पांच साल में एक बार आकर, हमारा वोट ले जाकर |
श्री श्रीवास्तव जी अन्डी में प्राचार्य पद की शोभा बढ़ा रहे थे.
श्री एच एन श्रीवास्तव जी को समर्पित
हे प्रभु
हमारे अन्नदाता
लोगो को भयदाता
पांच साल में एक बार आकर
हमारा वोट ले जाकर
हमारे भाग्य विधाता
भले ही हम मरे या जियें
किन्तु आपकी जय हो,जय हो
मालिक
आपका साया
हमारे सर पर बना रहे
भले ही पूरा बदन खुला रहे
चाहे लुंगी, बनियान,
क्या अधोवस्त्र?
जड़ से गायब रहे
हुजूर
ये दिखावे के अंगरखा
हिजड़ों का जामा है
राज्यसभा और लोकसभा में
आपके सनेही
परम विदेही
पुत्रों का हंगामा है
मेरे मौला
मेरे आका
डाकुओं से मिला
आतंक वादियों का पिल्ला
लुच्चा, लफंगा पर थोड़ा भोला
केबिनेट मिनिस्टर
उसका ही साम्भा है
हे चक्रधारी
अमीरों के गिरिधारी
बाकी कुछ शेष
भग्नावशेष
प्रतिरक्षा मंत्री
उसका एक मामा है
15 सितम्बर 1975
चित्र गूगल से साभार
हा हा हा हा बने चपेटे हस बाबु साहेब …… परलोकतंत्र के जय
ReplyDeleteबहुत बढिया रोचक रचना..
ReplyDeleteसामायिक रचना ,अच्छा कटाक्ष!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ,लाजवाब सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत करारा
व्यंग रमाकांत जी ! लिखते रहिये
latest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
बढ़िया कटाक्ष ...!!
ReplyDeleteसत्य लिखा है ... १९७५ और आज भी ताज़ा है उसी तरह ....
ReplyDeleteकौन कहता है समय बदलता है ...
बहुत सुंदर उम्दा कटाक्ष ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : जिन्दगी.
आवश्यक व् सामयिक रचना ..
ReplyDeleteआभार भाई जी !
जय हो,जय हो …।
ReplyDeleteइसका मतलब है हालत तब भी वही थे जो आज हैं , हाँ शायद आज साया कुछ ज्यादा गहरा हो गया है… सटीक
सटीक लिखा है..आभार !
ReplyDeleteGгаnts are аlso available to thоse people who can run through
ReplyDeletea mazе of buгeauсrаcy that woulԁ maκe cold-wаг Russіa gaѕρ
foг aіг. You should ѕearch
debt progгam options for unemploуed people to eliminate thе
tenѕion of loans. The rapid devеlopments in the banking and finance faсilities all around thе ωorld has led to thе signing of the Ameгiсаn citizens.
If yοu and your сreditors іn the
world, have mаԁе it сleaг tο
the rеader that thеrе is no such 'plan' called 'Obama debt program Plan'.
My web-site; debt ѕettlemеnt help ()
सीधी-सीधी...खरी-खरी...
ReplyDeleteसटीक ...... प्रासंगिक कटाक्ष .....
ReplyDeleteप्रभावित करती रचना .
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