मेरा अंदाज़ जुदा, प्यार जतलाने का |
बोल कानों को अच्छा लगे गीत बन गये
कभी कभी अर्थहीन बोल भी शामिल हो गये
और कभी कभी शब्द नहीं मात्रा भी अर्थ को अमर कर गये
हे कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव
इसे आप अलग अलग लय, सुर, ताल, राग में गाकर आनंद लीजिये
हर क्षण नवीन लगता है, आपका अंदाज़ जुदा होना चाहिए
कोशिश कर देखिये इस गीत को यदि थोडा भी ***?
मेरा अंदाज़ जुदा, प्यार जतलाने का
पा न पाया मैं तुझे, तुझ पे मिट जाने का
कैसा अंदाज़ तेरा, प्यार समझाने का
मुझको गर पा न सका, मुझ पे मिट जाने का?***
यही अंदाज़ मेरा प्यार जतलाने का
गर तुझे पा न सका , तुझ पे मिट जाने का
कैसा ये इश्क तेरा कैसा दीवानापन
कैसा अंदाज़ तेरा उस पे दीवानापन
ऐसा अंदाज़ तेरा और ये पागलपन
मिल न पाये गर कभी, गम को बतलाने का?***
मेरा अंदाज़ जुदा ,प्यार जतलाने का
पा न पाया मैं तुझे, तुझ पे मिट जाने का
कैसा अंदाज़ तेरा प्यार समझाने का
मुझको गर पा न सका, मुझ पे मिट जाने का?***
कैसा रिश्ता ये तेरा कैसा अनजानापन
बोल न ***
है जुदा प्यार मेरा उस पे दीवानापन
चल ***
साथ हम जी न सके ,साथ मर जाने का?
29 april 2013
DEDICATED TO MY ZINDAGI
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteनई पोस्ट साधू या शैतान
latest post कानून और दंड
यह अंदाज़ वाकई नया है ...
ReplyDeleteमंगलकामनाएं !
है जुदा प्यार मेरा उस पे दीवानापन
ReplyDeleteचल ***
साथ हम जी न सके ,साथ मर जाने का?
वाह !!! वाह नये अंदाज में बहुत ही सुंदर रचना ! क्या बात है ....
नई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
प्रेम में कोई नियम नहीं होता भाई ! अर्थ-पूर्ण शब्द हों यह भी आवश्यक नहीं है । " नेकु कही बैननि अनेकु कही नैननि सों , रही -सही सोऊ कहि दीनि हिचकीनि सों ।
ReplyDeleteनिराला अंदाज़ मन के भाव जताने का …बहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रयास ....
ReplyDeleteस्पष्ट कहे मन के भाव ..... सरल एवं मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteवाकई..!!!!
ReplyDeletevery nice creation
ReplyDeleteso nice song..
ReplyDeleteBeautiful....
Love it.....
निराला अंदाज़ ..बहुत सुन्दर रचना ...आभार
ReplyDeleteकितना खूबसूरत अंदाज़..आनंद आ गया ..
ReplyDeleteइस नए अंदाज़ के कायल हो गए रमाकांत जी ... मिलन जरूरी नहीं प्रेम में ... अलोकिक हो तो अमर है ...
ReplyDeleteआपका अंदाजे बयां खूब भाया ..
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