मेरी मृत्यु पर
* मत उठाना
मेरे प्यार को
बड़े जतन से सुलाया है
सहलाकर गेंसुओं को
* न करना बात
देख पाऊंगा
तपन चेहरे की
बंद आँखें हैं मेरी
* खिलाकर भोज
मेरी ज़िन्दगी को
दुखाना दिल भी
यूँ तुमको भाता है
* संदेशा देना वहां
जहाँ कोई बाट तके
बैठा रहे
बस द्वार पर
* न लेना और देना
आज ऐवज मेरे
खुली मुट्ठी
न बाँध पाऊंगा
* चलो बैठो
किसी दरख़्त के साये तले
करो तुम बात
मैं सुनता रहूँगा
* न गाना गीत
स्वर दे पाऊंगा
बंद होठ हिले तो
लोग खफ़ा होंगे
* चलो हंस लो
टोकना-रोकना
छोड़ा मैंने
तुम दिल की बात कहो
* न करना इंतज़ार
बड़ी मुद्दत के बाद
आई है नींद
सोने दे
* आज तुम हो
मै हूँ ना
तुम करो अपनी
कौन रोकेगा
* है पता मुझको
इंतज़ार किसको
मेरे आने-जाने
एक पल ठहरने का
* जाना है
चले जायेंगे
ये बेरुखी क्यूँ
हर घडी
22.10.2012
समर्पित * मेरी जिंदगी * को
जो मेरी जान और इमान से भी
ज्यादा कीमती जिसके बिना
सब कुछ बेमानी सा लगता है
चित्र गूगल से साभार
sundar rachna
ReplyDeletebahut saree anubhutiyon ko smeta hai apni rachna men ...bahut acchi prastuti....kisi marmik prasang ka varnan lag raha hai ?
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन भाव लिये उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकल 26/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteतेरे बगैर किसी चीज की कमी तो नही,
तेरे बगैर तवियत उदास रहती है,,,,,,,,
विजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
RECENT POST...: विजयादशमी,,,
कागा सब तन खाइयो
ReplyDeleteचुन चुन खाइयो मांस
दो नैना मत खाइयो
जिन्हें पिया मिलन की आस!!
इस खूबसूरत रचना पर बस आँखें मूंदकर उन भावों को अंतस में उतारने की इच्छा हो रही है!!
क्या कहने...
ReplyDeleteअति सुन्दर कोमल भाव लिए रचना..
बहुत सुन्दर..
:-)
बहुत सुन्दर भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteआपकी अधिकांश रचनाओं में निराशा का भाव वियोग श्रृंगार में पगा सा रहता है ऐसी भी क्या नाराज़गी अपने आप से.लगता है रचनाकार ने कभी गहरी चोट खाई है.क्षमायाचना सहित .सादर
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति...सरल,स्पष्ट मन के भाव
ReplyDeleteखूबसूरत भाव ....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना....
ReplyDeleteहर लफ्ज़ दिल में उतर गया...
* न गाना गीत
स्वर दे पाऊंगा
बंद होठ हिले तो
लोग खफ़ा होंगे.............
बेहद खूबसूरत!!!
सादर
अनु
अजीब दासतां है ये...
ReplyDeletebahut samvedansheel rachna....
ReplyDeleteसंवेदनशील रचना।
ReplyDeleteगहरे उतरती अनुभूति !
ReplyDeleteस्वर दे पाऊंगा
ReplyDeleteबंद होठ हिले तो
लोग खफ़ा होंगे...
बेहद खूबसूरत!!!
http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-post_31.html
ReplyDeleteरचना के भावों को बस भाव ने ग्रहण किया और...नि:शब्द..
ReplyDeleteबात करना तब.. तुम मेरी...
ReplyDeleteमैं सुनूँगी ज़रूर...
तरसी हूँ कितना सुनने को तुम्हें...
शायद एहसास ये तुम्हें...
हो जाएगा उस दिन...
मेरी जगह..
जब तुम बोलते रहोगे..
पूछते रहोगे कई सवाल...
और खीजोगे...
देखकर मेरे होठों पर...
एक निश्चिंत...खामोश मुस्कान...
~माफ़ कीजिएगा सर ! आपकी रचना इतनी दिल को छू गयी.... कि मैनें जवाब में यही लिख दिया...
~सादर !
sundar
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