आज भी रामराज्य की स्थापना में
राजमाता कौशल्या ही होंगी
किंतु राजकाज कैकेयी का
होगा राम का अवतरण?
लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न भाई
सीता, माण्डवी, उर्मिला और श्रुतिकीर्ति
विदेह राज की बेटियां
राजा दशरथ होंगे अयोध्यापति?
विश्वामित्र संग वशिष्ठ और ऋषिमुनि
आहूत करेंगे अग्नि और स्वाहा को
होंगे प्रबल असुर बन में
आज भी कैकेयी वर मांगेंगी
लोककल्याण में रामराज का
राम को बनवास, सीता का हरण
जटायु का मरण, सुग्रीव की मित्रता
बाली की हत्या, समुद्र बंधन
लंका दहन, विभीषण की सेवा
रावण का वध, अयोध्या आगमन
राम का राज कैकेयी का संवाद?
कैकेयी का त्याग, राम का राज
अयोध्या की बात वही दिन वही रात
नये युग का सूत्रपात
जग ने राजमाता कैकेयी के
त्याग को ये कैसे भुला दिया?
उर्मिला का त्याग, लक्ष्मण का परित्याग
हनुमान की भक्ति, कैकेयी का वर
अयोध्या में आज भी मुख पृष्ठ पर है
लेकिन राजमाता कैकेयी ने
फिर से कहां, किसके घर जनम लिया?
तुम दाउ बनो, तभी मैं कृष्ण कहलाउंगा
तुम राम बनो, मैं लखन बन जाउंगा
तुम बन चलो, मैं पीछे चला आउंगा
यदि तुम दसशीश बने, मैं विभीषण बन जाउंगा
राजमाता कैकेयी के त्याग को समर्पित 20/02/2007
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
लेकिन राजमाता कैकेयी ने
ReplyDeleteफिर से कहां, किसके घर जनम लिया?
.....विचारणीय प्रश्न उठाती बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
तुम दाउ बनो, तभी मैं कृष्ण कहलाउंगा
ReplyDeleteतुम राम बनो, मैं लखन बन जाउंगा
वाह!!!!!!बहुत सुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति,..
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ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ||
एक लंबे अंतराल के बाद आपके पोस्ट पर आना हुआ। कविता बहुत अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteकैकेयी का त्याग, राम का राज
ReplyDeleteअयोध्या की बात वही दिन वही रात
नये युग का सुत्रपात
जग ने राजमाता कैकेयी के
त्याग को ये कैसे भूला दिया?...bahut sahi prashn
विचारणीय........................
ReplyDeleteऔर अध्ययन करना होगा संभवतः.....
आपके विचारों को दाद देती हूँ...
कैकयी का पक्ष भी सामने आना चाहिए… कैकयी के पुत्र प्रेम और राम के वन गमन ने इतिहास में उसे खलनायिका बना दिया। आज भी कोई अपनी पुत्री का नाम कैकयी नहीं रखता। …… आपका प्रश्न आज भी अनुत्तरित है।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअभिनव दृष्टिकोण
ReplyDeletebhavo ke sunder abhivkti sath he app ne ram katha ke navin pahlu par prakash dala.bahut he sundar
ReplyDeleteसच है कैकयी के त्याग को किसी ने याद न रखा. बेहद गूढ़ और विचारार्थ रचना. शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteगहरी,विचारणीय बात ..प्रासंगिक उद्गार ..
ReplyDeleteसच है कैकेयी का त्याग कोई नहीं समझता, बहुत अच्छी प्रस्तुति, बधाई.
ReplyDeleteउदार काव्य दृष्टि का ही परिणाम हो सकती है ऐसी रचना, लख-लख बधाईयां जी.
ReplyDeleteतुम दाउ बनो, तभी मैं कृष्ण कहलाउंगा
ReplyDeleteतुम राम बनो, मैं लखन बन जाउंगा
तुम बन चलो, मैं पीछे चला आउंगा
यदि तुम दसशीश बने, मैं विभीषण बन जाउंगा
Wah...Vicharniy Soch liye rachna....
न जाने कैकेयी न होती तो राम,राम बन पाते भी या नहीं।
ReplyDeleteलेकिन राजमाता कैकेयी ने
ReplyDeleteफिर से कहां, किसके घर जनम लिया?
राजमाता कैकेयी के प्रति अलग दृष्टिकोण प्रदर्शित करती अच्छी रचनां।
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया ... सुंदर .. ब्लॉग .. आपकी लेखेन का कायल हूँ
ReplyDeleteaavaam ko nayi soch ki taraf kheechti prastuti.
ReplyDeleteकैकेयी को याद तो करते ही हैं लोग जब जब राम को याद करते हैं...हाँ उस जैसा कोई बनना नहीं चाहता
ReplyDeleteतुम दाउ बनो, तभी मैं कृष्ण कहलाउंगा
ReplyDeleteतुम राम बनो, मैं लखन बन जाउंगा
बहुत अच्छी प्रस्तुति, बधाई.