नदिया कस माटी घलो ह हमर जिनगी के डाँड़ आय !
रेंगथे माटी ह नदिया के तीरे तीर बसे रहिंन हमर पुरखा त तो नदिया तीर
बड़े बड़े पहार कस ऊंच माटी के डीलवा ल कोड़िन त मिलिस ...
चुलहा, चुकिया, ठप्पा, पुतरी, खेलवना ... हमर घर दुआर जात के चिन्हारी माटी मोर छत्तीसगढ़ के जतका निमगा-निमरा-गरु सोन कस
मोर जात मोर बंस ओतके कन निन्धा टाँय टाँय ....
बस्तर
मोर गुरु Rahul Kumar Singh मोर भोरहा म खोद परींन ताला ल
निकरगे देरानी-जेठानी मन्दिर म दन्त देंवता चिन्हारी खोजे बर परगे ....
एक घुनी दीपाडीह म बड़े बड़े साल सरई के डीलवा म माटी म तोपाये
गज़ब मन्दिर निकरगे बड़े-बड़े शिव लिंग आउ अजब-गजब देबी-देंवता
गुरु तो महेश पुर म रार के रार मन्दिर माटी भीतरी खोज डारिन...
मल्हार म तो भुंइ फोर महादेव निकरे हवय सब माटी म हे न....
भुंइयाँ ले अध्धर माटी ले ऊपर मोर जानत म कुछु नई देखें ...
देखें अगास त ओहु ओ दुरिहा म भुइँया ,माटी करा गिंया बदत ...
मोर गांव म आज घलो सुरुज चन्दा तला पार ले ऊथे आउ बूड़ जाथे ...
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माटी के नंगत खेल आउ अजब-गजब हिसाब हवय...
नदिया तीर मन परथे त हचक ले छोंड़ देंथें पार के संग ...पानी म घूर मिलके निकर जाथे एक गांव ले आन गांव ...आउ परे रथे पुरुत के पुरुत त जस के तस अन्तस म बिन हाले डोले त कई किसिम के पखना बन जाथे , इहि ह अन्तस् म चबकत चबकात तरी तरी खुसरत गे त पानी कस गल जाथे आउ संग म जे पाइस तेला अपन संग घोर देथे । आउ कभू पा गे धरती मैया के दिल्लङ्ग पोळलंग जगा ल त छाती ल फोर के निकर जाथे अपन छाती म पागे बड़ दिन जुन्ना रुख राई ल त करिया कोइला म बदल देथे ...आउ हम तूं कभू मर-हर गयेन त महतारी कस रपोट के कोरा म सुता घलो लेथे ...
माटी के खेल बड़ निराला हे हो राम जी ...हर जगा अलग सलग...
*** ,काल मोर खेत के पयडगरी ह गांव के डहर म जुड़ीस ते ह जाके इस्कूल होवत सहर के सड़क म नंदागे आज ओमा रेंगत रहिस साइकिल लेटा धरय त बेशरम के लकरी म खोदल के हेरन ई सड़क ले निकर के मैं पहुंचें इस्कूल पेंड्रा बुनियादी इस्कूल पढ़े पढ़ाये अरे भुखमरी म पेट जिये
मोर गांव मुलमुला ममा घर अकलतरा / सिंऊंड / नरियरा, सोनसरी, कोसा , कोनार, रिसदा, तरौद, बनाहील, पोंडिन, साँकर, बेलासपुर के निमरा,- छांटा गांव खेत-खार, बोली,टोली, रहन-बसन खांटी गोरस कस
४ कोरी १० आगर नव तोरहा गुरुजी निकरेंन जगदलपुर बर ...
३रुपिया ३३ पैसा रोजी मने कि १०० महीना पगार म ...
बस्तर ल बदले ...ओ ह आज घलो जस के तस ... ओई नदिया ओई पहार
हमर संग के कई गुरुजी नठागे, खईता होगे माटी म मिंझरगे ...
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जगदलपुर के माटी म गोड़ परते सब बुद्धि हजागे ....आउ सकलागे ...
ए लिखाई पोंछई ह मोर जिनगी के यात्रा नो हय सुख-दुःख के गाथा आय
आज रैपुर ले जगदलपुर जाए बर सोरह हाथ डेरी आउ सोरह हाथ जेवनी दुनो कोती अपने अपन जाए के खंडाये रद्दा हवय पहिली एके ठन रहिस
आज तो रद्दा भले ऐंडहा बेड़हा पसरगे लथरगे भखला कस चुन्दी
फेर मनखे के मन कइसे देखते देखत छोटे होगे ,...
२ कोरी कम ३ रुपिया टिकिस रहिस दंतेवाड़ा हबरे के ....
पहिली चलय MPSRTC के हरियर गाड़ी तेकर साहेब रहिस बबा Ravindra Sisodia सुने रहेन का देखे घलो हन ओ समे से चलय गाड़ी थोरको कन बेरा के आड़ा टेढ़ा होवय त मार गारी म डरावल कंपोडर के पुर जावय ...सतउरी धर देंवय ओकर त गाड़ी धमतरी चारामा माकड़ी केशकाल कोंडागांव बस्तर जगदलपुर किलेपाल बास्तानार के घांटी होवत गीदम फेर डंकिनी नदिया नाहकत दन्तेवाड़ा हबर जावय .....
