May I help you let me know. I never off my mobile
जाग्रत स्वप्नदृष्टा
निशब्द..
.. touching poem..very beautiful
सदा अनुत्तरित -एक प्रश्न .
सुंदर.................अति सुंदर........................
प्रश्न पर प्रश्न जिसका कोई उत्तर नहीं..बहुत ही गहरी बात है...सुन्दर रचना...
सुंदर रचना.... अपनी इन आँखों में बसते जो सपने हैं, बेगानी दुनिया में सपने ही अपने हैं। सादर।
मन मोहक सुंदर प्रश्न करती अभिव्यक्ति ,,,,,MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
पेशानी और चेहरे की झुर्रियां बता रही हैं कि ये नींद, सपने और रिश्ते का अपनापन सब दुष्चक्र का शिकार हैं।
अनसुलझा प्रश्न...
कोई जवाब नहीं जिनका, वो सवाल हैं ये...
दूसरों के सपनों को अपना बनाना सीखें तो नींद भी आयेगी...
अगर ऐसा है, तो जागती आँखों से सपने देखें..उनको पूरा करने के लिए ख़ूब मेहनत करें,नींद अपने आप आ जायेगी कविता ने वैसे उलझा दिया है...धन्यवाद
मौत का एक दिन मुअय्यन है ग़ालिब ,नींद रात भर क्यों नहीं आती बाबु साहब
Agar sapne pure ho jaye to neend aapne aap hi aa jayegi....
बालकवि बैरागी जी ने दो पंक्तियां कही थीं-मैं सपने नहीं देखता, क्योंकि मैं बुझ कर नहीं थक कर सोता हूं.
सुन्दर कविता.
पढ़ तो लिया था पहले ही पर टिप्पणी नहीं कर पायी थी..अच्छी लगी..
जाग्रत स्वप्नदृष्टा
ReplyDeleteनिशब्द..
ReplyDelete.. touching poem..
ReplyDeletevery beautiful
सदा अनुत्तरित -एक प्रश्न .
ReplyDeleteसुंदर.................
ReplyDeleteअति सुंदर........................
प्रश्न पर प्रश्न जिसका कोई उत्तर नहीं..
ReplyDeleteबहुत ही गहरी बात है...
सुन्दर रचना...
सुंदर रचना....
ReplyDeleteअपनी इन आँखों में बसते जो सपने हैं,
बेगानी दुनिया में सपने ही अपने हैं।
सादर।
मन मोहक सुंदर प्रश्न करती अभिव्यक्ति ,,,,,
ReplyDeleteMY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
पेशानी और चेहरे की झुर्रियां बता रही हैं कि ये नींद, सपने और रिश्ते का अपनापन सब दुष्चक्र का शिकार हैं।
ReplyDeleteअनसुलझा प्रश्न...
ReplyDeleteकोई जवाब नहीं जिनका, वो सवाल हैं ये...
ReplyDeleteदूसरों के सपनों को अपना बनाना सीखें तो नींद भी आयेगी...
ReplyDeleteअगर ऐसा है, तो जागती आँखों से सपने देखें..
ReplyDeleteउनको पूरा करने के लिए ख़ूब मेहनत करें,नींद अपने आप आ जायेगी
कविता ने वैसे उलझा दिया है...
धन्यवाद
मौत का एक दिन मुअय्यन है ग़ालिब ,नींद रात भर क्यों नहीं आती बाबु साहब
ReplyDeleteAgar sapne pure ho jaye to neend aapne aap hi aa jayegi....
ReplyDeleteबालकवि बैरागी जी ने दो पंक्तियां कही थीं-
ReplyDeleteमैं सपने नहीं देखता, क्योंकि मैं बुझ कर नहीं थक कर सोता हूं.
सुन्दर कविता.
ReplyDeleteपढ़ तो लिया था पहले ही पर टिप्पणी नहीं कर पायी थी..अच्छी लगी..
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