साल का इच्छिदे नवा हप्ता और मेरा सब चेत बीचेत कर दिया रे तुमने
न मैंने तेरे बबा का कर्जा खाया था, न सारा बेटा मैं तेरे बाप का साढु है
फिर तैने मुझको अनचेतहा आके मेरे को पीछू से ठोंक दिया ।
मेरे जैसे देंवता आदमी को हेंड़ूहा जइसे कुचर के रेंग दिया ...
तेरे मन में थोराकोकन मया पीरा नई है रे दोगला के लैका ...
अरे उठा के अस्पताल तो हबरा दिया होता मेरी को सारे नान जात ...
सारा बेटा के लईका तेरे को जे बेरा में भेंट डारा बस मन में गुन ले
तूने जैसे मेरे को राजा करण कस अशहाय ठेसा है न ...
मैं घोलो भीम जइसे प्रतिज्ञा लेता हूँ तेरे को पा गया तेरी फँसानी संग कुरकुरे खाते तो तेरे को जिरजोधन कस हेंड़ूहा कस कुचर के मारूँगा ।
याद रखना मेरे दोष कुकुर के भी दिन बहुरते हैं तो मैं तो मनखे हूँ ।
तेरे में हिम्मत है तो आ जा उसी गली में वही मंझनियाँ डेढ़ बजे...
तुझे देख लूंगा ...हिम्मत है तेरे दाई ने दूध पियाया है तो जवाब दे ..
और कुकुर का दूध पिया है तो सपट जा घर में...
अपने दोस्त घला को धर लाना जेकर साथ फटफटी में चढ़ा था
मारूँगा तेरे को खुंद खुंद के घिरला घिरला के जो होगा देखा जाएगा दोस्त
मेरा उकील Ashok Agrawal जमानत के लिए ठड़ा है ।
बबा Ravindra Sisodia का पर्ची में जमानत लेऊँगा ।।
बस तैने जुद्ध का तुतरु बजा दिया मैंने भी नंगाड़ा ठोंक डिया ।
याद रख मेरे तेरा चीन्हा मेरे गोड़ का तेरा सुरता करवाता रहेगा ।
सारे चण्डाल तैने मेरे काठी माटी का पूरा बंदोंबस कर दिया था
नींद में घलो तू तेरा नीला फटफटी मेरे को कुदाता नंजर आता है
गोड़ का पीरा अड़बड़ है संगी और मांड़ी संगे संग रोसा गया है
रोचन दवाई दारू बिल्कुल काम आ ही नई रहा है
बाकी सब ठीक ठाक है रे....
बस यूं ही बैठे-ठाले
09 / जनवरी / 2025
गरूदेव Rahul Kumar Singh को समर्पित
हमेरी हमारी बोली रही किसी जमाने में
जब हम शहर से गांव लौटते थे तब ये हमारी पहचान बन गई थी
*** तब लोग ताना कसते बोलते थे ए देख हमेरी झाड़त हे ***
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