मैं सुख-शीतल-तरु-शाखा । तुम प्राण और मैं काया । तुम शुध्द सच्चिदानन्द ब्रह्म मैं मनो-मोहिनी माया । " उन्होंने " तुम और मैं " शीर्षक से यह कविता लिखी है । भाई तोर फोटो हर तोरेच सरिख सुन्दर दिखत हे ग ।

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  11. कालचक्र पर अडिग.

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  12. हम भूल गए हैं रख के कहीं …


    http://bulletinofblog.blogspot.in/2013/08/blog-post_10.html

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  13. दर्द दिल में हो तो हर लम्हा उदास होता है
    अजीब शै है ये मोहब्बत ये कहर ढाता है

    बहुत खूब ....

    तस्वीर भी लाजवाब ....:))

    पुरी की है शायद ...?

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    1. आदरणीय हरकीरत हीर जी शुभ संध्या सहित प्रणाम स्वीकारें आपने सराहा और सही कहा चित्र कोनार्क सूर्य मंदिर का है

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  14. लाज़वाब अभिव्यक्ति ...फोटो भी बहुत अच्छी है।

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