पीथमपुर का मेला
प्रतिवर्ष चैत्र माह कृष्ण पक्ष पञ्चमी { रंग पञ्चमी } को भरता है
आइये मेला का आज आँखों देखा आनंद लें
तीन सौ पैतीस साल पुराना वट वृक्ष { लोगों के मतानुसार }
बाबा कलेश्वर नाथ कि सवारी देखने खड़े दर्शनार्थी
भीड़ को नियंत्रित करती और दिशा निर्देश देती सुरक्षा व्यवस्था में नागरिक और पुलिस
पीथमपुर का मेला नागा बाबा का धाम बरसों बरस अपनी टोली संग
नागा बाबा अपने यात्रा में मुख्य मार्ग में
नागा बाबा परंपरागत वेश में
संत भी परंपरागत अस्त्रों संग यात्रा में
बाबा कलेश्वर नाथ की सवारी और पुलिस अभिरक्षा संतों और जन कल्याण में
बाबा कलेश्वर नाथ कि सवारी प्रति वर्ष चैत्र कृष्ण पक्ष पञ्चमी को निकाली है
मेला लगे और मौत का कुआं { मोटर साइकल और कार रेस } न हो मेला लगा कहाँ?
झूला झूले नंदलाला छत्तीसगढ़ के मेले की परम्परा में शामिल
मेले में रुद्राक्ष बेचने और खरीदने लोग आते हैं रुद्राक्ष अपनी टहनी सहित बिक्री हेतु
साधु संत भी तकनीक और आधुनिक संचार प्रणाली से अछूते नहीं रह गये
मुख्य द्वार पर आज भी संत कि सेवा में चिलम भरते लोग गर्व अनुभव करते हैं
समाज ने जो दिया प्रेम से लिया और किसी ने जो भी माँगा बिन संकोच दिया
शायद यही संत या साधु हों अपनी धुन में मगन मंदिर के मुख्य द्वार पर
मांदर और मृदंग के आकर के राम कांदा आकर्षण और स्वाद का केंद्र सदा बना रहा
वैष्णव जी, चौहान जी, मामा मदन जी, और शैलेन्द्र बाबू हम भी फोटो ग्राफर के रूप में शामिल
पार्श्व में कलकल बहती छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी नदी हसदेव
हसदेव नदी तट पर स्थित हरहर महादेव कलेश्वर नाथ जी का मंदिर
हसदेव नदी का विहंगम दृश्य अपनी अनकही कहानी समेटे सबका सदा इंतज़ार करती
कलेश्वर नाथ मंदिर का सांध्य कालीन ऊपरी मनोरम दृश्य
गोधूलि बेला में लौटती सवारी और कन्धा लगाते श्रद्धालु वही जोश वही उमंग
आदरणीय राहुल कुमार सिंह सिंहावलोकन के सर्जक द्वारा मेला के संबंध
में वृहद लेख ब्लॉग जगत को दिया है मेरा यह अंश मात्र भी उनकी ही देन
समर्पित बिलासपुर निवासी नेचर सिटी के संरक्षक प्राण चड्ढा भाई जी को
२१ मार्च २०१४
प्रतिवर्ष चैत्र माह कृष्ण पक्ष पञ्चमी { रंग पञ्चमी } को भरता है
आइये मेला का आज आँखों देखा आनंद लें
तीन सौ पैतीस साल पुराना वट वृक्ष { लोगों के मतानुसार }
बाबा कलेश्वर नाथ कि सवारी देखने खड़े दर्शनार्थी
भीड़ को नियंत्रित करती और दिशा निर्देश देती सुरक्षा व्यवस्था में नागरिक और पुलिस
पीथमपुर का मेला नागा बाबा का धाम बरसों बरस अपनी टोली संग
नागा बाबा अपने यात्रा में मुख्य मार्ग में
नागा बाबा परंपरागत वेश में
संत भी परंपरागत अस्त्रों संग यात्रा में
बाबा कलेश्वर नाथ की सवारी और पुलिस अभिरक्षा संतों और जन कल्याण में
Add caption |
मेला लगे और मौत का कुआं { मोटर साइकल और कार रेस } न हो मेला लगा कहाँ?
झूला झूले नंदलाला छत्तीसगढ़ के मेले की परम्परा में शामिल
मेले में रुद्राक्ष बेचने और खरीदने लोग आते हैं रुद्राक्ष अपनी टहनी सहित बिक्री हेतु
साधु संत भी तकनीक और आधुनिक संचार प्रणाली से अछूते नहीं रह गये
मुख्य द्वार पर आज भी संत कि सेवा में चिलम भरते लोग गर्व अनुभव करते हैं
समाज ने जो दिया प्रेम से लिया और किसी ने जो भी माँगा बिन संकोच दिया
शायद यही संत या साधु हों अपनी धुन में मगन मंदिर के मुख्य द्वार पर
वैष्णव जी, चौहान जी, मामा मदन जी, और शैलेन्द्र बाबू हम भी फोटो ग्राफर के रूप में शामिल
पार्श्व में कलकल बहती छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी नदी हसदेव
हसदेव नदी तट पर स्थित हरहर महादेव कलेश्वर नाथ जी का मंदिर
हसदेव नदी का विहंगम दृश्य अपनी अनकही कहानी समेटे सबका सदा इंतज़ार करती
कलेश्वर नाथ मंदिर का सांध्य कालीन ऊपरी मनोरम दृश्य
गोधूलि बेला में लौटती सवारी और कन्धा लगाते श्रद्धालु वही जोश वही उमंग
आदरणीय राहुल कुमार सिंह सिंहावलोकन के सर्जक द्वारा मेला के संबंध
में वृहद लेख ब्लॉग जगत को दिया है मेरा यह अंश मात्र भी उनकी ही देन
समर्पित बिलासपुर निवासी नेचर सिटी के संरक्षक प्राण चड्ढा भाई जी को
२१ मार्च २०१४
मनोहारी चित्रों सहित मेले की सुंदर प्रस्तुति ...!
ReplyDeleteRECENT POST - प्यार में दर्द है.
मेला दर्शन यहीं से हो गया। आभार बाबू साहेब
ReplyDelete
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन आठ साल का हुआ ट्विटर - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
मेला घुमाने के लिए आभार..
ReplyDeleteमनभावन चित्र .. अच्छा लगा आपके साथ घूमना ...
ReplyDeleteसुंदर मेले के रंग ...साझा करने का आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति...आभार
ReplyDeletegood good good
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर ए बार कोन तारीख के मेला भरही
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर ए बार कोन तारीख के मेला भरही
ReplyDelete