स्वर्गीय बाबूजी, श्री जीत सिंह |
पिता-पुत्र का एकांतिक वास
पुत्र ने चलना सीखा जल पर
दस वर्षों के तपोबल से
उफनती निम्नगा की पार
बिना बेड़ा
सीखा तरंगिणी के पार जाना
जाना कुलंकषा के उस पार जीवन को
पिता ने चवन्नी देकर खेवटिया को
सरिता को नाव से कर दिया पार
और निरर्थक ठहरा दिया
दस वर्षों के तपोबल को
पुत्र ने मुस्कुराकर
संयत भाव से कहा तात्!
आपका कथन मिथ्या कहां?
नाविक का श्रम निःसंदेह
चार आने से कम हो सकता है
आपगा को तैरकर भी
पार उतरा जा सकता है?
किंतु मैने
इन दस वर्षों में
स्व को पहचाना,
अपनी दृष्टि से जाना
जीवन उस पार भी है
निर्झरिणी में नाव डूब भी सकती है
डूबने के डर से
पार उतरा जा सकता है?
आपने कहां और कब सिखलाया?
मैने अब जाना तपोबल से जीना
और बोध हुआ
आशंका, भय,या संभावना से
मुक्त जीवन जीने की कला
आरोपण सिद्धि के लिए
या ध्येय के लिए अर्थ?
मैने सीख लिया और जाना
सलिला के पार जाना
चित्र पिता श्री जीत सिंह
19/09/2007
और बोध हुआ
ReplyDeleteआशंका, भय,या संभावना से
मुक्त जीवन जीने की कला
आरोपण सिद्धी के लिए
या ध्येय के लिए अर्थ?
गहन अर्थपूर्ण भाव... सुन्दर रचना के लिए आभार...
बहुत सुंदर बोध जगाती कविता !
ReplyDeleteखूबसूरत
Deleteप्रस्तुति ।
अच्छी प्रस्तुति....
ReplyDeleteये रचना पहले भी पोस्ट करी थी आपने....
शायद कुछ संशोधन किया होगा????
जो भी हो बहुत पसंद आई...
सादर.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...
ReplyDeleteरमाकांत जी,...रचना को कल भी पढ़ा था.....
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
अच्छी लगी रचना .....
ReplyDeleteश्री संजय कुमार शर्मा की टिप्पणी-
ReplyDelete"आपगा को तैरकर भी पार उतरा जा सकता है?" "आपगा को तैरकर ही पार उतरा जा सकता है...!" "डूबने के डर से पार उतरा जा सकता है?" "डूबने के डर से ही पार उतरा जा सकता है...!" "पिता ने चवन्नी देकर खेवटिया को सरिता को नाव से कर दिया पार और निरर्थक ठहरा दिया दस वर्षों के तपोबल को..." "व्यर्थ ही सीखा था मैंने जल पर चलना...सागर तो पैसों से पार किए जा सकते हैं।" आश्चर्यजनक अद्भुत रचना,भाई साहब,आपकी इस शानदार रचना पर साधुवाद आपको,वाह...!माँ सरस्वती की कृपा आप पर सदैव बनी रहे। I m speechless so I think many others like me would be...thank you so much to put a beautiful thought like this among us through your blog....God bless you. Hi,friends, "आप सबका स्वागत है मेरे पेजेज़ "Sanjay Kumar Sharma","प्रेमग्रंथ - संजय कुमार शर्मा" and "ग्राम्यबाला - संजय कुमार शर्मा"...पर।" Visit the paradise of hearts...ever young...ever fresh...ever alive...ever beating...n... 'LIKE' them ...!!! Link Addresses for d pages; "Sanjay Kumar Sharma" https://www.facebook.com/pages/Sanjay-Kumar-Sharma/ 243185802387450 and प्रेमग्रंथ - संजय कुमार शर्मा https://www.facebook.com/pages/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%A5-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%AF-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE/157830647632204 and ग्राम्यबाला - संजय कुमार शर्मा https://www.facebook.com/sanjaygramyabala
डॉ. निशा महाराणा की टिप्पणी-
ReplyDeletevery nice....
अनीता जी की टिप्पणी-
ReplyDeleteसुंदर बोध कथा पर आधारित सराहनीय रचना !
सरस जी की टिप्पणी-
ReplyDeleteमैने सीख लिया और जाना नदी के पार जाना स्वयं पर विश्वास की मिसाल है आपकी कविता ...बहुत सुन्दर
रश्मिप्रभा जी की टिप्पणी-
ReplyDeleteनिर्झरिणी में नाव डूब भी सकती है डूबने के डर से पार उतरा जा सकता है? आपने कहां और कब सिखलाया? मैने अब जाना तपोबल से जीना और बोध हुआ आशंका, भय या संभावना से मुक्त जीवन जीने की कला आरोपण सिद्धि के लिए या ध्येय के लिए अर्थ? मैने सीख लिया और जाना नदी के पार जाना... bahut badhiya
राहुल सिंह जी की टिप्पणी-
ReplyDeleteभूमिका बदल सकती है, जीवन तो भवसागर पार ही है.
पिता-पुत्र के कथन को बदल कर देखें तो?
ललित शर्मा जी की टिप्पणी-
ReplyDeleteउम्दा अभिव्यक्ति.
पूनम जी की टिप्पणी-
ReplyDeleteमैने सीख लिया और जाना नदी के पार जाना...........sunder bhav
डॉ॰ मोनिका शर्मा जी की टिप्प्णी-
ReplyDeleteसार्थक पंक्तियाँ रची हैं.....जीवन का सार बताती रचना .....
अरे वाह! बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteBy Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteBy संगीता स्वरुप ( गीत )
आशंका, भय,या संभावना से मुक्त जीवन जीने की कला आरोपण सिद्धी के लिए या ध्येय के लिए अर्थ? बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,... MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
ReplyDeleteBy dheerendra on उस पार
बेहतरीन
ReplyDeleteताज़ी रचना पिता-पुत्र संवाद : क्लिष्ट गरिष्ट पर विशिष्ट
ReplyDeleteइतनी सुन्दर कविता के लिए बधाई...
ReplyDeletegahre bhaav liye hai aapki prastuti, jeewan se hamesha hi hamen kuchh seekhne ko milta hai.
ReplyDeleteनिशब्द....
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