बादल छंटते नहीं
सूरज ढल जाता है
चांद दिखता ही नहीं
रौशनी ये कैसी है?
वक्त
थम गया मौत की मानिंद
यक ब यक मेरे ज़ानिब
दर्द ये कैसा बेहिस?
एहसास होता ही नहीं
कैसा ये बेअदब
हम दोनों का रिश्ता है?
16.03.2012
(चित्र गूगल से साभार)
तथागत ब्लाग के सृजन कर्ता श्री राजेश कुमार सिंह
को समर्पित
बहुत खुबसूरत अहसास...
ReplyDeleteसंबंधो के जाल/जंजाल में न तो उलझना सरल है न मुक्त होना
ReplyDeleteसुंदर भाव्यभिव्यक्ति
कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं, जिनके साथ चलना होता है।
ReplyDeleteकुछ खास ही होता है रिश्तों का अदब.
ReplyDeleteकैसा ये बेअदब
ReplyDeleteहम दोनों का रिश्ता है?
वाह,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बेहतरीन रचना,,,,,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
कुछ बताती कुछ छुपाती।
ReplyDeleteकविता लिए पहेली आती।
सादर।
बहुत अच्छी रचना..बधाई
ReplyDeleteनीरज
वक्त थम गया मौत की मानिंद...............
ReplyDeleteवाह!!!
बेहतरीन रचना......
बेअदब रिश्ता भी ... फिर भी निभाया जाता है ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteदर्द ये कैसा बेहिस?
ReplyDeleteएहसास होता ही नहीं
कैसा ये बेअदब
हम दोनों का रिश्ता है?
बहुत ही सुन्दर रचना...
कैसा रिश्ता है..
दर्द भी है आर उसका अहसास भी नहीं...
बहुत सुन्दर.....
कैसा ये बेअदब
ReplyDeleteहम दोनों का रिश्ता है?.....बहुत सुन्दर.....
सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteकविता में मन को स्पर्श करने वाले भाव अच्छे लगे । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका आभार ।
ReplyDeleteदर्द का रिश्ता सबसे प्यारा रिश्ता होता है ..सुन्दर रचना..
ReplyDeleteदर्द अकसर आकर ठहर ही जाते हैं
ReplyDeleteपास जब तक रहते हैं, सताते हैं
भावपूर्ण रचना...बेहिस का अर्थ क्या है?
ReplyDeletebhawpoorn.....
ReplyDeleteHR SHER LAJABAB ....BADHAI SWEEKAREN.
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