गुरुकुल ५

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Saturday 6 October 2012

अपने हैं?



1
आसमां को देखकर भी
टेकरी पर चढ़ने के बाद ही
सब लोग
तुमसे
लगने लगते हैं?
क्षुद्र

2
बस तुम
एक वही काम
क्यों नहीं जानते?
जिसके लिये
परमात्मा ने तुम्हे जन्म दिया

3
अपना किया धरा छोड़कर
क्यों हर पल?
खोजते हो खुद को
औरों में

4
बरसों बरस
न सरोकार
सुख दुःख से
न उन लोगो से
जो तुम्हारे हैं
जिन्हें तुमने
अपना माना ही नहीं
कहने में शर्म नहीं?
मैं इस नगर का
वासी हूं?
और
ये मेरे
अपने हैं?

अष्टमी श्राद्ध पक्ष 2011
पूज्य बाबूजी स्व श्री जीत सिंह की स्मृति में
06.10.2012
चित्र गूगल से साभार 

24 comments:

  1. भावमय करते शब्‍द ... उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  2. भावो को संजोये रचना......

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  3. सुन्दर भावो से संजोए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  4. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति....
    भावभीनी रचना.

    सादर
    अनु

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  5. अगर सादगी से रहें ,जीवन कितना खूबसूरत है ...उलझने हम स्वयं ही तो पैदा करते हैं ...अपने लिए ...!!
    बहुत सुंदर रचना ...

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  6. अपने ही काम तो नहीं करते .... दूसरों में भी स्वयं को ही खोजते हैं ... सशक्त अभिव्यक्ति

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  7. सार्थक प्रस्तुति

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  8. गहरे जज्बात से संजोये हुई रचना |

    सादर |

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  9. एक नंबर और दो नंबर वाली क्षणिकायें बहुत शानदार लगीं।
    पूज्य बाबूजी को हार्दिक श्रद्धांजलि।

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  10. बेगानों का अपना शहर.

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  11. अंतरतम से जन्मी रचनाएँ.. बाबूजी को सादर नमन!!

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  12. जीवन इतना complexed हिंदी में उलझा या इतने बेतरतीब तरह से बुना हुआ है कि तय नहीं हो पाता कि हम मेरी गो राउंड खेल रहे है या सांप -सीढ़ी. अपने को जानने. पाने और समझने के लिए संभवत जरुरी है खोज स्थगित करना. ऐसा कुछ जिसे हम अपने अन्दर नहीं खोज पाते उसे बाहर कैसे पाएंगे और पा भी लिया तो पह्चानेंगें कैसे

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    1. सर आपका मार्गदर्शन सदैव प्रेरणा देता है.

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  13. सभी क्षणिकाएँ अची लगीं खासकर अंतिम .
    आप के बाबूजी को मेरा भी श्रद्धा सुमन.

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    1. @त्रुटि सुधार ..अची को अच्छी पढ़ें.

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  15. जीवन एक संघर्ष है ओर चलते रहने का नाम ही जिन्दगी है | अच्छी रचना |

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  16. वाह।कमाल है।

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  17. कल 13/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  18. सूक्ष्म भावनाओं को प्रकटित करतीं सुंदर लघु कविताएं।

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  19. स्मृति-कोष से निकली अनमोल रचना. बाबूजी को नमन..

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