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हे परम आदरणीय
आप प्रतिदिन आते थे
सब्जी खरीदने वास्ते
सौ का नोट रोज दिखलाते थे
हमें कहाँ अकल थी
मुफ्त में आश्वासन पा जाते थे
चिल्हर नहीं होने पर फ़ोकट में
साग सालन घर पहुंचा आते थे
हे तात
चौराहे पर
हम आपके सिवाय
किसकी मूर्ति लगवाते
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हे गुणी
घर में भूखे बच्चों
फटेहाल माँ, बहन, बीबी
दर्द से कराहते पिता को
अँधेरे में तनहा छोड़कर
रास्ते की अंधी भिखारन को
एक रूपया का सिक्का उछालकर
रखैल से मिलने का
पथ प्रशस्त कर लिया?
20.09.2o12
चित्र गूगल से साभार
रास्ते की अंधी भिखारन को
ReplyDeleteएक रूपया का सिक्का उछालकर
रखैल से मिलने का
पथ प्रशस्त कर लिया?
आज कल लोग यही सोचते है कि दान देकर अपने द्वारा किये गए गलत
कामो से मुक्ती पा जाओ,,,,
RECENT POST : गीत,
सार्थक भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteएक सियाह हकीकत!!
ReplyDeleteआज के परिप्रेक्ष्य में एक सार्थक प्रस्तुति |
ReplyDeleteधो डाला सिंह साहब:)
ReplyDeleteसटीक और सार्थक प्रस्तुति ... कड़वी सच्चाई को कहती रचनाएँ
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteसादर
एकदम अलग अंदाज में खड़ी-खड़ी बात..
ReplyDeleteजीवन व्यापार पर खतरनाक पैनी नजर.
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति सिंह साहब :)
ReplyDeleteमौज़ूदा हालात का सीधा सटीक चित्रण .... आभार
ReplyDeleteकल 28/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
कडवी सच्चाई को प्रस्तुत करती सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeletesamaj par chot karti hui behad sajag rachna......
ReplyDeleteगहन भाव लिये हकीकत बयां करती पोस्ट ...आभार
ReplyDeleteकटु सत्य की गहन अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteसब्जी -सब्जी पर लिखा है खाने वाले का नाम
ReplyDeleteइतनी कडवाहट ....लेकिन सच्ची .....
ReplyDeleteअलग अंदाज़ में लिखी कविता बयान करती है कटु सत्य।
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