,गाड़ी रुकिस नहीं सरपट रेंगय दंतेवाड़ा ले बचेली होवत किरंदुल आखिरी रोक वाला जगा जिंहा गाड़ी धोवा पोंछा के फेर लहुट जावय बहुरिया कस
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ढुलमांदर कस भेख बनाये उतरे रहेन गुरुजी घुल के घुल बस्तर म...
मोला बड़े ढुलमांदर जानके पेल देहे रहिस समेली नम्बर 03 के इस्कूल
बड़े कथा आय भागके आएं मैं अकेल्ला DEO पाटनी साहब करा ...
हाई स्कूल दंतेवाड़ा म हाई स्कूल के लईका मन खातिर भेज दिस ...
अजब गजब रहिस मोर लईका मन के बात बेवहार ह ...
२३ बछर के महुँ नवतोरहा लईका रहें सीखत, समझत, समझात म ०२ बछर लागिस लईका मन संग मिन्झरे म त गोठ बात के हरक ह मिलिस
काबर के मैं पढावव बिज्ञान ल हिंदी आउ हिंग्रेजी म आउ मोर लईका ...
गोंड़, मारिया, मुरिया, भतरा, घुरूवा ओमन के आपसी बोली रहय ..
हिंदी, अंग्रेजी, गोंड़ी, हल्बी, माड़िया, ओड़िया, मुरिया, घुरूवा,मराठी, कुरुख , आउ छत्तीसगढ़ी म अवधि-बुंदेली के साँझर मिंझर ...
मोर जिनगी के सबले निमरा बेरा समे रहिस 1976 ले 1981
मोर बेटी Anitasood Anunanda आज धमतरी म डॉक्टर के दाई
गवाही हवय ओ बेरा के सुख-दुख आउ मेनत मजूरी आउ पछीना के
बड़ मेहनत करे हन त बेटी बेटा मन आज घलो सुरता हवय ...
इहि म के एक डाकडर बाबू Ashok Tripathi रैपुर म हवय
बड़े भाई ददा रामलखन तिरपाठी जी के अद्भुत मया आउ सिख...
Ramakant Jha भइया जी गनीत आउ फिजिक्स पढावय ...
आज घलो महात्मा गांधी जी कस सदा सर्बदा पानी कस सहज-सरल
महेश मृगा, महेश मयानी, दिवाकर अवस्थी, संग Mahesh Kumar Mishra घलो पढीस दंतेवाड़ा हाई स्कूल म ...
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गांव ले आवय लईका मन त धर लावय मया संग मखना, डोंड़का, सेमि, तरोई, दार, करील, बेचान्दी, तीखुर, राम कांदा, आउ चार, चिरौंजी ...
बजार लगय सात दिन म समार के त दुकान म बेंचावय सब जिनिस ...
लाख,.माखुर, गुल्ली, टोरा, गाँजा, अफीम, कूकरी, कुकरा, महुआ, नून, तेल, माचिस, बीड़ी, लांदा, दारू, सल्फी, तितुर , बटेर, बोकरी, बोकरा...
फेर कोंहुँ दिन नई बेंचाईस मोर बस्तर के चहकत *** मैना ***...
एक सम्बाद मोर पढ़ाये बिद्यार्थी संग ...
मंगलू राम मरकाम जबड़ देंह के दंत कबड्डी खेलाड़ी बिद्यार्थी,...
कस बेटा गांव ले छुट्टी म आवत म बन के जनावर मन डर नई लागय ..?
लागथे सर जी फेर दिन के दिन निकर आ जाते हैं तो ठीक ठाक रहता है
बाघ अब देखने को नहीं मिलता न, सेर अब नई है क्या ,। भालू दिख जाता है, हिरन, चौसिंघा, सांभर, चीतल, बन भैंसा ओ तो भेंट होते रहता है , बन सुकर भी है खेत को नुकसान कर देता है साला ।।
ओ सांप यहां बहुत जहरीला है, धामन से कोई डर नई है, करैत , और नाग घर तलक आ जाते हैं काट वाट लिया तो जादा लोग मरते हैं ।।
कभी कभी सिकार में कोटरी, लम्हा मिला तो फिर नवा खानी बन जाता है
कस रे बाबू मंगलू आउ जाड़ घाम, पानी म रथस कइसे कोन मेर ...?
सर जी बहुत सवाल करते हैं आप ...!
छोड़िये कल न बात करते हैं, अभी चलिए मेंढ़क का डिसेक्शन सिखाइये
बस गोठ थिरकगे ...
बस्तर ह कथा, कंथुली नो हय राजा प्रवीर चंद भंज देव् जी के राज आय
फेर अगला भाग म खंघे बढ़े ल ...काय कथें क्रमशः...
०३ दिसम्बर २०२५ म 1981 के सुरता
यह जीवन रेखा समर्पित Ashok Tiwari भैया को जिनसे मुलाकात हुई दंतेवाड़ा के दन्तेश्वरी देवी के मंड़ई मेला में माइक, कैमरा, एक्शन...
मैं कभी भी अच्छा अध्यापक नहीं रहा, मेरे गुरु श्री का सानिध्य मुझे मांजता चला गया और अनुपम, अद्भुत संजोग कि आदरणीय लक्ष्मीकांत ज्योतिषी जी प्राचार्य संग सभी मेरे अग्रज शिक्षकों का वरदहस्त मिला
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