गुरुकुल ५

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Friday, 2 November 2012

बुलबुले




1*
इंट-पत्थर-मिट्टी की
बातें करते हो
बुलंद लोगों को भी
टुकड़ों में बंटे
गिरते-ढहते देखा है

2*
झूठी आशा
खोखली दिलासा से
हो जाती हैं आँखें नम
दिल बहलता नहीं
तार-तार होता है

3*
बुलबुले सावन के हैं
बनते हैं फुट जायेंगे
फिर छिछोरी बातों पर
सर उठाकर
गर्व करें

4*
हर बरस लगते हैं मेले
आयेगा कद्रदां कोई
भांप लेगा
आँखों से दिल की बातें
जान लेगा नीयत हमारी

20.10.2012
चित्र गूगल से साभार 

20 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति |
    बधाई रमाकांत जी ||

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  2. गहन बात कहती सुंदर क्षणिकाएं

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  3. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,

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  4. इंट-पत्थर-मिट्टी की
    बातें करते हो
    बुलंद लोगों को भी
    टुकड़ों में बंटे
    गिरते-ढहते देखा है,,,,,बहुत उम्दा,,,,,

    गहन बातो को कहती बेहतरीन क्षणिकाएँ,,,,

    RECENT POST : समय की पुकार है,

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  5. बढिया प्रस्‍तुति

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  6. गहन भाव व्यक्त करती
    बेहतरीन क्षणिकाएँ..
    झूठी आशा
    खोखली दिलासा से
    हो जाती हैं आँखें नम
    दिल बहलता नहीं
    तार-तार होता है
    भावपूर्ण..

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  7. नीयत तो नेक जान पड़ती है.

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  8. रमाकांत जी! क्षणिकाएं वैसे भी बुलबुले की तरह होती हैं.. उभरती हैं और फटाक.. दिखा जाती हैं सतरंगी इन्द्रधनुष.. जैसे आपकी ये चारों क्षणिकाएं और बोनस में तस्वीर!! :)

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  9. bahut hi gahre bhaw.......harek prastuti ki...

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  10. मन को छूती रचना।

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  11. बढ़िया क्षणिकाएं है।
    और तस्वीर ने तो मार ही डाला है।
    गज़ब है गज़ब।

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  12. अद्भुत ...सुन्दर प्रस्तुति

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  13. सुंदर क्षणिकाएं
    aabhar....

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  14. क्षणिकाओं का अर्थ गांभीर्य स्पष्ट झलक रहा है।

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  15. अद्भुत अहसास.. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार रमाकान्त जी..

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  16. जीवन के ये विरोधभास भी अजीब है गंभीर प्रस्तुति

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  17. खूबसूरत बुलबुले..जुदा-जुदा रंगों में ..

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  18. बुलबुले की तरह मन को छूती रचना सुंदर क्षणिकाएं !

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  19. बुलबुले सावन के हैं
    बनते हैं फुट जायेंगे
    फिर छिछोरी बातों पर
    सर उठाकर
    गर्व करें

    सभी मुक्तक बहुत बढ़िया

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  20. बुलंद इंसान भी टुकड़ों-टुकड़ों से ही तो बना होता है, साधारण से ज्यादा टुकड़ों से।

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