गुरुकुल ५

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Saturday, 21 July 2012

विक्रम और वेताल


एक बार राजा विक्रम को वेताल ने चोर और ताले की कथा सुनार्इ

वेताल ने पूछा चोर कौन है?
जो पकड़ा गया या वह जो पकड़ा ही नहीं गया?
घर पर ताला क्यों लगाया जाये?
ताला किसके लिये लगाया जाये?
ताला कब लगाया जाये?
ताला लगाने का औचित्य क्या है?
प्रश्न सहज, सरल, स्वाभाविक है?
प्रश्नों का सिलसिला शुरू हुआ और लग गर्इ प्रश्नों की झड़ी,
यह पता ही नहीं चल रहा था
कि प्रश्नकर्ता कौन है? उत्तर किसे देना है?

वेताल ने कहा प्रश्न का उत्तर जान बूझकर न देने पर
सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जायेंगे।
हम वस्तु को सुरक्षित रखें?
वह भी ताला लगाकर किन्तु किससे सुरक्षित रखें?
उस आदमी से जिसे उसकी आवश्यकता ही नहीं,
या उससे जो हर हाल में उसे चुरायेगा ही

तब ताले का महत्व किसके लिये या
मर्यादा के लिये अनिवार्य मानकर जड़ दिया जाये?
किस भाव को सही या गलत माना जाये?
सत्य का उद्घाटन अति आवश्यक है?
न बतलाने पर सत्य आहत हो जायेगा?

मान लो सत्य उद्घाटित हुआ और वहां उपस्थित
सभी लोग बहरे हुए या उन्होंने बहरे होने का
नाटक कर दिया तो? सब कुछ जानकर भी
न माना तब क्या सत्य और क्या असत्य?
सत्य के अस्तित्व को ही नकार दिया गया?
किसी भी शाश्वत मूल्य को मानने से इंकार
कर देने पर समस्त नियम, नीति, मूल्य, आदर्श धरे रह गये?

अंत में राजा विक्रम को वेताल ने कहा याद रखो
अब प्रश्न करने का अधिकार मेरे पास सुरक्षित है।
आरक्षण का नियम लागू हो गया है

यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किं?
लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पण: किं करिष्यति?
क्रमश:

31.10.2007

22 comments:

  1. एकदम सटीक बात - कम से कम भारत में तो हर ओर यही दिख रहा है।

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  2. गहन भाव को बड़े ही रोचक तरीके से विश्लेषित करना आपकी खूबी है.. बहुत सुन्दर कहा है..

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  3. बहुत रोचकता से आपने इसके गहन भावों पर प्रकाश डाला ... आभार

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  4. बेताल ने तो उत्तर दे दिये ॥अब विक्रमादित्य लगता है अनुत्तरित ही रह जाएंगे ... रोचक प्रस्तुति

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  5. बहुत ही गहरे मुद्दो को बढ़ी ही सुक्छ्मता से व्यक्त किया है
    बहुत ही बेहतरीन रचना,,,,

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  6. आरक्षण का नियम लागू हो गया है ...
    सटीक अभिव्यक्ति... हर बार की तरह गहन भाव जो विशेषता है आपकी रचनाओं की... आभार

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  7. गुनहगारों पे जो देखी रहमत-ए-खुदा
    बेगुनाहों ने कहा हम भी गुनाहगार हैं

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  8. वाह ....बहुत सुन्दर और सटीक !

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  9. बहुत ही रोचक पूर्ण शैली से अपने मनोभाव को व्यक्त किया है..बहुत सुन्दर.... मेरी नई पोस्ट में आप का स्वागत है...

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  10. टुकड़े टुकड़े न हुवे, विक्रम का सर ठीक ।

    प्रश्नों का बेताल फिर, लटका पड़ा सटीक ।

    लटका पड़ा सटीक, आज का विक्रम भाई ।

    हाँ-हाँ ना ना शीश, गजब अंदाज हिलाई ।

    प्रश्नों के सौ टूक, लगाए मुंह पर ताला ।

    विक्रम रहता मूक, पडा बेढब से पाला ।।

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  11. रोचकता पूर्ण नया अंदाज लिए बहुत सुंदर रचना,,,,,,बधाई रमाकांत जी,,,,,
    RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....

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  12. अहा!! अब समझा आपकी टिप्पणी का मतलब और उहापोह की साम्यता से चकित भी हुआ|
    क्रमशः के बाद वाले हिस्से का इंतज़ार बेसब्री से हो रहा है सिंह साहब|

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  13. सटीक प्रासंगिक भाव.....

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  14. ताला एक यांत्रिक युक्ति है जो बहुमूल्य चीज़ों की सुरक्षा के लिए लगाया जाता है, ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस बहुमूल्य वस्तु को चुरा न पाए। नीति, नियम, मर्यादा, सत्य, आदर्श तब तक हैं जब तक ताले में तालापन है | एक अदद ताले पर बोझ हमेशा ही, उसके भार से भारी होता है, ताला ख़ुद भी जानता है, उसे चाबी या एक उचित क्रम के संयोजन से खोला जा सकता है..ताला खुला नहीं कि नीति, नियम, मर्यादा, सत्य, आदर्श, हवा में कपूर की तरह उड़ जाते हैं, और रह जाता है लटका हुआ, सबकी लानत-मलानत सहता हुआ, मुँह बाएँ एक नकारा, नाक़ाम ताला...
    बहुत खूबसूरत रचना है आपकी...ज्वलंत और समसामयिक..
    आभार

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    1. आपकी बातों से सहमत होकर कहता हूँ ,बदलाव किसी नियम में नहीं चाहिए वास्तव में हमने जो मानदंड बनाये हैं उनका पालन पूरी निष्ठा से किया जाना चाहिए जिसके लिए नियम कड़े हों और उनके उल्लंघन पर कठोर दंड का
      सर्वकालिक, सर्वमान्य, सार्वभौमिक, सर्वग्राह्य प्रावधान हों . इसके अतिरिक्त एक सशक्त मानवीय मूल्यों पर आधारित समाज भी हो जहाँ दिखावा नहीं वास्तविक जीवन मूल्य हों .और पूरी सजगता से पालन का प्रावधान हो .
      क्योंकि मानव ईश्वर की इतनी शानदार कृति है कि सब का तोड़ खोज लेता है .

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  15. विक्रम वैताल के वार्तालाप में आपने कितना गहन प्रश्न रखा है .... विचारणीय
    बहुत ही सटीक, सशक्त लेखन ...
    बधाई !

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  16. कुछ गहरे प्रश्नों का जवाब खोजती है ये कथा .. आधुनिकता का लबादा लिए पुरातन कथा ... सार्थक प्रस्तुति आज की ..

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  17. आपने तो क्रमशः करके कविता के प्रवाह और चिंतन पर अल्पकालिक ही सही ताला लगा दिया।
    कई लोग तो दिल पर ताला लगा लेते हैं, वहीं दूसरे मन पर। इस सबसे अच्छा है कई लोग मुंह पर ही ... !(लगा देते हैं।)

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  18. विक्रम और वेताल की ताला-चाबी का बेहतरीन इसतेमाल.

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