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Thursday 5 April 2012

राजमाता कैकेयी


आज भी रामराज्य की स्थापना में
राजमाता कौशल्या ही होंगी
किंतु राजकाज कैकेयी का
होगा राम का अवतरण?
लक्ष्मण, भरतत्रुघ्न भाई
सीता, माण्डवी, उर्मिला और श्रुतिकीर्ति
विदेह राज की बेटियां
राजा दशरथ होंगे अयोध्यापति?

विश्वामित्र संग वशिष्ठ और ऋषिमुनि
आहूत करेंगे अग्नि और स्वाहा को
होंगे प्रबल सु बन में
आज भी कैकेयी वर मांगेंगी
लोककल्याण में रामराज का

राम को बनवास, सीता का हरण
जटायु का मरण, सुग्रीव की मित्रता
बाली की हत्या, समुद्र बंधन
लंका दहन, विभीषण की सेवा
रावण का वध, अयोध्या आगमन
राम का राज कैकेयी का संवाद?

कैकेयी का त्याग, राम का राज
अयोध्या की बात वही दिन वही रात
नये युग का सूत्रपात
जग ने राजमाता कैकेयी के
त्याग को ये कैसे भुला दिया?
उर्मिला का त्याग, लक्ष्मण का परित्याग
हनुमान की भक्ति, कैकेयी का वर
अयोध्या में आज भी मुख पृष्ठ पर है
लेकिन राजमाता कैकेयी ने
फिर से कहां, किसके घर जनम लिया?

तुम दाउ बनो, तभी मैं कृष्ण कहलाउंगा
तुम राम बनो, मैं लखन बन जाउंगा

तुम बन चलो, मैं पीछे चला आउंगा
यदि तुम दसशीश बने, मैं विभीषण बन जाउंगा

राजमाता कैकेयी के त्याग को समर्पित 20/02/2007

चित्र गूगल से साभार

21 comments:

  1. लेकिन राजमाता कैकेयी ने
    फिर से कहां, किसके घर जनम लिया?

    .....विचारणीय प्रश्न उठाती बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...

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  2. तुम दाउ बनो, तभी मैं कृष्ण कहलाउंगा
    तुम राम बनो, मैं लखन बन जाउंगा

    वाह!!!!!!बहुत सुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति,..

    MY RECENT POST...फुहार....: दो क्षणिकाऐ,...
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

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  3. विस्तृत |
    बहुत बहुत आभार ||

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  4. एक लंबे अंतराल के बाद आपके पोस्ट पर आना हुआ। कविता बहुत अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  5. कैकेयी का त्याग, राम का राज
    अयोध्या की बात वही दिन वही रात
    नये युग का सुत्रपात
    जग ने राजमाता कैकेयी के
    त्याग को ये कैसे भूला दिया?...bahut sahi prashn

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  6. विचारणीय........................

    और अध्ययन करना होगा संभवतः.....

    आपके विचारों को दाद देती हूँ...

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  7. कैकयी का पक्ष भी सामने आना चाहिए… कैकयी के पुत्र प्रेम और राम के वन गमन ने इतिहास में उसे खलनायिका बना दिया। आज भी कोई अपनी पुत्री का नाम कैकयी नहीं रखता। …… आपका प्रश्न आज भी अनुत्तरित है।

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  8. This comment has been removed by the author.

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  9. अभिनव दृष्टिकोण

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  10. bhavo ke sunder abhivkti sath he app ne ram katha ke navin pahlu par prakash dala.bahut he sundar

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  11. सच है कैकयी के त्याग को किसी ने याद न रखा. बेहद गूढ़ और विचारार्थ रचना. शुभकामनाएँ.

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  12. गहरी,विचारणीय बात ..प्रासंगिक उद्गार ..

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  13. सच है कैकेयी का त्याग कोई नहीं समझता, बहुत अच्छी प्रस्तुति, बधाई.

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  14. उदार काव्‍य दृष्टि का ही परिणाम हो सकती है ऐसी रचना, लख-लख बधाईयां जी.

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  15. तुम दाउ बनो, तभी मैं कृष्ण कहलाउंगा
    तुम राम बनो, मैं लखन बन जाउंगा

    तुम बन चलो, मैं पीछे चला आउंगा
    यदि तुम दसशीश बने, मैं विभीषण बन जाउंगा

    Wah...Vicharniy Soch liye rachna....

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  16. न जाने कैकेयी न होती तो राम,राम बन पाते भी या नहीं।

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  17. लेकिन राजमाता कैकेयी ने
    फिर से कहां, किसके घर जनम लिया?

    राजमाता कैकेयी के प्रति अलग दृष्टिकोण प्रदर्शित करती अच्छी रचनां।

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  18. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया ... सुंदर .. ब्लॉग .. आपकी लेखेन का कायल हूँ

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  19. कैकेयी को याद तो करते ही हैं लोग जब जब राम को याद करते हैं...हाँ उस जैसा कोई बनना नहीं चाहता

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  20. तुम दाउ बनो, तभी मैं कृष्ण कहलाउंगा
    तुम राम बनो, मैं लखन बन जाउंगा

    बहुत अच्छी प्रस्तुति, बधाई.

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