गुरुकुल ५
Wednesday, 2 May 2012
यकीन
मैंने भी ज़िंदगी को
देखा है करीब से
मैं यकीन नहीं रखती
भले ही तुम्हें असहज लगे
मैं कैसे मानूं?
ग्रह, नक्षत्र, राशि
और उनसे उत्पन्न
फल-प्रतिफल को
अगर ऐसा ही होता तो
गांधी को गोड़से गोली मारता?
कृष्ण कंस का वध करते?
राम-रावण का युद्ध होता?
दधीचि लोककल्याण में शरीर त्यागते?
दुर्योधन महाभारत का युद्ध करता?
दुःशासन द्रौपदी का चीर हरता?
द्रौपदी हंसती दुर्योधन पर?
गांधी मरकर मरे कहां?
गोड़से मारकर बच पाया कहां?
कंस के छल से कृष्ण मुक्त
दधीचि का त्याग,
दुर्योधन का दंभ,
दुःशासन की हंसी,
द्रौपदी का आर्तनाद
राशियां और काल की
ग्रह नक्षत्रों संग गणना कर देखें?
कर्म और धर्म का मर्म टटोलें?
वे अपने कर्मों से जाने गए?
कर्म ही महान होता है?
सत्-असत् की लड़ाई होती है?
मृत्यु ही एक शाश्वत् सत्य?
और जीवन एक झूठ?
अंततोगत्वा
अकल्पनीय जटिलता ले
28/04/2012
मन के भाव उसके जो मुझे अपने
जान और इमान से ज्यादा प्यारी
बस लिखावट मेरी सांझा सब कुछ
चित्र गूगल से साभार
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यकीनन जटिल.
ReplyDeleteजोरदार |
ReplyDeleteबधाई |
मृत्यु ही एक शाश्वत् सत्य?
ReplyDeleteऔर जीवन एक झूठ?
अंततोगत्वा
अकल्पनीय जटिलता ले
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,मन को प्रभावित करती सुंदर रचना,.....
MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
बहुत जटिल, गहन मन के भाव... बहुत अच्छी रचना...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteबेहतरीन साझेदारी......
बहुत सुंदर कविता..कर्म महान है पर कर्म भी तो इसी धरती पर होते हैं इन्हीं नक्षत्रों की छाया में..
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......
ReplyDeleteकर्म और धर्म का मर्म टटोलें?
ReplyDeleteवे अपने कर्मों से जाने गए?
कर्म ही महान होता है?
सच है.... बेहतरीन शाब्दिक संयोजन
अब तक की रचनाओ में "सर्वश्रेष्ठ "
ReplyDeleteमेरी अपनी राय ,समझ और मूल्यांकन से
आपकी रचनाओ में सबसे परिपक्व और अत्यंत खूबसुरती से बुनी रचना
मन के भाव विचारों की रस्साकसी उत्पन्न करते हैं।
ReplyDeleteराजेश भैया के कमेंट को मेरा माना जाए :)
ReplyDeleteसूचनार्थ: ब्लॉग4वार्ता के पाठकों के लिए खुशखबरी है कि वार्ता का प्रकाशन नित्य प्रिंट मीडिया में भी किया जा रहा है, जिससे चिट्ठाकारों को अधिक पाठक उपलब्ध हो सकें।
ReplyDeleteकर्म और धर्म का मर्म टटोलें?
ReplyDeleteवे अपने कर्मों से जाने गए?
कर्म ही महान होता है?
बहुत सुंदर ...सार्थक रचना ...
शुभकामनायें ...
रोक लिया है मन-मष्तिष्क में उठते स्वाभाविक प्रश्न और भाव ने.. .
ReplyDeleteAchchhi rachna...
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावशाली रचना है.. इस विषय पर बहुत सारी परिचर्चाओं की गुंजाइश बनाती है और यह इतना गूढ़ विषय है कि इसपर जजमेंटल होकर कोई भी बात नहीं कही जा सकती!!
ReplyDeleteआपकी अभिव्यक्ति प्रभावित करती है और विशेष तौर पर आपकी बिना लाग-लपेट के कहने की कला!! शुभकामनाएँ!!
खूबसूरत रचना ...बहुत बढ़िया प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
कर्म ही महान होता है
ReplyDeleteसत्-असत् की लड़ाई होती है
मृत्यु ही एक शाश्वत् सत्य
और जीवन एक झूठ
हां, यही सत्य है।
अच्छी कविता।
बहुत खूबसूरत सार्थक रचना |
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