युवराज सिंह |
उजाले से भर दिया
लेकिन
रात को चूल्हा नहीं जल पाया
सोमवार को लकड़ी गीली थी
मंगलवार को मिशराइन ने
चावल नहीं दिये थे
बेटा बुधवार को रामबाई चाची संग
आटा पिसवाने गई थी
तू तो जानता है,
गुरुवार लक्ष्मी का वार है
पिछले इतवार हमने क्या खाया था?
चल चूल्हा जलाते हैं
इस शुक्रवार नहीं करेंगे
संतोषी माता का व्रत
और सुन मेरे राजा लल्ला
हम नहीं जायेंगे
प्रसाद खाने नहर किनारे
शनि मंदिर, आज शनिवार है
शानू ने अपनी माँ के गले में
बड़े प्यार से बाहें डाली
और धीरे से कहा
कोई बात नहीं
चलो सो जाते है
सपने में राहुल की माँ आयेगी
मालपुआ लायेगी
दोनों खायेंगे?
तुम काम पर चले जाना
मैं स्कूल चला जाऊंगा
दिन तो रोज ही आते हैं
ऐसे सपने कहाँ आते हैं ?
02.09.2012
हाहाकारी समझदारी.
ReplyDeleteमार्मिक ... समय से पहले बड़ा होना .... जीवन की विवशता ...
ReplyDeleteसपने सच होते सदा ,देखे इसे जरूर
ReplyDeleteएक दिन पूरे होयगें,लगन रखे भरपूर,,,,
RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,
मार्मिक भाव... सच है ऐसे सपने कहाँ आते हैं ?
ReplyDeleteभूख बिन धुंआ बिन राख के जलने वाली भयानक आग... सटीक अभिव्यक्ति के लिए आभार
आह..
ReplyDeleteमन दुखी हुआ पढकर....
सादर
अनु
छलना भरे विश्व में केवल सपने ही तो सच होते हैं.
ReplyDeleteकाहा काहा से खोज लाते है ऐसे भाव, सुन्दर कविता
ReplyDeleteइस छोर से उस छोर तक,कहने के लिए कुछ नही बचा...|
ReplyDeleteख़्वाबों में भूख मिटे तो भी क्या गम है पर भूखे पेट ख़्वाब भी कब तक साथ देंगे? ironic.
ReplyDeleteख़्वाबों में भूख मिटे तो भी क्या गम है पर भूखे पेट ख़्वाब भी कब तक साथ देंगे?
ReplyDeleteभूख में भी जो कविता ढूँढ ले उसे ही ऐसे सपने आते हैं..
ReplyDeleteसपने कब हुए अपने?फिर भी सहारा तो हैं.
ReplyDeleteदिल छू लेने वाली कविता.
चि.युवराज को स्नेह और आशीष.
अत्यंत सुंदर और सरल सहज शब्दों में पिरोई मासूम इच्छा ,सरल शब्दों का आनंद कुछ और ही है अपने लिखकर एक संतोष और पूर्णता का अनुभव किया होगा ऐसा मेरा विश्वास है,अनेक बधाइयाँ
ReplyDeleteबहुत खूब!!
ReplyDeleteमन भर आया..
ReplyDeleteसपने सच होते सदा ,देखे इसे जरूर
ReplyDeleteएक दिन पूरे होयगें,लगन रखे भरपूर
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
katu satya aur marmik.....
ReplyDeleteI was very encouraged to find this site. I wanted to thank you for this special read. I definitely savored every little bit of it and I have bookmarked you to check out new stuff you post.
ReplyDeleteGood efforts. All the best for future posts. I have bookmarked you. Well done. I read and like this post. Thanks.
ReplyDeleteThanks for showing up such fabulous information. I have bookmarked you and will remain in line with your new posts. I like this post, keep writing and give informative post...!
ReplyDeleteThe post is very informative. It is a pleasure reading it. I have also bookmarked you for checking out new posts.
ReplyDeleteThanks for writing in such an encouraging post. I had a glimpse of it and couldn’t stop reading till I finished. I have already bookmarked you.
ReplyDeleteदिल को छू गयी आपकी यह कविता।
ReplyDeleteमास्टर युवराज सिंह से मिल कर अच्छा लगा। वे खूब तरक्की करें यही शुभकामना है।
सादर
बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
ReplyDeleteहम सपने देखते हुए जीवन जीते रहते हैं, बाक़ी सब ईश्वर के सहारे छोड़ देते हैं।
ReplyDeleteवाह सर वाह........ बहुत सुंदर काव्य... बहुत मार्मिक भाव .........
ReplyDelete... युवराज सिंह से मिल कर अच्छा लगा !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .....|मैंने आपका ब्लॉग देखा अच्छा लगा..कभी समय मिले तो http://pankajkrsah.blogspot.com पर पधारने का कष्ट करें आपका स्वागत है ...सादर
ReplyDeleteVery Nice 🌹🙏🌹
ReplyDelete