गुरुकुल ५

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Wednesday, 6 February 2013

ज़िन्दगी

जन्म दिन की अनेक शुभकामनाये चिरंजीव दीपक सिंह दीक्षित
06 फरवरी 
1**
तुम्हारा अम्बर सा विस्तार
भा गया जग को
सब चाहते हैं तुम्हारे आँचल तले
घर बसाना
किन्तु तुम्हारे बस जाने पर
भरम टूट जायेगा
ये धोखा बना रहे
मैं ताने बुनता रहूँगा

2**
तुम गंगा सी पावन निर्मल
किन्तु जो लोग तुमसे मिले
ग्रहण किया गुन
और छोड़ गये अवगुन
पवित्र होकर भी
अपारदर्शिता
देखना चाहता हूँ आर पार
रह गई पारदर्शी?

3**
कुंदन सा चरित्र तुम्हारा
हर बार नये रूप में चमका
तेज ज्वाला में
मौन अक्षय तरुणाई ले
और तुम अभिमंत्रित तटस्थ
आहत होकर भी
स्वधर्म के निर्वहन में
लक्ष्य को समर्पित

4**
मैंने तुम्हे हर बार
वसुधा, धरा, वसुंधरा
प्रिये, प्रियतमे, प्रिया
न जाने कितने संबोधन दिये
और स्वीकारा तुमने
निर्लिप्त, निर्विकार,
बिना किसी बंधन को खोले
मैं विस्मित
तुम्हारी सहनशीलता देख

5**
शीतल, मंद, समीर बन
पिछले कई जन्मो से
सहचरी बन संकल्पित
प्रबल आवेग से
चुपचाप अपने सपने समेट
मेरे जीवन को शब्द देती
पूर्ण तन्मयता से
क्यों समझ नहीं पाता
तुम्हारी निष्ठा, त्याग, तपस्या,?

06.फ़रवरी 2013

समर्पित मेरी ****ज़िन्दगी ****को जिसके बिना
जीवन की कल्पना ही नहीं **मौत** बेहतर ...

चित्र गूगल से साभार

14 comments:

  1. सुंदर काव्याभिव्यक्ति

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  2. अनूठे काम्बिनेशन का मिक्‍स वेज.

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  3. यादों की गहरी अभिव्यक्ति,,,,

    RECENT POST बदनसीबी,

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  4. समझ कर भी कुछ शेष रह ही जाता है..

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  5. भ्रम बना रहे... ज़िन्दगी की रफ़्तार कायम रहे...
    बहुत बढ़िया रचना... बधाई

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  6. फोटो , केप्शन और फुटनोट ने थोड़ा कन्फ्यूज सा कर दिया है।
    बेटे के जन्मदिन पर दिल से बधाई और शुभकामनायें।

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  7. भावों का बहुत ही खूबसूरत समर्पण हैं ये काव्य रचनाएँ .

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  8. बहुत बढि़या कविता/लेखन हैं- सारिक खान

    http://sarikkhan.blogspot.in/

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  9. waah......bahut hi gahrre bhaw.....

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  10. क्यों समझ नहीं पाता
    तुम्हारी निष्ठा, त्याग, तपस्या,?

    समझना नहीं केवल जीना उस रिश्ते को,
    बिना समीक्षा किये ...

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  11. ये धोखा बना रहे मैं ताने बुनता रहूँगा

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  12. मैंने तुम्हे हर बार
    वसुधा, धरा, वसुंधरा
    प्रिये, प्रियतमे, प्रिया
    न जाने कितने संबोधन दिये
    और स्वीकारा तुमने
    निर्लिप्त, निर्विकार,
    बिना किसी बंधन को खोले
    मैं विस्मित
    तुम्हारी सहनशीलता देख

    बेटे का जनम दिन मुबारक ...
    भावनाओं से ओतप्रोत रचना ... ओर धारिणी की सहनशीलता का अंत नहीं होता ...

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