अकलतरा पूर्व विधायक श्री राकेश कुमार सिंह के आज 17.11.2012 को आकस्मिक निधन पर
पोस्ट उनकी स्मृति में समर्पित
राजन
आप ही परमपिता की संतान हो?
हो गई इति?
पूरी कर ली
मन की मुराद?
क्या मिल गया आपको
वातावरण को दूषित करके?
क्या आपके दीया जला देने से
मंगलू का घर हो गया रोशन?
आपने जलाये थे घी के दीये?
फिर क्यों?
पिछले बरस आपके धमाके से
पुनिया की आँखों से
चली गई रोशनी
बांटी है आपने सदा
अंधे को कम्बल?
और भूखे को चश्मा?
ज्ञान रखते हैं?
जीव और परिस्थिति की
अपनी मौलिक आवश्यकता
लोक कल्याण
क्या है?
राजन
पूर्णता या आदर्श की सोचते हो?
ये सभी दास हैं?
देश, काल, परिस्थिति, और पात्र के
सभी सापेक्ष होते हैं?
नहीं बदलते एक दुसरे के सापेक्ष?
चलो बदलकर देखो?
किसी एक को दुसरे के सापेक्ष
कोई भी चीज या मान्यता
रह पायेगी नियंत्रण में?
परिकल्पना एक निश्चित काल की
संतान होती है?
परिकल्पना बटन दबाते ही पुरे हों
तब सार्थकता सिद्ध होती है?
रामराज्य की परिकल्पना
राजा दशरथ जी की थी?
पूर्ण होने में समय लगा?
रामराज्य में अयोध्या पति
अपने पिता संग?
बदलती हैं मान्यताएं?
बदल जाते हैं मापदंड?
हर्ष-उल्लास
बदल जाते हैं शोक में?
प्रदूषित कर दिया जनमानस को?
पीढ़ी भले नई है
तीज-त्योहार वही हैं?
जीवन, पल, क्षण, हमारे ही?
या न हों तब भी
कर दें सत्यानाश श्रृष्टि का?
राजन
विस्मृत कर दिया?
दीया के प्रकाश में
दैहिक, दैविक, भौतिक, ताप से मुक्त
रामराज्य?
या उन्मुक्त, स्वछन्द, उदण्ड जीवन शैली?
क्यों नहीं?
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुखः भाग भवेत
12.11.2001
चित्र गूगल से साभार |
बढ़िया प्रस्तुती रमाकांत भाई-बधाई |
ReplyDeleteप्रासंगिक विक्रम और वेताल.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ... आभार
ReplyDeleteआज 17- 11 -12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete.... आज की वार्ता में ..नमक इश्क़ का , एक पल कुन्दन कर देना ...ब्लॉग 4 वार्ता ...संगीता स्वरूप.
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ReplyDeleteकाश! यह कर पाते साकार
ReplyDeleteनहि मरता कोई भूख
दिखा पाता नहि भय
कैसे कर पाता कोई भ्रष्टाचार ....
सुन्दर प्रस्तुति .....सादर!
bahut acchi prastuti....
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति | ईश्वर राकेश जी की आत्मा को शांति प्रदान करें |
ReplyDeleteஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
विचारणीय प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत ही सटीक विश्लेषण... एक संतुलित बात कहती हुई कविता! एक सार्थक सन्देश देती हुई!!
ReplyDeleteसटीक सुंदर विश्लेषण.,,,
ReplyDeleterecent post...: अपने साये में जीने दो.
सटीक और सार्थक आलेख..
ReplyDeleteबहत बेहतरीन रचना..
:-)
राकेश जी की मृत्यु का दुःख है,आपकी श्रधांजलि सराहनीय है !!
ReplyDeleteमेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
काली साड़ी