गुरुकुल ५

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Saturday, 21 December 2013

क्षितिज

मेरा ये आसमाँ?  वो कौन सा क्षितिज?

कह दिया तुमने
ये है क्षितिज !

वो कौन सा क्षितिज?

ये मेरा क्षितिज !
वो तुम्हारा क्षितिज !
और वो अलग उसका क्षितिज !
तब क्यूँ कर एक ही क्षितिज?

दृष्टि और दृष्टिकोण पर टिका
सबका अपना क्षितिज?

और

मेरा ये आसमाँ?
आज ये तेरा भी आसमाँ
ये मेरी अपनी ज़मी?
कल तेरा वो आशियाँ

सबके सपने अलग
और सबके अपने जहाँ?
सबके घरौदे भी अलग?
सबकी अपनी धरती

फिर सचमुच

वो मेरा क्षितिज?
ये तेरा आसमां?
यही उसकी जमीं?
वही आसमां?

06 दिसम्बर 2013
ज़िन्दगी एकांत में