गुरुकुल ५

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Wednesday, 26 September 2012

आदरणीय


1

हे परम आदरणीय
आप प्रतिदिन आते थे
सब्जी खरीदने वास्ते
सौ का नोट रोज दिखलाते थे

हमें कहाँ अकल थी
मुफ्त में आश्वासन पा जाते थे
चिल्हर नहीं होने पर फ़ोकट में
साग सालन घर पहुंचा आते थे

हे तात
चौराहे पर
हम आपके सिवाय
किसकी मूर्ति लगवाते

 2

हे गुणी
घर में भूखे बच्चों
फटेहाल माँ, बहन, बीबी
दर्द से कराहते पिता को
अँधेरे में तनहा छोड़कर

रास्ते की अंधी भिखारन को
एक रूपया का सिक्का उछालकर
रखैल से मिलने का
पथ प्रशस्त कर लिया?

 20.09.2o12
चित्र गूगल से साभार         

20 comments:

  1. रास्ते की अंधी भिखारन को
    एक रूपया का सिक्का उछालकर
    रखैल से मिलने का
    पथ प्रशस्त कर लिया?

    आज कल लोग यही सोचते है कि दान देकर अपने द्वारा किये गए गलत
    कामो से मुक्ती पा जाओ,,,,

    RECENT POST : गीत,

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  2. सार्थक भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

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  3. आज के परिप्रेक्ष्य में एक सार्थक प्रस्तुति |

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  4. सटीक और सार्थक प्रस्तुति ... कड़वी सच्चाई को कहती रचनाएँ

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  5. बहुत बढ़िया!
    सादर

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  6. एकदम अलग अंदाज में खड़ी-खड़ी बात..

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  7. जीवन व्‍यापार पर खतरनाक पैनी नजर.

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  8. सार्थक प्रस्तुति सिंह साहब :)

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  9. मौज़ूदा हालात का सीधा सटीक चित्रण .... आभार

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  10. कल 28/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  11. कडवी सच्चाई को प्रस्तुत करती सार्थक अभिव्यक्ति

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  12. samaj par chot karti hui behad sajag rachna......

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  13. गहन भाव लिये हकीकत बयां करती पोस्‍ट ...आभार

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  14. कटु सत्य की गहन अभिव्यक्ति ....

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  15. सब्जी -सब्जी पर लिखा है खाने वाले का नाम

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  16. इतनी कडवाहट ....लेकिन सच्ची .....

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  17. अलग अंदाज़ में लिखी कविता बयान करती है कटु सत्य।

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