धान ल कोचिया तऊलय के मसीन ...धरत, हेरत, सिलत, पल्टात म
चार दाना गिर जाथे कतको जतन कर ले राम रे ...
किसान नहीं त बनिहार आलू, मिरचा, गुर, तेल, बीड़ी, माखुर ले हे...
मिंझर जाथे मंहगी धान सब धान संग
सिरागे बखत , नंदागे चलन के गरौँसा म कुबरी मउहा बोवाही...
त मटासी खार म बोहिता, सुलटू, पलटू आउ नांगकेसर...
टिकरा म करहेनी त भर्री म तिल आउ कोदो संग राहेर...
जोरे टोरे १५ ले १८ बछर होंगे जबले नहर म पानी रेगिस तब ले...
महामाया, 1100, सरना संग धान के किसिम नहीं हो लम्बर बोवाथे
मतंग सरकारी खातू छींच दे, किरा मकोरा होगे त दवाई बरसा दे...
आइसनहे धान म आथे एकर पीछू 30 बोरा 33 बोरा के पावती...
रइबे थोरकन थिरक न इहि फसल ल धरके लाथे हमर बर हमर घर...
पोलियो, सांस के बेमारी, किडनी के बेमारी, धुकधुकी के बेमारी
बने बने सियान तो सियान पेट के लईका के छाती म छेदा...
चल टार न हमर बाप के काय जात हवय ... कहि दिस what goes off my father... फसल बोलो..फसल आउ पावती
ई बछर खदुहन धान बोत देखें बिक्की राजा Vp Singh ल त...
ओ काय लम्मा डारा पलईचा वाला शोल कस पेंड़ ल बों देहे रहिस
थरहा लगाए के पहिली मथ दिस टेक्टर म रटपटवाके... छोंड़ दिस
दु दिन म बजबजागे खेत ...लगिस थरहा त बिन खातू के हरियर ...
इहि धान ल मिन्जे आये रहिस बलदाऊ राऊत...
लाये रहिस बलदाऊ दुबराज के बनी बेटी ल रोटी खावय बर ,...फेर
इस्कूल के फीस ह दुबराज ल सुलटू संग बेंचवा दिस ...
अरे छूटगे कारी पछीना ...कल्लागें मन फेर काय करय रे कपार के लिखा
तऊलत धरत म परगे दुबराज सरना के बोरा म सरना मिंझरगे ...
टेन के टेन आये रहिंन पहरिया के बनिहार भूतिहार खेत जगोये बर ...
रामबाई के टेन ह अपन भूति के रुपिया गिनवा लिस...
त बलदाऊ आउ रामाधीन केंवट धान के बनि मांग लिंन ...
टेन म रहिंन अमरौतिन, रजनी, रामबाई, केवरा, सरिता, सुनीता, सलिता, अमोरहीन, कोनरहिंन, साधमती, मलरहिंन, गंगा दाई, रेवती, गढोलहीन,
त रामाधीन के संग म आये रहिंन सुकलाल, धरम, रामा, संतु, रमन, बल्ला, नन्दू, राधे, भारत, कन्हैया, मगन, फिरत, अवध, आउ सियान नोहर साय ई ह तो लमावय गीत के सुर नहीं त टप ले बदल देंवय ददरिया के पद ल ....कभू कोंचकत मजकीहा त कभू अन्तस् ल छेदत घाव करत
नोहर साय अपन बेरा के एक नम्बर के सुग्घर मनशे रहिस ...
गली म रेंगय त बने बने टुरी मनके नियत ओकर बर डोल जावय...
सारे के सांवर रंग, अईठाये भुजा, गोल चाक्कर मुंह, खांध म गफगफ ले माढ़े करिया घुंघरालू चुन्दी, ऊपरी कान के लाऊर म लूरकी त तरी कान म बाली, नरि म गंठूला, हाथ म चांदी के चुरा , ओकरो ले ओ पार हांसे म दुनो गाल म गड्ढा बुजा पूत ल बड़ नीक बना देवय ... नोहर ह नोहररे कस रहिस एक लम्बर उमर भर अतक गुन अवगुन के बाद घलो लंगोट के धनी
त आधा रात बिरात , बेर कुबेर बहिनी बेटी बहुरिया संग म रेंग लेवय ...
*** छेर छेरा *** कोठी के धान ल हेरते हेरा जहां हाँका परिस त
पंदरा बिस लईका एके संग छेक डारिन मोर बहिनी सुनीता ल
फेर का पसर म उलचे बर धरिस धान सब लईका पिचका मन ल
छेरछेरा ह आय अन्न दान के तिहार फेर जियत रहिबे त हाथ खुलही ...
होइस घला इहि बात परन साल के आगू साल २०२२० के बछर
रेखा बहिनी छेरछेरा देत देत थकगे त सुनीता नोनी सुरु करिस ...
डेढ़ दु बजत ले चार बोरा धान ह पसर, कुरो, टुकना, मुठा, करके सिरागे
फेर नवा कुरिया ले Bhavna Singh Chandel के डिघोरा ले देहे बोरा के धान फेर माड़गे सामने लोहाटी गेट मेर आउ सिरा घलोगे...
,मुलमुला घर के आखिरी छेरछेरा सुनीता बहिनी के संग ...
छेरछेरा के लेहे देहे दान ह ***** गजरी ***** हो जाथे ...
दान पेटी म रुपिया, पैसा, धेला, मुंदरी, चुरा, नथ, बारी, पिऊंरा चाउर,
श्रद्धा संग मिंझर जाथे न छोटे न बड़े न जात न कुजात ....
दान बस दान ई हि कस जिनगी म परसाद कस मिलथे *** गजरी ***
***** गजरी ***** एक नही सौ बेरा म घेरी बेरि ...
बिचार, मोल, धरम, गियान, बोली, मरम, नेंग, रीत, रिवाज, रहन-बसन, लेन देन, रोटी, बेटी, सबके सम-गम नेत घात बने रहय ...
*** निखालिश-*** आउ ***** गजरी ***** के मरम धरम ल
उकील Ashok Agrawal घला ल खोजे बर परही किताब म
चला चली इहि बहाना बबा Ravindra Sisodia करा छेरछेरा लेहे ।।
बबा घलो तो लण्दफन्दीहा आय लाल मोटर ल फांदके कलेचुप छोटे नोनी
Sonal Singh करा झन बुलक देहे होही ? अख्खर जाहि टेड़ेग-टेड़ेग करत ई टुटहा गोड़ म जांहा फेर ओतके दुरिहा ले जुच्छा हाथ ई तिहार बार के अवाई कइसे पोसाहि गुरु Rahul Kumar Singh भला तुंही बतावां।
ए भाई सब झन ल छेरछेरा के बड़कन बधाई ।।
बस यूं ही बैठे-ठाले
पौष मास पूर्णिमा शुक्लपक्ष
१३ जनवरी २०२४
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