गुरुकुल ५

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Thursday, 6 June 2013

ठगा सा

ज़िन्दगी तेरा इंतजार आखरी साँस तलक 

*
ठगा सा रह जाता हूँ अकेला
जब तुम आँख चुराकर
मुझसे दूर चली जाती हो
फिर वापस न आने के लिये

**
दर्द कहाँ महसूस करता हूँ?
जब कोई अपना
बेगाना बनकर
मुस्कुराकर दिल दुखा जाता है

***
तिलमिला जाता हूँ
जब तुम आँखों में आंसू ले
पहाड़ी झरने सी
बह जाती हो मेरे ही सामने

****
सोचने लगता हूँ
जब दर्द तेरे हिस्से का
बाँट नहीं पाता
अपाहिज ज़िन्दगी ले

*****
नज़र आता नहीं
तेरा ही चेहरा
सामने रहकर भी
क्यूं धुंधला जाती है मेरी आँखे

******
धुंधला जाती है
आँखें मेरी
अश्क आँखों में तेरे
बर्फ से जम जाते है

*****
मौन हो जाता हूँ
यूँ अक्सर तन्हाई में
जब तेरी याद
किसी कोने में टहलती है

******
ज़िन्दगी तेरा इंतजार 
चंद लम्हों के लिये 
आखरी धड़कन में भी 
आखरी साँस तलक 

०६ जून २०१३
जिंदगी संग चलते चलते

चित्र गूगल से साभार

21 comments:

  1. मन भीगा हो प्यार में तो ऐसे ही भावों में गोते खाता है दिल...
    इन पंक्तियों में कहीं त्रुटि है ---

    धुंधला जाती है
    आँखें मेरी
    अश्क आँखों में तेरे
    बर्फ सी जम जाती
    ---
    अश्क आँखों में तेरे बर्फ से जम जाते हैं ..होना चाहिए [शायद]
    --------

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    Replies
    1. आदरणीया अल्पना जी आपका आभार कि आपने सही करवा दिया वरना हम पुल्लिंग को स्त्रीलिंग बना ही दिए थे आपका मार्गदर्शन और स्नेह सदा अपेक्षित

      धुंधला जाती है
      आँखें मेरी
      अश्क आँखों में तेरे
      बर्फ से जम जाते हैं

      Delete
  2. मौन हो जाता हूँ
    यूँ अक्सर तन्हाई में
    जब तेरी याद
    किसी कोने में टहलती है...कोमल भाव !

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  3. भावों का झरना, तरल-निर्मल.

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  4. बहुत ही कोमल भाव भरी सुन्दर रचना..

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  5. महसूस की हुई पंक्तियाँ लग रही हैं :)

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  6. मौन हो जाता हूँ
    यूँ अक्सर तन्हाई में
    जब तेरी याद
    किसी कोने में टहलती है.......sacchi bat .....

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  7. प्रेम का सन्देश है,अद्भुत परिवेश है ,विरह का स्वर है , संजोग का ज्वर है ।
    सोंधी सी खीर है ,अनकही पीर है ,तरकश का तीर है ,नयनों का नीर है ।
    गुड की मिठास है ,मिलन की आस है ,समय की सिकुडन है ,स्वतः से अनबन है ।
    नदी का बहना है ,अपने में रहना है , शब्दों की सिसकन है ,भावों की कसकन है ।
    भाई ! बडा धर्म-संकट म डार देथस ग !

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  8. हर एक खाने में एक अलग भाव लिये एक क्षणिका स्वतंत्र भाव लिये हुए भी एक मालिका की तरह सुशोभित हो रही है!!

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  9. कुछ तुम्हारी यादें और एक तुम्हारा इंतजार... इतना काफी है जीने के लिए... सुन्दर भाव

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  10. कहाँ जा रहीं मुझे छोड़कर
    बिना कहे, कुछ ही बाला !

    शुभकामनायें आपको !!

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  11. बडा धर्म-संकट म डार देथस ग ! ;)

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  12. तिलमिला जाता हूँ
    जब तुम आँखों में आंसू ले
    पहाड़ी झरने सी
    बह जाती हो मेरे ही सामने
    मेरी समझ में कविता की आत्मा यही पंक्तियाँ हैं

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    1. सर जी आपका कथन सत्य है कोई संदेह नहीं आपने सराहा सदा आभारी

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  13. तिलमिला जाता हूँ
    जब तुम आँखों में आंसू ले
    पहाड़ी झरने सी
    बह जाती हो मेरे ही सामने
    bhavna ke atirek se ot-prot abhivyakti .badhai

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  14. तुमान के आगे जटा शंकरी नदी याद आ रही है.

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  15. पीडा का सुख तो अवर्णनीय ही होता है।

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  16. नज़र आता नहीं
    तेरा ही चेहरा
    सामने रहकर भी
    क्यूं धुंधला जाती है मेरी आँखे ..

    अलग अलग एहसास उतारे हैं इन क्षणिकाओं में ...
    प्रेम का एहसास लिए ये भी लाजवाब है ...

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