गुरुकुल ५
Friday, 11 May 2012
क्यों
क्यों कहूं किसी से?
है जरूरत क्या?
कब किसने मुझे थामा है?
किसने है मेरे घाव को सहलाया?
है कौन रूक गया मेरी सदा पे?
किसके उठे हैं कर मेरी दुआ को?
कौन है जो मेरे दर्द पर रोया हो?
फिर क्यों कहूं?
किसी से
र्इश्वर को
हाजिर-नाजि़र मानकर
मैं जो कहूंगी?
सच कहूंगी?
सच के सिवाय?
कुछ ना कहूंगी?
क्या मैं किसी देवदासी की संतान हूं?
या किसी नगर वधू की कोख से
किसी नपुंसक ने जना है मुझे?
तुमने है जैसे जन्म लिया जननी से
मैं भी उसी शिव-शक्ति के
संयोग की पहचान हूं
फिर क्यों उठे हैं हाथ मेरी हत्या को?
बेटी, बहु, मां बनकर क्यूं पल-पल?
जहर पी रही हूं कर्इ सदियों से?
मैं हूं तेरी जननी, जनक बतला तू?
फिर दिल तेरा क्यूं कुंद हो गया है?
खलबली ये क्यूं मेरे ही आने से?
तुमने मुझे बना दिया
परसोना नान ग्राटा
क्यूं अपमान
बस अपमान दर अपमान ये?
08.05.2012
भ्रूण हत्या पर बयान एक अजन्मे संतान का
जिसका हक बनता है जन्म लेने का धरती पर
मैं पक्षधर हूं मां, बहन, बेटी और स्त्री जाति का
जिनके बिना मेरा जीवन शून्य था, है, और रहेगा।
जो दे सकती है जन्म एक नर को
वह क्यों वंचित है स्वयं जन्म लेने से
यह प्रश्न अनुत्तरित है क्यों और कब से?
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क्यूं अपमान
ReplyDeleteबस अपमान दर अपमान ये?haivanon ki kartut hai ye.....
kya kahu dukhad hai ye sab....
Deleteaapki ye kavita bahut acchi lagi mujhe
Deleteफिर क्यों उठे हैं हाथ मेरी हत्या को?
ReplyDeleteबेटी, बहु, मां बनकर क्यूं पल-पल?
जहर पी रही हूं कर्इ सदियों से?
मैं हूं तेरी जननी, जनक बतला तू?
बहुत सुंदर भाव प्रस्तुति,...
MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
क्या मैं किसी देवदासी की संतान हूं?
ReplyDeleteया किसी नगर वधु की कोख से
किसी नपुंसक ने जना है मुझे?
तुमने है जैसे जन्म लिया जननी से
मैं भी उसी शिव-शक्ति के
संयोग की पहचान हूं... prashn , dard , aatmshakti sabkuch hai
मार्मिक ।
ReplyDeleteमाँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना....माँ तो सिर्फ माँ होती है...... .
ReplyDeleteएक अजन्मे बेटी का दर्द बहूत हि बखुबी से व्यक्त किया है..
ReplyDeleteजो संसार के निर्माण में सहायक है वही अपने जन्म के लिये
गुहार लगा रही है...
बेहद सुंदर और भावपूर्ण रचना,,,,,...
क्या मैं किसी देवदासी की संतान हूं?
ReplyDeleteया किसी नगर वधु की कोख से
किसी नपुंसक ने जना है मुझे?
तुमने है जैसे जन्म लिया जननी से
मैं भी उसी शिव-शक्ति के
संयोग की पहचान हूं
....काश समाज इस दर्द को समझ पाता...बहुत सशक्त भावपूर्ण रचना...
bahut sundar prerak rachna...
ReplyDeletekash es dard ko hatyare samjh paate!
मार्मिक रचना .... यह प्रश्न सच में मन को व्यथित करता है
ReplyDeleteशर्मनाक है मानवता के लिए ....
ReplyDeleteबढ़िया रचना के लिए बधाई !
यह एक ऐसी समस्या है जिसके द्वारा हम अपने विनाश का रास्ता खुद तैयार कर रहे हैं।
ReplyDeleteएक अच्छी रचना।
ReplyDelete♥
मैं पक्षधर हूं मां, बहन, बेटी और स्त्री जाति का
जिनके बिना मेरा जीवन शून्य था, है, और रहेगा…
प्रिय बंधुवर रमाकांत सिंह जी
सस्नेहाभिवादन !
मात्र कविता नहीं है यह !
कन्या भ्रूण हत्या के इतने दुष्परिणाम हम भोग रहे हैं
कब समझ आएगी हमें ???
बहुत विचारणीय प्रश्न है जो हज़ार गुना प्रतिध्वनियों के साथ हृदय को उद्वेलित कर रहा है …
क्यों ? क्यों ? क्यों ?
मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
कन्या भ्रूण हत्या पर एक बुलंद आवाज करती एक सार्थक रचना बहुत खूब |
ReplyDeleteकाश ये समाज एक माँ के दर्द को समझ सकता, सृष्टि की जन्मदात्री आज भी इस समाज के सामने अपनी ममता के लिए मोहताज़ है, ये विडंबना नहीं तो क्या है????... इस अनुपम रचना के लिए आपका आभार
ReplyDeleteकन्या भ्रुण हत्या पर वर्तमान परिदृश्य का चित्रण करती कविता
ReplyDeleteजल्लाद हैं वो लोग जो ये सब करते हैं, यही समझ आता है| शेष तो सभी प्रश्न अनुत्तरित हैं और रहेंगे|
ReplyDeleteप्रोफाइल फोटो में पंत और रेणु वाली छवि दिख रही है.
ReplyDeleteसशक्त भावपूर्ण रचना...बहुत खूब |
ReplyDeleteसुन्दर, गम्भीर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteसचमुच एक अनुत्तरित प्रश्न।
ReplyDeleteएक सशक्त और सार्थक रचना ....
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