गुरुकुल ५

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Tuesday, 5 June 2012

नींद


नींद आती नहीं
सपने दिखते नहीं

सपने दिखते हैं वो 
अपने होते ही नहीं 

तुम ही बतलाओ भला 
नींद कैसे आती है ?

(चित्र गूगल से साभार)
04/06/2012

18 comments:

  1. जाग्रत स्‍वप्‍नदृष्‍टा

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  2. सदा अनुत्तरित -एक प्रश्न .

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  3. सुंदर.................
    अति सुंदर........................

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  4. प्रश्न पर प्रश्न जिसका कोई उत्तर नहीं..
    बहुत ही गहरी बात है...
    सुन्दर रचना...

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  5. सुंदर रचना....
    अपनी इन आँखों में बसते जो सपने हैं,
    बेगानी दुनिया में सपने ही अपने हैं।

    सादर।

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  6. मन मोहक सुंदर प्रश्न करती अभिव्यक्ति ,,,,,

    MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

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  7. पेशानी और चेहरे की झुर्रियां बता रही हैं कि ये नींद, सपने और रिश्ते का अपनापन सब दुष्चक्र का शिकार हैं।

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  8. कोई जवाब नहीं जिनका, वो सवाल हैं ये...

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  9. दूसरों के सपनों को अपना बनाना सीखें तो नींद भी आयेगी...

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  10. अगर ऐसा है, तो जागती आँखों से सपने देखें..
    उनको पूरा करने के लिए ख़ूब मेहनत करें,नींद अपने आप आ जायेगी

    कविता ने वैसे उलझा दिया है...
    धन्यवाद

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  11. मौत का एक दिन मुअय्यन है ग़ालिब ,नींद रात भर क्यों नहीं आती बाबु साहब

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  12. Agar sapne pure ho jaye to neend aapne aap hi aa jayegi....

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  13. बालकवि बैरागी जी ने दो पंक्तियां कही थीं-
    मैं सपने नहीं देखता, क्‍योंकि मैं बुझ कर नहीं थक कर सोता हूं.

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  14. सुन्दर कविता.

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  15. पढ़ तो लिया था पहले ही पर टिप्पणी नहीं कर पायी थी..अच्छी लगी..

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